निजी संस्था द्वारा निगम के डैम से पानी लिए जाने की वजह से क्या जल्दी खत्म हो रहा है डैम का पानी?

सामाजिक कार्यकर्ता चौहान ने महापौर जनसुनवाई में दिया आवेदन


देवास। क्षिप्रा बैराज (डैम) के संधारण पर खर्च हो रही राशि को निजी संस्था से लिए जाने, पानी की दर कम करने एवं बिल माफी का संकल्प पारित किए जाने को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता ललित चौहान ने बुधवार को नगर निगम में आयोजित महापौर जनसुनवाई में गीता दुर्गेश अग्रवाल को आवेदन सौंपा।
चौहान ने अपने आवेदन में बताया कि शहर की जनता के पानी की सुविधा के लिए नगर पालिका निगम देवास द्वारा निर्मित क्षिप्रा नदी पर क्षिप्रा बैराज/डेम का उपयोग निजी संस्था देवास वाटर प्रोजेक्ट कर रही है, वह भी नि:शुल्क। जिससे निगम को भारी आर्थिक हानि का सामना करना पड़ रहा है। वही राज्य शासन ने देवास वाटर प्रोजेक्ट को क्षिप्रा बैराज/डैम के उपयोग की नि:शुल्क अनुमति दी है, जिसकी वजह से वर्षा काल में डैम में जो पानी संग्रहित होता है वह निजी संस्था के द्वारा पानी लेने की वजह से डेम का पानी जल्द खत्म हो जाता है, इसकी वजह से निगम देवास को नर्मदा विकास संभाग से पानी की डिमांड (मांग) जल्दी करना पड़ती है। जिसके कारण निगम पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है। निगम देवास ने वर्ष 2023 में जनवरी माह से ही पानी की मांग करना शुरू कर दी थी। नर्मदा विकास संभाग से जिसका जनवरी माह का बिल तकरीबन 70 लाख के आसपास का बिल निगम देवास को दिया गया है, वहीं फरवरी माह का बिल करोड़ों में दिया गया मात्र दो माह का बिल ही तकरीबन 3 करोड़ बिल ही नर्मदा विकास संभाग से निगम देवास को दिया गया। यह चिंता का विषय है कि जिस निगम को उपभोक्ताओं से जलकर राशि राजस्व के रूप में सालाना प्राप्त होती है। वह मात्र तकरीबन 7.5 करोड़ रुपये ही है जो कि पिछले साल प्राप्त हुर्द थी। ऐसे में करोड़ों का पानी खरीदना निगम के हित में नहीं है, जबकि वर्षाकालीन क्षिप्रा बैराज/डेम में जो पानी संग्रहित होता है वह अधिक समय तक चलता है, लेकिन निजी संस्था के द्वारा डैम से पानी लेने की वजह से यह पानी शायद दिसंबर आखिर में ही खत्म होने लगता है, जबकि यह पानी तकरीबन अप्रैल-मई तक चलना चाहिए। निगम देवास को यहां दोहरी आर्थिक मार पड़ रही है। एक तो पानी जल्दी खरीदना पड़ रहा है, वहीं क्षिप्रा बैराज के डैम के संधारण पर भी निगम की अच्छी खासी मोटी रकम खर्च होती है। अभी वर्तमान में निगम देवास के उपर नर्मदा विकास संभाग का 4 सौ 96 करोड़ रुपये से अधिक का पानी बिल बकाया है एवं निगम देवास की जो दर तय की गई है पानी की रू. 22.60 प्रति हजार लीटर दर वह भी ज्यादा है, दर कम कराने जोकि मात्र 20 पैसे प्रति हजार लीटर होना चाहिए। आवेदक चौहान ने जनसुनवाई में महापौर से मांग की है कि क्षिप्रा बैराज (डेम) के संधारण पर जो राशि खर्च हो रही है वह निजी संस्था से ली जाकर पानी के दर कम करने एवं पानी के बिल माफी की मांग महापौर एवं नगर सरकार के समस्त जनप्रतिनिधियों से की। साथ ही तत्काल राज्य शासन को भेजने हेतु एमआईसी एवं परिषद से संकल्प पारित कराकर राज्य शासन को भेजने की मांग भी की। जिससे की निगम की आर्थिक हालत ठीक होगी। साथ ही आय के नए स्त्रोत भी प्राप्त होगे।


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