सुभाष चौक पर पुलिस का अतिक्रमण या दिया तले अंधेरा !

चौकी निर्माण को लेकर आमने-सामने एस पी और सांसद, अपराध दर्ज 
महापौर ने दिया प्रेसनोट- पुलिस को बताया तानाशाह, मामला हुआ हाई प्रोफाइल


देवास । शहर के सुभाष चौक पर स्थित एक लोहे की गुमटी को हटाकर पुलिस प्रशासन द्वारा पक्का निर्माण करवाया जा रहा था जिस पर पीछे स्थित व्यापारियों को आपत्ति थी लिहाजा उन्होंने मामला सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी को अवगत कराया था। सांसद ने इस संबंध में पुलिस कप्तान चन्द्रशेखर सोलंकी से फोन पर बात की जिसे शहर में इस प्रकार फैलाया गया कि एस पी साहब और सांसद में तीखी नोंक-झोंक हुई। संभवतः सांसद ने अपने न्यायाधीश वाले अंदाज में पुलिस कप्तान से बात की होगी जिसका एक ऑडियो भी बाजार में काफी शेयर किया गया है जिसमें सांसद ने अपने पूर्व में जज होने का हवाला देकर बातचीत की है। बात तो एसपी के भी प्रेस्टीज की थी। जबकि सांसद ने इस संबंध में कहा था कि मैंने कई बार इस विषय पर एसपी से बात करना चाही लेकिन उन्होंने मेरे फोन का जवाब देना उचित नही समझा। 
आज दिन में उक्त चौकी निर्माण स्थान के विडियों मार्केट में आ गये जिसके आधार पर पुलिस ने आज देर शाम सांसद और उनके साथ उपस्थित समर्थकों पर विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर लिया । उक्त विडियों में सांसद अपने समर्थकों के साथ उपस्थित थे और समर्थक चौकी की दीवार को तोड़ रहे थे। 



संवेदनशील क्षेत्र है चौकी  , निकलती हैं कई यात्राएं 
सुभाष चौक के आसपास सराफा व्यापारियों की अधिकतर दुकानें हैं तथा उक्त स्थान से कई आयोजन और जुलुस निकलते रहते हैं। मुख्य मार्ग होने से यहां अक्सर जाम की स्थिति बन जाती है। किसी भी विपरीत परिस्थिति से कुछ अनहोनी घटनाओ से निजात पाया जा सके इसीलिए निर्माण होना बताया जा रहा था।


पक्के निर्माण के संबंध में नही कोई खबर ... कोई विभाग के जिम्मेदार नहीं आये शिकायत करने
उक्त पुलिस चौकी जिस स्थान पर स्थित है उस स्थान पर किसका आधिपत्य है यह अभी स्पष्ट नही हुआ है। क्योंकि पुलिस की अस्थायीचौकी वहां कई वर्षों से रखी हुई थी और किसी प्रकार की पूर्व में कोई अप्पत्ति भी इस स्थान  पर नहीं आई थी। अतः उनके अधिकारिक क्षेत्र में होने से कायमी भी पुलिस द्वारा उनके स्वयं के विवेक से कर दी गई जहां तक बात है नजुल और नगर निगम क्षेत्र के अधिकार की तो इन दोनों विभागोें और कार्यालयों के किसी कर्मचारी और व्यक्ति ने उक्त कायमी में अपना पक्ष नही रखा। चूंकि यह क्षेत्र नगर निगम की सीमा क्षेत्र में आता है तो प्रथम आपत्ति नगर निगम की होना था लेकिन शहर के प्रथम नागरिक सुभाष शर्मा ने भी इस विषय में अपना प्रेस नोट जारी किया और इस प्रेस नोट में पुलिस का रवैया तानाशाह का बताया। इसमें निर्माण को लेकर पहले जनप्रतिनिधियों से और वरिष्ठ अधिकारियों से सलाह लेने का भी उल्लेख है। वैसे इस मामले में पुलिस भी कटघरे में खड़ी हो सकती है क्योंकि जहां यह शासकीय संपत्ति स्थित है आखिर वह कौन सी शासकीय संपत्ति है? किस विभाग की है? यदि यह संपत्ति पुलिस विभाग की है तो तो ठीक है लेकिन यदि किसी और विभाग की होगी तो उक्त विभाग ने अभी तक उसके विभाग की संपत्ति को नुकसान पंहुचाने के लिए पुलिस के द्वार क्यों नही खटखटायें? बहरहाल आजकल सरकार मेहरबान तो निर्माण कार्यों का काम भी पुलिस विभाग को ही करना पड़ रहा है। जैसे शिक्षा विभाग में एक थाना क्षेत्र में एक अन्य थाने के निर्माण को लेकर पुलिस विभाग पर पहले भी सवाल खड़े हुए हैं। 
 इधर स्वयं न्यायाधीश जिम्मेदार पदों से आये हैं । जिन्हें कानून का ज्ञान पुलिस से अधिक होना चाहिये, ने समर्थकों और व्यापारियों के साथ कानून का ही उल्लंघन कर डाला । कानून के अत्यधिक जानकार होने के बावजुद कानून का उल्लंघन होना ''दिया तले अंधेरा'' होना ही तो है। 


कल से प्रारंभ हो रहा है भाजपा का किसान आक्रोश आंदोलन  
कल से भाजपा का प्रदेश स्तरीय किसान आक्रोश आंदोलन भी प्रारंभ होना है जिसकी जिम्मेदारी भी सांसद महेन्द्रसिंह सोलंकी पर थी। अब ऐसी स्थिति में जिम्मेदार पर ही पुर्व संध्या में केस दर्ज कर पुलिस की जांच आ गई है। आंदोलन पर असर होना स्वाभाविक है।  
इसमें पुलिस अतिक्रमण कर रही है या फिर सांसद सेवा ? इसका खुलासा तो समय ही करेगा। 


 


 


 


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