भागें नहीं, राह निकालें
केंद्र और राज्यों के चुनाव एकसाथ कराने को लेकर राजनीतिक नेतृत्व में आम सहमति तो क्या, व्यापक संवाद भी अभी नहीं बन पा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को 'एक देश, एक चुनाव' पर चर्चा के लिए सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई जिसमें जेडीयू प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल, बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती, वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी और सीपीआई के डी राजा ने हिस्सा लिया। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, डीएमके, टीडीपी और टीएमसी की इस बैठक से गैरहाजिरी यह बताती है कि विपक्ष इस मामले में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा। बहरहाल, लगभग लगातार चुनाव हमारे सिस्टम का एक अहम मसला है जिसे फौरी राजनीति से ऊपर उठकर देखा जाना चाहिए। अरसे से महसूस किया जा रहा है कि हमारी चुनाव प्रणाली में कुछ बुनियादी बीमारियां घर कर गई हैं। चुनावों का आलम यह है कि दो-चार महीने भी ऐसे नहीं गुजरते जब देश चुनावी मोड में न दिखता हो। लोकसभा चुना