देवास में पहलीबार सिद्धितप की हो रही दीर्घ तपस्या प्रकृष्ट साधना-तपस्या-समता के दिव्यपुंज थे भगवान महावीर
अर्हं को पाने के लिए अहं त्यागना होगा - सुधर्मगुणा श्रीजी पर्युषण के छठे दिवस पर हुए कई धार्मिक अनुष्ठान देवास। श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ मंदिर तुकोगंज रोड पर चातुर्मास हेतु विराजित साध्वीजी सुधर्मगुणा श्रीजी की प्रेरणा से सिद्धितप की 45 दिवसीय दीर्घ तपस्या चल रही है। देवास के इतिहास में यह तपस्या पहली बार ही हो रही है। जिसके अंतर्गत तपस्वियों द्वारा मात्र 7 पारणे के आधार पर 45 दिवसीय सिर्फ गर्मजल आधारित उपवास किए। देवास के तीन तपस्वी ऋतुराज सुराणा, रेणु शरद तरवेचा एवं अलका धीरज सुराणा ने यह कठिनतम उग्र तपस्या की। इसी के साथ संपूर्ण पर्युषण के दौरान पूर्णिमा रितेश जैन, लवेश तरवेचा एवं प्रियंका विनय कुमार जैन द्वारा 8 दिवसीय गर्मजल आधारित उपवास अठाई की जा रही है। तपस्वियों के पच्चखान का भव्य वरघोड़ा रथ यात्रा 3 सितम्बर मंगलवार को प्रात: 9.30 बजे निकाला जाएगा। समाज में इन तपस्वियों के प्रति सम्मान एवं अनुमोदन का उच्च भाव बना हुआ है। पर्वाधिराज श्री पर्युषण महापर्व का आज का छटा दिवस साधना जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। भगवान महावीर के जन्म-काल, साधना-काल तथा सिद्धि-काल की विषद विवेचन