खुशयाला में आयोजित सत्संग कार्यक्रम में शिवरात्रि पर उमड़ी श्रद्धालुओ की भारी भीड़
भगवान शिव पर अटूट श्रद्धा के कारण सिद्ध सन्त बने भक्तराज कालू बाबा - वेदान्त सागर
विनोद पटेल की रिपोर्ट
झिरन्या:- परमात्मा की प्राप्ति के दो ही मार्ग है या तो पूर्ण श्रद्धा या पूर्ण विवेक । भक्तराज कालू बाबा की भगवान शिव पर अटूट श्रद्धा थी इस श्रद्धा ने भक्ति का रूप लिया भक्ति ने साधना का और साधना ने तपस्या का जिसके फलस्वरूप शिव कृपा से कालू बाबा एक साधारण चरवाहे से महान सन्त भक्तराज कालू बाबा बन गए । कालू बाबा ने सन 1947 से 1967 तक खुशयाला , देशगांव के समीप देवझिरी और राजपुरा के पास महादेव गुफा में कठोर साधना की थी और साधना के कारण प्राप्त तपोबल से उन्होंने उस समय हजारो लोगो के दुख दूर किये उनकी मनोकामनाएं पूर्ण की । कालू बाबा दुसरो की मन की बात जाने लेने वाले अन्तर्यामी थे ।उन्होंने सन 1968 में खुश्याला में जीवित समाधि ली, तब से आज तक उनके नाम का खुशयला में मेला लगता है शिवरात्रि पर यहां श्रद्धालुओ की भारी भीड़ उमड़ती है जो कालू बाबा द्वारा प्रगट स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन हेतु आते है . यह बात शिवरात्रि के दिन खुशयला में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम के दौरान सन्त वेदान्त सागर ने कही । उन्होंने शिवरात्रि का महत्त्व शिव पार्वती विवाह समुद्र मंथन पाप पुण्य क्या है दान का महत्त्व आदि विषयों पर भी अपने उद्गार प्रगट किये . प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी ग्राम अम्बाडोजर के मुस्लिम समाज के श्रद्धालुओ ने भक्तराज कालू बाबा की समाधि पर चादर चढ़ाई . उन्होंने कहा भक्तराज कालू बाबा हम सबके भी आराध्य है खुशयाला अगर भगवान शिव के मंदिर के कारण हिन्दुओ का काशी है तो भक्तराज कालू बाबा की समाधि के कारण हमारा काबा है यह स्थान हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक है । शिवरात्रि पर ग्राम आरूद के गुलाबचन्द पटेल की ओर से शिवमंदिर के नव निर्मित शिखर पर कलश चढ़ाया गया । भक्तराज कालू बाबा ट्रस्ट के सदस्यों ने बताया कि खुशयाला में अगले दो दिन और सत्संग चलेगा शुक्रवार को भगवान कृष्ण के जीवन चरित्र का विस्तार से वर्णन किया जाएगा और शनिवार को विशाल भंडारा आयोजित होगा ।
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