राजनेताओं और अधिकारियों की नूरा कुश्ती, समस्याओं को भूलकर मूकदर्शक बनी जनता
मोहन वर्मा - देवास
देवास में इन दिनों भाजपा और कांग्रेस के धुरंधरों के बीच शीर्ष प्रशासनीक अधिकारी शटल काक की तरह खेले जा रहे है जिससे जनता के बीच राजनेताओं के साथ अधिकारियों की छबि तो धूमिल होती नजर आ ही रही है जनता भी महज तमाशबीन बनकर और अपनी समस्याएं भूलकर सब कुछ देखने को विवश है ।
बात निगम आयुक्त संजना जैन की करें या पुलिस अधीक्षक चंद्रशेखर सोलंकी की, या फिर जिले के शीर्ष अधिकारी जिलाधीश डॉ श्रीकांत पांडेय की करें । बीते कुछ माहों से ये सभी अधिकारी कांग्रेस और भाजपा के निशाने पर है ।
आयुक्त सुश्री संजना जैन पूर्व में देवास एडीएम रहते हुए तत्कालीन विधायक और मंत्री रहे तुकोजीराव पवार से हुए विवादों के कारण लूप लाईन में रहीं और अब कांग्रेस की सरकार आने के बाद वे खासतौर पर पवार वर्चस्व वाले देवास में पदस्थ की गईं है । अपनी सकारात्मक सक्रियता के बावजूद पहले दिन से ही उनकी छबि भाजपा विरोधी घोषित की जाकर पार्षदों से लेकर भाजपा विधायक द्वारा भी उन्हें कांग्रेस मानसिकता का बताया गया । अभी हुए एक ताजा मामले में फिर विधायक समर्थक निगम सभापति ने निगम की गाड़ियों में डीजल पेट्रोल घोटाले पर उनकी अनदेखी पर सवाल उठाए । समय समय पर हुए घटनाक्रम ने इस बात को साबित भी किया कि उनका झुकाव कांग्रेस की और है, जिसमें मंत्री सज्जनसिंह वर्मा की प्रेस वार्ता के दौरान उनका अचानक काफी हाउस पहुंचना या फिर गुरुद्वारे में मंत्रीजी के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना शामिल है ।
इधर सुभाष चौक जैसे संवेदनशील क्षेत्र में स्थाई पुलिस चौकी बनाने के पुलिस अधीक्षक चंद्रशेखर सोलंकी के फैसले और फिर कथित रूप से जनता की मांग पर भाजपा सांसद महेंद्रसिंह सोलंकी द्वारा उसका विरोध करते हुए उसका तोड़े जाने का वीडियो वायरल होने के बाद सांसद पर प्रकरण दर्ज किया गया था । अपनी गिरफदारी को लेकर आतुर सांसद जो कानून विशेषज्ञ होकर जज रहे है के पक्ष में कोर्ट का फैसला आना और उसके अनुसार चौकी को लेकर गंभीर सवालों के साथ अंततः चौकी का तोड़ा जाना, इन सबने पुलिस अधीक्षक को भी न सिर्फ सवालों के घेरे में खड़ा किया बल्कि भाजपा को बार बार ये कहने का मौका मिला की अधिकारी कांग्रेस और मंत्री वर्मा के दबाव में काम कर रहे है ।
जिलाधीश डॉ श्रीकांत पांडेय ने जब पिछले दिनों शहर में सद्भावना दिवस पर शांति समिति की वैठक बुलाई थी तब सांसद ने बैठक की सूचना ऐनवक्त पर देने के प्रति अपना आक्रोश जताया था । इस बात पर जिलाधीश ने भाजपा सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी को एक चिट्ठी लिखकर ये तर्क दिए थे कि उनका आक्रोश आधारहीन है और उन्हें समय पर सूचना देने के कुछ दस्तावेज भी पत्र के साथ नत्थी किये थे । चिठ्टी का जवाब चिठ्टी से देते हए सांसद ने एकाधिक बार लिखा कि आप प्रशासनिक अधिकारी के बजाय मंत्री सज्जनसिंह वर्मा के प्रभाव में काम कर रहे है साथ ही सांसद ने तथ्यपूर्ण तर्कों के साथ ये भी कहा कि बैठक का समय पहले दो बजे दोपहर का था जिसे अचानक 11 बजे का कर दिया गया और उन्हें सूचना 10.55 पर फोन पर दी गई ।
ये तीनों घटनाएं ये इंगित करने को पर्याप्त है कि सत्ताच्युत हुई भाजपा और सत्तानशीं कांग्रेस के नेताओं की नूराकुश्ती के बीच शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों की जो स्थिति जनता के बीच बन रही है वो वाकई विचारणीय है । इधर नगर निगम में ,थानों में, जनसुनवाई में यहां वहां धक्के खाती जनता की बात पर कान देने का समय न तो राजनेताओं के पास है और न अधिकारियों के पास ।
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