कैसे बचेंगी बेटियां
रितेश दुबे
बडवाह जिला खरगोन
देश में पिछला एक सप्ताह जैसे बेकसूर युवतियों पर कहर बनकर बरपा है। केंद्र और राज्य की सरकारें भले ही महिला सुरक्षा को लेकर दावे करती हो लेकिन देश के चार अलग-अलग राज्यों में इस एक सप्ताह में महिलाओं के साथ जो बारदात हुई है उसकी दास्तां सुनकर रूह कांप जाती है। फिर चाहे वो तेलंगाना में 27 वर्षीय महिला पशु चिकित्सक की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या हो या फिर झारखंड में पहले चरण के मतदान से ठीक दो दिन पहले युवती से 12 लोगों द्वारा किया गया सामुहिक दुष्कर्म हो। बिहार के कैमूर में नाबालिग संग कार में सामूहिक दुष्कर्म के बाद उस वीडियो वायरल करने की घटना हो या फिर अहमदाबाद में नाबालिग संग उसके मंगेतर के सामने सामुहिक दुष्कर्म का मामला हो। इन सभी घटनाओं में हैवानों की शिकार बनी युवतियां सरकारों और आम आदमी की तरफ देखकर पूछ रही हैं कि आखिर उनकी गलती क्या थी। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने तेलंगाना में हुई दर्दनाक घटना के बाद पीड़ित के परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सभी राज्यों को महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाने के लिए एडवाइजरी जारी करेगी, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। परन्तु इन घटनाओ से पाशविकता की और जाती मानव सोच और इस कुंठित मानसिकता के दुष्टपरिणामो पर अंकुश लगाने का अब तक कोई कारगर विकल्प सामने नहीं आया है। गुड टच बेड टच का ज्ञान, आत्मरक्षा के गुर और शासन द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर सभी इन घटनाओ को रोकने में नाकाम साबित हुए है समूचे देश का गुस्सा चरम पर है और अब ये गुस्सा वीभत्स और हिंसक होने की कगार पर है । अश्लीलता फ़ैलाने वाले टीवी चैनल वेब साईट और तमाम सोशल मिडिया प्लेटफार्म क्या इस कुंठित सोच के जनक नहीं है । जनता इन घटनाओ के लिए आरोपियों को बीच चौराहे पर फांसी देना चाहती है । अगर जल्द ही प्रशासन ने इन दुष्कृत्यो के लिए कोई ठोस उपाय ना सोचा तो जनता न्याय करने पर उतारू होगी और तब प्रशासन के लिए स्थितियां विकट होंगी। सामाजिक अनुशासन और सांस्कृतिक नैतिक शिक्षा की परम आवश्यकता है । तमाम समाजसेवी संस्थाओ और सामाजिक संगठनों का ये दायित्व है की इस विषय पर मंथन करे और बेटी बचाने के अभियान शुरू करे जिसमे बेटियां स्वयं अपनी सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भर हो सके।
Comments
Post a Comment