लॉकडाउन में सेवा, समर्पण और संवदेना..., 'खाकी' के फर्ज के साथ निभा रहे मानवता का धर्म
मासूम बच्चों को लेकर इंदौर से पैदल ने गांव खिड़क्या लौट रहे थे मजदूर,
(अनिल उपाध्याय) खातेगांव/मध्यप्रदेश
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव सिर्फ घरों में रहकर ही किया जा सकता है। लेकिन उन लोगों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है, जो दो वक्त की रोटी के लिए दिनभर मेहनत-मजदूरी करते हैं। ऐसे लोगों के लिए मध्यप्रदेश के खातेगांव पुलिस मददगार बन रही है। लॉकडाउन में ड्यूटी के साथ पुलिसकर्मी मानवता का भी धर्म निभा रहे हैं। इंदौर बैतूल नेशनल हाईवे 59a से 40 से 50 लोग पैदल गुजर रहे हैं !जिनमें कुछ दूधमुही बच्ची तो कुछ मासूम बच्चे भी शामिल हे! यह लोग इंदौर में फैक्ट्री में काम करने वाले परिवार है जो इंदौर से पैदल चलकर अपने घर हरदा जिले के ग्राम खिड़कियां जा रहे हैं! भूखे-प्यासे पैदल चल रहे इन लोगो के
माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हे बच्चे को गोदी में उठाए हैं, सिर पर सामान रखे हुए हैं। पैदल जाने वाले लोगों को
पुलिस आरक्षक जितेंद्र तोमर ड्यूटी पर तैनात नगर पंचायत की महिला कर्मचारी रानी जाधव एवं अनीता रावत को साथ लेकर उनसे पूछा तो उन्होने बताया की
कि वे सभी लोग इंदौर की फैक्ट्री में काम करते हैं !करोनो वायरस के चलते इंदौर के हालात अब ठीक नहीं है! उनके सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया! अपनी और बच्चों के भविष्य की चिंता को देखते हुए उन्होंने वापस अपने गांव लौटने का निर्णय लिया और वह पैदल ही निकल पड़े लेकिन खातेगांव में में जो अपनापन देखने को मिला महसूस हुआ उसे हम कभी नहीं भूल पाएंगे कितने अच्छे लोग हैं यहां से कितनी अच्छी पुलिस और कितने अच्छे कर्मचारी है जिन्होंने हमारे दुख दर्द को अपना समझा सबसे पहले उन्होंने हमारी सरकारी अस्पताल में जांच कराई सभी को स्कूल में ठहराया और उसके बाद भोजन कराकर अब हमारे लिए हमारे घर तक पहुचाने की व्यवस्था कर हमे हमारे गांव तक पहुंचाया जा रहा हे! खातेगांव पुलिस द्वारा जो मानवता का परिचय दिया जा रहा है उसकी सभी लोगों द्वारा तारीफ की जा रही है!
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