युवा पीढ़ी समय का सदुपयोग करना सीखे



 


लेखक :-  शेखर आर्य केहलारी

बिता हुआ समय कभी नही लौटता।

गया समय फिर हाथ नही आता।।

समय का सदुपयोग-जिस प्रकार मुँह से निकली हुई बात, कमान से छुटा तीर,देह से निकली आत्मा,बिता हुआ बचपन, गुजरी हुई जवानी ,नछत्र लोक से टूटे तारे शाखा से टूटी टहनी पेड़-पौधों से कभी फूल नही लौटते उसी प्रकार बिता हुआ समय कभी नही लौटता।

समय का किसी के साथ बंधुत्व मित्रता अथवा जाति-बिरादरी का संबंध नही जो उसे जोर देकर लौटा सके।उस पर किसी का पराक्रम भी नही चलता।करोड़ो स्वर्ण मुद्राओ का कमीशन ओर रिश्वत उसके सम्मुख पानी भरते हैं।उसका कोई 'बॉस'नही जिसका वह दबाव माने।उसका कोई गुरु नही,जिसका वह शिरोधार्य करे।अर्थवेद में सच कहा है-समय(काल) विश्व का स्वामी है (काले हि सर्वस्यश्वर:)

भाई वीरसिंह कहते हैं,'लंघ गया न मुड़के आवदा'(एक बार जो बीत गया वह फिर लौट कर नही आएगा)वर्जिल कहते हैं 'समय पुनः वापस न आने के लिए उड़ा जा रहा है 'सवायम्भूदेव पूछते हैं गया दियाहं कि एन्ति पडीवा' अर्थात गए हुए दिन क्या फिर लौट कर आते हैं? महात्मा गांधी कहते हैं -एक भी मिनट जाता है तो कभी लौट कर वापस नही आता है। 'दास इस कभी न लौटने वाले समय पर दुःख और निराश भरे शब्दो मे कहते हैं---

गुजर गए हैं जो दिन,फिर न आएंगे हरगिज।

कि एक चाल फलक हर बरस नही चलता।।

वेद का कथन - समय(काल)अश्व है।यह अजर एवं भरिवीर्यवान है,पर इसके मुख में सात रश्मिया रूपी रासे भी लगी हुई है।यदि ये रासे सवार के हाथ से निकल गई तो यह समय रूपी अश्व भी सवार के हाथ से निकल जायेगा।लौट कर कभी नही आएगा।

मैथलीशरण गुप्त का भी यही प्रश्न है-हा देव! अब वे दिन कहा है और वे राते कहा है?कल की घाते कि कल की आज है बाते कहा? परन्तु 'बच्चन' बीते हुए कल पर पछतावा नही करते,उसके लौटने की प्रतीक्षा नही करते उसके लिए खोजते नही फिरते।वे तो कहते हैं कि-'जो बीत गई तो बात गयी।' इसीलिए 'बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि लेई।' सतयुग बिता,त्रेता बिता,द्वापर बिता पर लौट कर कोई नही आया। राम राज्य बिता,पर लौट कर उसके दर्शन नही हुए।गीता की वाणी महाभारत के पश्चात कोई नही सुन सका।अतीत को वर्तमान बनाना न नर के वश में है,न देवो के।

सच तो यह है कि पुत्र न होने पर दत्तक पुत्र से वंश चलाया जा सकता है।चरित्र का पतन होने पर पुनः चरित्रवान बना जा सकता है।घाटा होने पर लाभ अर्जित किया जा सकता है।मृत्यु के मुँह से भी आदमी निकल सकता है,पर आज तक ऐसी कोई घड़ी नही जो बीते हुए घंटो को पूनः बजा दे।कहना पड़ेगा समय सबसे महान है-परमात्मा से भी, जगत नियंता से भी ओर प्रकृति से भी भक्ति, तप,साधना आदि साधनों से परमात्मा को तो प्रसन्न करके बुलाया जा सकता है, किन्तु कोटि उपाय करने के बाद भी बिता हुआ समय नही बुलाया जा सकता है।

अतः व्यक्ति को जो समय मिले उसका सदुपयोग करना चाहिए।जैसे समय पर बोया बीज उचित फल देता है,वैसे ही समय पर किया गया कार्य भी उचित फल प्रदान करता है।अन्यथा कार्य की असफलता के कारण व्यक्ति को निरंतर पश्चाताप की आग में जलना पड़ता है।



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