वर्णागम शिविर का हुआ शुभारंभ.....
पारंपरिक कलाओं में हमारी संस्कृति महकती है : श्री आनंद देवास। चित्रकला की बहुत पुरानी परंपरा है कलाओं के माध्यम से हम अपनी संस्कृति का साक्षात्कार करते हैं। भारत में अनेक चित्रकला शैलीयां है। जो क्षेत्रीयता के साथ अपनी विनिष्टता लिए हुए है। कलाओं के संवर्धन के लिए आवश्यक सुविधाएं संसाधन होना चाहिए। इसके लिए प्रयत्न करना आवश्यक है। कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन द्वारा नगर निगम, देवास कला वीथिका तथा अभिरुचि ललित कला संस्था के सहयोग से मीठा तालाब पंचवटी में आयोजित वर्णागम शिविर के शुभारंभ अवसर पर वरिष्ठ चित्रकार रमेश आनंद ने विचार व्यक्त किए। अकादमी के निदेशक डॉ संतोष पंड्या ने कहा कि अकादमी पारंपरिक साहित्य एवं कला के अनन्य के लिए प्रतिवर्ष विविध आयोजन करती है। इस वर्ष चुनार शैली में कालिदास के ऋतुसंहार पर केंद्रित चित्रांकन उदयपुर, जयपुर, भीलवाड़ा कोटा के कलाकार करेंगे। शिविर का समापन 3 सितंबर को 4 बजे विक्रम कला भवन में होगा। वरिष्ठ चित्रकार ओमप्रकाश सोनी ने इस अवसर पर कहा कि चुनार शैली अत्यंत प्राचीन है, और कालिदास साहित्य का चित्रण करना हमारे लिए एक श्रेष्ठ अवसर हैं। इस शिविर में