क्यों है जैविक खेती की आवश्यकता...
डॉ राकेश कुमार देशला
कृषि एक ऐसा संसाधन है जिससे संपूर्ण प्राणी तथा जीबों का भरण पोषण होता है कृषि पर ही भारत की अर्थव्यवस्था आधारित है जिस वर्ष कृषि में उत्पादन अधिक होता है उस वर्ष देश की आर्थिक व्यवस्था अच्छी होती है तथा इस वर्ष उत्पादन कम होता है उस वर्ष आर्थिक व्यवस्था गड़बड़ हो जाती है कृषि ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से प्रत्येक जीव को स्वच्छ भोजन उपलब्ध किया जा सकता है किंतु आज की स्थिति में भोजन की गुणवत्ता पूरी तरह से गड़बड़ हो चुकी है कारण हरित क्रांति के दौरान उपयोग या जाने वाला रासायनिक खाद तथा जहरीली दवाइयां उत्पादन तो खूब बड़ा किंतु मृदा की सेहत बिगड़ गई जिसके चलते शुद्ध भोजन तथा शुद्ध पानी अब जीव मात्र के पास नहीं पहुंच पाता तथा मृदा भी कठोर हो चुकी है जिसके कारण जमीन का जल स्तर कम होता जा रहा है रासायनिक उर्वरक तथा कीटनाशकों के अधिक उपयोग के कारण बड़ौदा में उपस्थित मित्र कीटाणु पूरी तरह से समाप्त हो चुके हैं जो मृदा में नाइट्रोजन स्थिरीकरण का काम करते थे कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार भूमि को अतिरिक्त नाइट्रोजन देने की आवश्यकता नहीं है तनी नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है वह सूक्ष्मजीवों तथा केंचुआ के द्वारा उत्पन्न की जाती है जो फसल के उत्पादन में अहम भूमिका निभाती है राजस्थान जनों के उपयोग के कारण व्यक्ति की लागत भी बढ़ चुकी है जिसके कारण आज का किसान कर्ज में डूबा हुआ पाया गया है आज पुनः आवश्यकता पड़ रही है हम सभी को जैविक खेती की ओर अग्रसर होने की किसान भाइयों को अपने ही घर गोबर तथा केंचुए से निर्मित जैविक खाद बनाकर उपयोग करना चाहिए जिसके उपयोग से जमीन में मित्र कीटाणु तथा केचुए की संख्या बढ़ सकें तथा रसायनों के कारण फसल में तो बीमारियां उत्पन्न हो रही है उन्हें कम करने के लिए जैविक स्तर पर ही उपाय करना चाहिए आज के समय में कई प्रकार से जैविक दवाइयां उर्वरक के रूप में तथा कीटनाशकों के रूप में उपयोग में आ रही है जिनका उपयोग करके हम कृषि को विषाक्त मुक्त कर सकते हैं तथा भारत भूमि को पुनः स्वस्थ तथा स्वच्छ कर सकते हैं
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