इसलिए मनाया जाता है ‘राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस’ ? दुनिया के अन्य देशों में अलग-अलग है तारीखें !

  •  गांधीजी के निजी डॉक्‍टर थे बीसी रॉय !
  • हर साल 1 जुलाई को देश मनाता है ’नैशनल डॉक्‍टर्स डे’ ! 
  • भारत में 1991 से राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाने की शुरुआत हुई 
  • डॅा विधानचंद्र राय को भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है 
  • अपनी कमाई के हिस्से को समाज में दान करते थे डॉ राय 
  • डॉक्टर के साथ स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता भी रहे
  • 1948 में वे बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री बने 

इस समय जब पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है। तब डॉक्टरों की महत्वपूर्ण भूमिका और उनकी कड़ी मेहनत को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। डॉक्टरों को समाज में भगवान का दर्जा प्राप्त है। अब जो लोग समाज और देश की सेवा में अपनी जान की चिंता किए बगैर दिन रात लग रहते हैं। उनके लिए साल का एक दिन तो समर्पित होना ही चाहिए। और इस एक दिन को देश भर मे डॉक्टर्स डे के रुप में मनाया जाता है। 

सबसे पहले
भारत सागर न्यूज के दर्शकों को बता दें कि डॉक्टर्स डे क्यों मनाया जाता है ? 

भारत में 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस यानी नेशनल डॉक्टर्स डे के तौर पर मनाया जाता है। यह दिन देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के पुर्व मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय की याद में मनाया जाता है। उनका जन्म 1 जुलाई 1882 में हुआ था और इसी दिन साल 1962 में 80 वर्ष की उम्र उनका निधन हो गया था। बिधान चंद्र रॉय की गिनती देश के महान चिकित्सकों में की जाती है। इतना ही नहीं विश्वभर में चिकित्सा के क्षेत्र में उनका अहम योगदान रहा है।

बिधान चंद्र रॉय का जन्म बिहार के पटना शहर में 1जुलाई 1982 में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रकाश चंद्र था। बिधान चंद्र रॉय अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटे थे। उन्होंने अपनी मेडिकल की पढ़ाई कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से पूरी की। इसके बाद उन्होंने लंदन से थ्त्ब्ै और डत्ब्च् उपाधि प्राप्त की।



डॉ. रॉय के बारे में यह भी कहा जाता है कि भारतीय होने के कारण पहले उन्हें लंदन के अस्पताल में दाखिला नहीं दिया गया था, पर डॉक्टर बिधान हिम्मत हारने वालों में से नहीं थे और लगातार आवेदन करते रहे। आखिरकार 30वीं बार में उनका आवेदन पत्र स्वीकार कर लिया गया। डॉक्टर रॉय इतने मेधावी थे कि दो साल में ही उन्होंने एक साथ फिजिशियन और सर्जन की डिग्री हासिल कर ली। 1911 में बिधान चंद्र रॉय भारत वापस आ गए और सियालदाह में सरकारी डॉक्टर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की।

बिधान चंद्र रॉय डॉक्टर के साथ साथ समाजसेवी, आंदोलनकारी, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता भी थे। देश के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। गांधी जी के आग्रह पर उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और और इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी में आ गए। प्रफुल चंद्र घोष के बाद 1948 में वे बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री बने और 1 जुलाई 1962 में अपने निधन तक वो इस पद पर बने रहे। उन्हें पश्चिम बंगाल का आर्किटेक्ट भी माना जाता है।

आपको बता दें डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय के बारे में एक बात और बहुत प्रचलित है की वो जो भी आय अर्जित करते थे वो सब दान कर दिया करते थे। उनकी इसी निस्वार्थ भाव से समाज और देश की सेवा करने के जज्बे को सम्मान और श्रद्धांजलि देने के लिए 1 जुलाई को उनके जन्मदिन और पुण्यतिथि को नेशनल डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है।

एक बात और.....! दुनियाभर में डॉक्टर्स डे अलग-अलग तारीखों पर मनाया जाता है। ब्राजील में डॉक्टर्स डे 18 अगस्त को मनाया जाता है। वहीं ईरान में 23 अगस्त और अमेरिका में यह दिन 30 मार्च को मनाया जाता है। 

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