गणगौर तीज अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं ने रखा व्रत

  • नगर में धूमधाम से निकला गणगौर पर्व का चल समारोह
  • राजस्थानी वेशभूषा में निकली महेश्वरी समाज की महिलाएं




भारत सागर न्यूज़/भौरासा निप्र/चेतन यादव। चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि पर गणगौर पर्व मनाने की परंपरा है महिलाए इस पर्व को श्रद्धा पूर्वक मनाती है यूं तो इस त्योहार की शुरुआत होली के दूसरे दिन से हो जाति है और अगले 16 दिनों तक इसे मनाया जाता है चैत्र शुक्ल की तृतीया को इसकी पूर्णता होती है इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं तो वही कुंवारी बालिका मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती है गणगौर तीज को सौभाग्य तृतीया के नाम से भी जाना जाता है रंग और तीज के एक दिन पहले कुवारी और नवविवाहित महिलाएं पूजी हुई गणगोर को नदी तालाब सरोवर में पानी पिलाती है और दूसरे दिन शाम को विसर्जन कर दिया जाता है आज गुरूवार को भोरासा नगर समेत संपूर्ण क्षेत्र में गणगौर का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया और माता गणगौर की पूजा की मां पार्वती के रूप में यह पूजा की जा जाती है और भगवान भोलेनाथ को भी ईश्वर के रूप में श्रद्धा और आस्था के साथ याद किया जाता है इस पर्व पर महिला अपने पति और परिवार की मंगल कामना करती हैं अच्छे वर के लिए बालिकाओ के द्वारा पूजन किया जाता है नगर मे लगातार यह पूजा की जा रही थी गुरूवार को भी पूजन किया गया 16 दिनों से गणगौर माता की पूजा आराधना लगातार की जा रही थी दोहे और मंगल गीत गाए जा रहे थे पिछले 15 दिनों से लगातार नगर मे बाने निकाले जा रहे थे वही माता की पूजा करके मंगल कामना मांगते हुए  गीत गाये गए इस त्यौहार को खासतौर से मंदिरों में मिट्टी की गणगौर माता की मूर्ति बनाई गई थी बाद में उन्हे ठंडा किया गया गणगौर माता से महिलाएं  मंगल कामना करती हैं आज गुरूवार को महिलाओं ने नगर मे एक बाना निकाला और नगर मे अन्य महिलाओ ने भी माहेश्वरी समाज के साथ जुलूस बाना निकाला गया वही महेश्वरी समाज की महिलाएं राजस्थानी ड्रेस पहनकर राजस्थानी वेशभूषा में निकली वही इस वर्ष जिनकी शादी हुई उनके उद्यापन हुए हैं भौरासा
माहेश्वरी समाज महिला संघ अध्यक्ष श्रीमती राधा बलदवा ने बताया कि हर वर्ष हर्षोल्लास के साथ गणगौर का पर्व मनाते हैं जो इस वर्ष भी यह त्यौहार मनाया गया भगवान से अपने परिवार व क्षेत्र की खुशहाली के लिए मंगलकामनाएं की है वही महेश्वरी धर्मशाला से एक बाना निकाला गया जो बजाज साहब के चोपड़े पर पहुंचा यहां पर महिलाओं द्वारा गणगौर माता की पूजा अर्चना कर गीत गाए गए इसके बाद यहां से फिर महेश्वरी धर्मशाला यह बाना पहुंचा और यहां पर इस पर्व का समापन हुआ इस अवसर पर बड़ी संख्या में महेश्वरी समाज की महिलाएं उपस्थित रही,,,,,,, ।

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