कैलादेवी मन्दिर में आयोजित सत्संग में हुआ माता पिता पूजन
श्री योग वेदांत सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित सत्संग में मातृ पितृ पूजन का आयोजन भी किया गया । सत्संग प्रवक्ता पूज्य संत आसाराम बापू के विद्वान शिष्य रामाभाई थे। मातापिता की महिमा बताते हुए रामाभाई ने बताया कि बच्चों के प्रथम गुरु तो मातापिता हैं, जो कि लालन पालन के साथ बच्चों को यथा समय शिक्षा संस्कार भी देते रहते हैं। किंतु आज के ये बच्चे बड़े होकर वैलेंटाइन डे जैसी पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में आ कर अपने माता पिता के उपकारों को भूल कर अपनी पत्नी या प्रेमिका की सेवा करने लग जाते है। जिन अभिभावकों ने कई तरह की तकलीफ उठा कर बच्चों को तकलीफों का सामना नही करने दिया, पिता ने स्वयं निर्धनता का जीवन जिया किंतु बच्चों को कभी कोई कमी नहीं होने दी तथा उन्हें योग्य बनाया। माँ ने अपना पेट काटकर भी बच्चों को जन्म दिया, खुद गीले बिस्तर पर सोई और बच्चों को सूखे में सुलाया। 14 जनवरी को बच्चे वेलेंटाइन डे मनाते हुए एक दूसरे को फूल दे रहे हैं। लड़के लड़की एक दूसरे को स्पर्श करते हैं। इस तरह उनमें विकार पैदा हो जाता है। ऐसे पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर बच्चों का ओज तेज समाप्त हो जाता