जिम्मेदारों शर्म करो ! आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बांट रही थी गोलियां, आ गई मौत ! कोरोना में योध्दा के परिवार पर टूटा यह कैसा पहाड़ ?


पति, बेटे और छोटी बेटी के सामने भूखे मरने की नौबत महिला घर की मुखिया होने के नाते जो भी वेतन मिलता था उसमें परिवार करता था गुजर बसर



आंगनवाड़ी में आशा कार्यकर्ता की कोरोना महामारी के चलते क्षेत्र में गोलियां वितरण के दौरान भीषण गर्मी के कारण घबराहट होने से मौत !


ओंकारेश्वर मांधाता, आकाश शुक्ला  ✍



ओंकारेश्वर पवित्र तीर्थ नगरी से 9 किलोमीटर दूर इनपुन पुनर्वास स्थल में निवास करने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती ममता घाटे की दिनांक18/4/2020 को कोरोना महामारी के चलते क्षेत्र में गर्भवती एवं अन्य महिलाओं को दवाई वितरण कर रही थी। इसी दौरान भीषण गर्मी के चलते घबराहट होने के बाद मौत हो गई। मौत के बाद शासन प्रशासन के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचकर बड़े-बड़े आश्वासन देकर गायब हो गए। मांधाता विधायक नारायण पटेल ने भी अपने लेटर पैड पर लिखकर कलेक्टर को पत्र दिया लेकिन उसके बावजूद भी गरीब परिवार को किसी भी प्रकार से विभाग एवं शासन, प्रशासन के द्वारा किसी भी प्रकार की अभी तक सहायता राशि नहीं मिली। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने कोविड 19 महामारी को लेकर पूरे प्रदेश में ढोल पीटे हैं कि कोरोना योध्दा को पूरा सम्मान दिया जाएगा। उनके परिवार की सहायता की जाएगी। लेकिन प्रदेश सरकार की यह मंशा समझ से परे है और यहां दूर के ढोल सुहाने होते हैं, वाक्य प्रदेश सरकार के रवैये को साबित कर रहा है। 



                 मृतक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती ममता घाटे की एक छोटी पुत्री और पुत्र को छोड़ गई वही पति मेहनत मजदूरी का कार्य कर दोनों मिलकर परिवार का गुजर बसर करते थे। अब पूरे परिवार के सामने दो वक्त के खाने के लाले पडे़ हुए हैं। पूरा परिवार के मुखिया के रूप में महिला की मौत के बाद दुखी तो है ही लेकिन परिवार के सामने भूखे मरने जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। शासन-प्रशासन की ओर से सहायता मिलने की आस लगाए परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट चुका है। जिले भर के आला अधिकारियों के सामने आवेदन लगाने के साथ-साथ परिवार जनप्रतिनिधियों और कार्यालयों के चक्कर काट रहा है मगर किसी भी अधिकारी सहित महिला एवं बाल विकास विभाग के कानून पर जू तक नहीं रेग रही है। 



देखना होगा कि प्रदेश सरकार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की कितनी चिंता करता है ? या फिर इन्हें केवल तपती दोपहरी में जान देने के लिए ही काम पर लगाया है। जबकि प्रदेश में शिवराज सरकार सोशल मिडिया और अन्य माध्यमों से जनता की सेवा का गान करते नही थक रहे हैं। जनप्रतिनिधियों और विभिन्न स्थानों पर इस मामले को आ जाने के बाद भी प्रशासकीय अधिकारी और संबंधित विभाग मौन क्यों हैं ? क्या उन्हें इस मामले में अपने ही कर्मचारी के घर की चिंता नही हैं। 



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