पितृो की सेवा के बगैर दानवीर कर्ण को भी नहीं मिली थी स्वर्ग में जगह - जोशी
श्राद्ध पक्ष विशेष - श्राद्ध पक्ष की पूर्णिमा पर हुआ सामूहिक पिंडदान एवं अपने पूर्वजों को लिया श्राद्ध मे। भारत सागर न्यूज/भौंरासा निप्र/चेतन यादव - नगर में बाबा भवॅरनाथ मंदिर प्रागंण में श्राद्ध पक्ष के चलते अपने पूर्वजो को याद करते हुए सभी समाज के लोगो ने सामुहिक पिंडदान किया। यह पिंडदान अपने पूर्वजो की आत्माओ की शांति के लिए 3,5 या 7 वर्ष में अपनी श्रृद्वा अनुसार किया जाता है। माना जाता है कि इसमें लोगो को अपने पूर्वजो के प्रति आस्था एंव संस्कृति के अनूरूप यह कार्य करना पड़ता है। पुरानी मान्यताओ व परम्पराओ के अनुसार यह श्राद्ध पक्ष अपने पितृो की याद में 16 दिन तक लोग उन्हे धूप ध्यान पूजन पाठ कर उन्हे प्रसन्न करने के लिये किया करते है और मान्यता रखते है कि उनके पूर्वज प्रसन्न होकर उन पर दया दृष्टी बनाये रखे। इसी में एक पुरानी मान्यता बताते हुए पंडित मनोज जोशी परसाई महाराज ने बताया कि जब दानवीर कर्ण की मृत्यु हुई थी तो उन्हें नर्क लोग भेजा गया था। तब उनके द्वारा भगवान से वार्तालाप कर पूछा गया था कि मैंने मेरी जिंदगी भर जितनी भी धन दौलत कमाई दान किया है। मुझसे बड़ा दानवीर धरती पर कोई