ठेकेदार का घटिया काम नगर निगम की बन रहा पहचान ? आखिर यंत्रियों को किस बात की मिल रही पगार ?
देवास, राहुल परमार। नगर निगम में कई यंत्री पदस्थ हैं। जिनकी पदस्थापना इन उद्देश्यों से की गई होगी कि वे शहर में हो रहे विकास कार्यों की गुणवत्ता का निर्धारण कर सके लेकिन शहर में हो रहे निर्माण कार्यों का ध्यान नगर निगम के जिम्मेदार ध्यान नही दे पा रहे हैं। पिछले दिनों वार्ड 25 में एक नाली निर्माण का मामला नगर निगम के जिम्मेदारों के सामने आया था लेकिन वहां निरीक्षण करने के बजाय उस नाली के निर्माण को नजरअंदाज कर दिया गया। संभवतः वहां के एक नेताजी से सेटिंग के चलते ही ठेकेदार को काम मिला होगा। तभी तो ठेकेदार ने क्षेत्रीय लोगों तक को अंगूठा दिखा दिया। क्षेत्रीय लोगों को बता दें हो सकता है ये नेताजी आपके वोटों के दम पर आपके क्षेत्र में चुनावी चेहरा लेकर पंहुच जाये और फिर अंतिम दौर में अपनी वाहवाही लूटने के लिए घटिया काम करा दें। यहां एक बड़ा प्रश्न यह भी है कि जब क्षेत्र में घटिया निर्माण कार्य हो रहा है तो कोई भी जनसेवक इसके विरोध के लिए आगे क्यों नही आ रहा है। संभवतः नगरीय निकाय आगे जा चुके हैं और आरक्षण फिलहाल सभी के लिए अभी तक प्रश्न बना हुआ है। इसी वजह से कोई भी नेताजी यहां घटिया कार्यों के विरोध का भांडा अपने सिर पर नही लेना चाहता है। यदि उक्त क्षेत्र से उनकी कोई चुनावी गरज होती तो निश्चित रुप से वे अभी तक आ धमकते ? वैसे शहर में विकास कार्यों के प्रारंभ होने से पहले भी विरोध होता है । यह बात अलग है कि उक्त विकास का आमजन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? एबी रोड पर बनने वाला सेतु इसका विशेष उदाहरण माना जा सकता है।
DEWAS- डस्ट चूरी से हो रहा लाखों की नाली का निर्माण, जिम्मेदार हुए छूमंतर ?
इधर नाली निर्माण में कोई भी जिम्मेदार यंत्री मौके पर नही पंहुचा। इससे बड़े लापरवाह इंजिनियर और कहां मिलेंगे ? यह देवास का ही दुर्भाग्य है कि यहां जिम्मेदार सत्ता के चाटुकार नेताओं के साथ मिलकर लोकतंत्र की व्यवस्थाओं को भंग करने में लगे हैं और जनता हमेशा की तरह इनका मुंह देखकर मौन हैं। जब इन अधिकारियों को नेताओं के ठेके ही काम करने के लिए दे दिये जाते हैं तो फिर ये सेवक पगार किस बात की लेते हैं ?
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