कन्नौद - डीलिस्टिंग की माँग को लेकर हजारों जनजाति लोगों ने प्रदर्शन कर रैली निकाली



देवास। अनुसुचित जनजाति के कल्याण के लिए भारत के संविधान में विशेष प्रावधानों का उल्लेख है। स्वतंत्रता के बाद सामाजिक न्याय की स्थापना के लिये केन्द्र एवं राज्य सरकारों ने भरसक प्रयास किये। दुर्भाग्य से अनुसूचित जनजाति के लिये प्रदत्त आरक्षण और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ कन्वर्टेड ईसाई ले रहे है, जो किसी भी स्थिति में जनजाति का भाग नही है। कन्वर्टेड ईसाईयों को अनुसूचित जनजाति की सुची से बाहर करने के लिये जनजाति समाज डीलिस्टिंग की माँग कर रहा है।



डीलिस्टिंग की माँग करते हुए रविवार को कन्नौद में हजारों जनजाति लोगों ने प्रदर्शन एवं रैली आयोजित की। डिलिस्टिंग का मुद्दा आज का नही है। देश के पूर्व नागरिक उड्डयन एवं संचार मंत्री रहे कार्तिक उरांव ने 70 के दशक में ही इस पहचान के संकट को समझ लिया। ईसाई लॉबी के दबाब में भले ही इंदिरा गांधी ने कार्तिक उरांव औऱ 348 सांसदों की अनसुनी कर दी हो, लेकिन अब जिस तरह से डिलिस्टिंग का मामला देश भर में उठ खड़ा हुआ है। कन्नौद में हुई डिलिस्टिंग महारैली कन्नौद शहर के कृषि उपज मंडी प्रांगण से प्रारंभ हुई एवं नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए रैली का समापन कृषि उपज मंडी में हुआ। रैली में देवास जिले के 250 गांवों से जनजाती समाज के हजारों नागरिक सम्मलित हुए। 





    






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