कलयुग का श्रवण ! पिताजी कहते घोड़ा ले आना बेटा .... और 70 वर्षीय पिताजी की ईच्छा हुई पूरी ... Kalyug ka shravan

 


राहुल परमार, देवास। शहर में वरिष्ठ वर्ग युवाओं में चर्चा का विषय बना हुआ है। कहीं दादी कार चला रही है तो कहीं वरिष्ठ घुड़सवारी और स्कूटी की सवारी का लुत्फ लेते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसी बीच 70 वर्षीय वरिष्ठ ने अपने बेटे से घोड़े पर बैठने की ईच्छा जाहिर की। लेकिन घोड़े को खरीदने और उसका ख्याल रखने के लिए जिन आवश्यक खर्चों और साधनों की आवश्यकता होती है, उनकी व्यवस्था न हो सकी । लेकिन मित्रों की सलाह के बाद बेटे को आखिर घोड़ा मिल ही गया जिससे न तो उसे आवश्यक साधनो की व्यवस्था करना पड़ी और न ही खर्चों की .... 

फिर क्या था अपने 70 वर्षीय पिताजी की ईच्छा को पूरी की देवास के पत्रकार प्रवीण आचार्य ने। कलयुग में जहां कई बच्चे अपने माता पिता को वृध्दाश्रम और अकेला छोड़ आते हैं ऐसे में कई लोगों के लिए प्रेरणा बने प्रवीण को कलयुग का श्रवण कहा जा सकता है। 



जानकारी देते हुए प्रवीण आचार्य ने कहा कि सर्वप्रथम भगवान आपके माता-पिता होते हैं, लोग भगवान का मंदिर मस्जिद में ढूंढते हैं उनके दर्शन करने के लिए बड़ी दूर दूर जाते हैं मगर जो असली भगवान है वह आपके माता पिता है क्योंकि उन्होंने ही आपको जन्म दिया है उन्होंने अपने सारे सपनों को एक तरफ करके आपके सपने पूरे किए हैं इसीलिए आप भगवान को मंदिर मस्जिद में ना ढूंढो भगवान का साक्षात आपके सामने होता है, आपके माता पिता उनका सम्मान करो, मैं लगभग डेढ़ वर्ष का था जब मम्मी का देहांत हो गया उसके बाद से आज तक मेरे पिताजी ने मुझे मां बाप भाई बहन सबका प्यार दिया अब मेरे पिताजी पिछले 3 वर्षों से लकवे की बीमारी से जूझ रहे है। मेरे पिताजी पिछले कई दिनों से मुझसे लगातार कह रहे हैं कि बेटा मुझे एक घोड़ा चाहिए सुबह जब मैं घर से निकलता हूं तब वह कहते है कि मेरे लिए घोड़ा लेकर आना और मैं उनको कहना था कि हां पापा मैं रात को लेकर आऊंगा जब रात  मैं 2ः00 बजे 3ः00 बजे घर पहुंचता था तो मेरे पापा उठकर मुझसे सिर्फ एक सवाल कर ते बेटा मेरे लिए घोड़ा  लेकर आया मैं उन्हें आश्वासन देता था कि हां पापा मैं जरूर लेकर आऊंगा कल रात को मेरे पिताजी ने मुझसे कहा कि बेटा मुझे बस एक बार घोड़ा लाकर दे दे उनकी यह बात सुनकर मुझे लगा कि इनकी दिल से इच्छा है इसे पूर्ण करना मेरा कर्तव्य बनता है मे जब मार्केट में घोड़ा देखने गया तो थोड़ा बहुत महंगा था और उसको रखने के लिए मेरे पास जगह भी नहीं थी क्योंकि मैं भी किराए के मकान में रहता हूं फिर मैंने सोचा कि क्यों ना मैं किराए पर घोड़ा मंगवा कर मेरे पापा की यह इच्छा पूरी करु मैंने तुरंत अपने दोस्तों से संपर्क किया मेरे मीडिया के साथी मेरे भाई चेतन योगी जी ने मेरी बात सुनकर  गंभीरता से लेते हुए घोड़े का इंतजाम किया और आज मेरे पापा घोड़े पर बैठकर बहुत प्रसन्न हुए और उनको इतना खुश देख कर मेरा दिल भर आया। 



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