ऐसे कैसे संवारोगे शंकरगढ़ को ? उत्खनन या प्रायोजन ! शंकरगढ़ पर मुरम का खनन जारी !
राहुल परमार, देवास। शहर में शंकरगढ़ पहाड़ी पर हुए आयोजनों के बारे में तो आपने सुना ही होगा। संभवतः कई पाठकगण उक्त स्थान पर घूमकर भी आये होंगे। यहां का कायाकल्प करने के लिए जिले के कई विभागों ने सक्रियता दिखाई थी। लाखों के खर्चों के बाद इस पहाड़ी का कायाकल्प बतौर पर्यटन किया जा रहा था। ताकि जो इस पहाड़ी की सुंदरता उत्खनन के बाद समाप्त हो गई थी, वही वापस किसी अन्य रुप में संवारी जा सके । इसलिए देवास के प्रशासनिक अमले ने मिलकर यहां कई कार्यक्रम पिछले कुछ समय में आयोजित किये थे। जिसमें इस पहाड़ी का एक बड़ा क्षेत्र शामिल है। लेकिन पिछले कुछ समय से इसी पहाड़ी के पीछे राजोदा ओर से आने वाले मार्ग पर मुरम की खुदाई जारी है। क्या शंकरगढ़ की सुंदरता बिगाड़ने में कोई कमी रह गई थी जो अब पुन : यहा खुदाई की अनुमति दे दी गई है ? बड़ा प्रश्न तो यह है कि जब यहां कायाकल्प ही होना है तो फिर खुदाई किस बात की। और यदि किसी प्रकार की खुदाई नही है तो फिर अवैध उत्खनन क्यों ?
इस बारे में अलग-अलग लोगों की अलग-अलग बातें सामने आ रही है। कुछ क्षेत्रीय लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यहां तालाब निर्माण किया जाएगा। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यह तो प्रशासन की अनुमति से हो रहा हैं। वहीं मौके पर मौजूद एक व्यक्ति ने तो एक जनप्रतिनिधि का नाम बता दिया कि उन महाशय की अनुमति से ही सब हो रहा है। कुल मिलाकर अंधेर नगरी चौपट राजा की कहानी सार्थक होते दिख रही थी।
इधर जिम्मेदार विभाग ने हर बार की तरह इस बार भी फोन नही उठाकर अपनी निष्क्रियता साबित कर दी है। बहरहाल यह उत्खनन वैध है या अवैध यह तो कल विभाग खुलने पर ही पता चलेगा। यदि यह वैध है तो फिर बिना नियमों के पालन के कैसे उत्खनन किया जा रहा था और यदि यह उत्खनन अवैध है तो फिर शहर से कुछ ही दूरी पर अधिकारियों को आंख दिखाकर कैसे खुलेआम अवैध उत्खनन कर शंकरगढ़ पहाड़ी की सुंदरता को समाप्त करने में लगा था, यह अभी भी बड़ा प्रश्न बना हुआ है।
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