आयुक्त के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष बंगले पर दुविधा की स्थिति, कौन हो बंगले का अधिकारी ?


भारत सागर न्यूज, राहुल परमार, देवास। शहर में शनिवार को पूर्व मंत्री और विधायक सज्जनसिंह वर्मा ने प्रेस वार्ता कर जिला पंचायत अध्यक्ष वाले बंगले पर अपनी बात रखी। बता दें शहर में यह कोई पहला किस्सा नहीं है बंगले को लेकर। बंगले को लेकर पहले भी अधिकारियों ने सीमाएं लांघ चुके हैं हालांकि इस बार पूर्व मंत्री द्वारा बंगला आवंटित करने को लेकर आरोप है और पूर्व में आयुक्त बंगला निर्माण से संबंधित मामला सामने आया था। 

सज्जनसिंह वर्मा के अनुसार जिला प्रशासन मुख्यमंत्री के इशारे पर काम कर रहा है।। जिला पंचायत अध्यक्ष कांग्रेस का पिछले दिनों चुना गया था, उन्हें अब तक शासकीय भवन जिला प्रशासन की ओर से स्वीकृत क्यों नहीं हुआ है ? पूर्व मंत्री ने प्रेस वार्ता में अपनी ओर से बात रखकर आरोप लगाते हुए कलेक्टर को मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक के इशारों पर काम करने वाला बताते हुए कहा कि जिस अधिकारी को जिला पंचायत अध्यक्ष का बंगला अलाट किया गया है क्या वह जिला पंचायत अध्यक्ष से बड़ा है ? उन्होनें कहा कि महापौर का शासकीय निवास किसी अधिकारी को अलाट करके बताओ, उन्होनें कहा कि प्रजातंत्र में जनप्रतिनिधियों के साथ इस तरह का अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

बंगले पर कांग्रेस की दलित राजनीति

    वर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि जिला प्रशासन शिवराज सिंह चौहान के हथियार के रूप में काम कर रहा है मैं भी दलित हुं और जिला पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती लीला देवी अटेरिया भी दलित है। मुझे शिवराज सिंह चौहान ने आज तक भोपाल में बंगला नहीं दिया है, जबकि मैं विधायक सांसद मंत्री रह चुका हूं। जिला पंचायत की अध्यक्ष को भी कलेक्टर चन्द्रमौली शुक्ला ने आज तक शासकीय आवास अलाट नहीं किया है। यह सरासर अन्याय है। इस के पूर्व जितने भी जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं सभी को सिविल लाइंस स्थित बंगला अलाट किया गया है। लेकिन जैसे ही एक दलित महिला जिला पंचायत की अध्यक्ष बनी कलेक्टर ने वह बंगला अधिकारी को अलाट कर दिया। इसी के साथ वर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि सांसद और विधायक के इशारे पर कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला काम कर रहे हैं। क्या जिस अधिकारी को बंगला आलाट किया गया है वह जिला पंचायत अध्यक्ष से बड़ा है। मैं तो एक क्षेत्र का विधायक हुं, जिला पंचायत अध्यक्ष तो पूरे देवास जिले की अध्यक्ष है। 


क्या था आयुक्त के बंगले का मामला - 

इससे पहले युवक कांग्रेस के मनीष चौधरी ने भी शहर के एक शासकीय बंगले को लेकर प्रश्न किया था और वह बंगला था नगर निगम के आयुक्त का । बता दें उस समय मनीष चौधरी ने एक नुक्कड़ नाटक में कहा था कि नगर निगम के कमिश्नर का बंगला एक करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है जबकि स्वीकृत राशि 40 लाख की ही है। नियमों को ताक पर रखकर अधिक राशि खर्च की जा रही है जो जनता की गाढ़ी कमाई और जनभागीदारी से प्राप्त राशि का दुरुपयोग है। इसके अलावा जानकारी अनुसार उक्त बंगला पहले उज्जैन रोड पर ब्रिज पार करने के बाद मंदीर के समीप में स्थित हुआ करता था लेकिन वीआईपी कल्चर हावी होने के चलते इस बंगले ने अपना स्थान बदलकर सिविल लाइन में कर लिया। अब इसे उठाकर कौन ले गया, यह तो जनता और निर्माण करने वाला ठेकेदार भलीभांति जानता है। हालांकि इसके निर्माण के बाद लगभग दोगुना बिल का भुगतान संबंधित संस्था को किया जा चुका है। प्रश्न यह भी है कि क्या इन बंगलों में स्थायी निवास के भरोसे ही क्या अधिकारी पदार्पण करते हैं ? जो जनता की कमाई का दुरुपयोग किये जा रहे हैं। 



    कुल मिलाकर शासकीय निवासों पर लोकतांत्रिक व्यवस्था भंग सी दिखाई पड़ रही है। क्योंकि जिस बंगले पर कई सालों से जिला पंचायत अध्यक्ष का निवास रहा है, उस बंगले पर अधिकारियों का डेरा जम चुका है। स्थिति साफ है लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है कोई और ही व्यवस्था देवास में चल रही है। अब बंगले को लेकर अधिकारी वर्ग अलग-अलग प्रकार के तथ्य भी रख रहा है। देखना होगा कि जिला पंचायत अध्यक्ष को अपने अधिकारों का अधिकार आखिर कब तक मिलेगा ? 





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