अयोध्या विवाद में मध्यस्थता की राह
news Source : Media Reports क्या मध्यस्थता के रास्ते यह उद्देश्य हासिल किया जा सकेगा? जवाब में कुछ लोग सवाल करते हैं कि क्या आस्था व विश्वास के नाम पर भड़काये गये सारे विवादों में इस प्रक्रिया को अपनाया जा सकता है? भारत जैसे देश में, जिसमें अनगिनत आस्थाएं और विश्वास विद्यमान है, ऐसी प्रक्रियाएं कठिनाइयों को दूर करने में सहायक होंगी या आस्थाओं व विश्वासों को महत्व देने की प्रवृत्ति से राजनीति के साम्प्रदायीकरण का ही विस्तार होगा? क्या कुछ लोग इसे अपनी आस्थाओं की विजय मानकर इसका अनुचित लाभ उठाकर पूरी राजनीति में ही साम्प्रदायिकता को निर्णायक बनाने का प्रयत्न नहीं करेंगे? ऐसा हुआ तो सविधान में दिये गये सारे उद्देश्य ही निरर्थक हो जायेंगे। यदि यह पंचनिर्णय नहीं बल्कि मध्यस्थता माना जाय तब तो अन्त में निर्णय न्यायालय को ही करना होगा। __ अयोध्या विवाद की सुनवाई कर रही सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने विवाद के स्थायी समाधान% के लिए अपनी निगरानी में ऑन कैमरा लेकिन गोपनीय मध्यस्थता का रास्ता अपनाने का फैसला किया है। इसके लिए उसने सेवानिवृत्त जस्टिस कलीफुल्ला की अध्यक्षता में मध्