ग्रीष्मकालीन मूंग में नींदानाशक का प्रयोग नहीं करने के लिए चलाया जाएगा जागरूकता अभियान
-जिला जनसम्पर्क कार्यालय, देवास
भारत सागर न्यूज/देवास। देवास 22 मार्च 2025/ उप संचालक कृषि ने बताया कि किसानों द्वारा आमदनी बढ़ाने के लिए तीसरी फसल के तौर पर ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। नर्मदापुरम, हरदा, बैतूल, जबलपुर, विदिशा, सीहोर, नरसिंहपुर, रायसेन समेत कई जिलों में लगनग 14.39 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग लगाई जा रही है।
देवास जिले में मुख्यतः खातेगांव, कन्नौद, सतवास तहसील में 45000 हेक्टेयर क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन मूंग ली जाती है, जो 70 से 80 दिनों में फसल तैयार होती है, लेकिन तब तक मानसून आ जाता है। जिससे मूंग फसल खराब होने की संभावना रहती हैं। किसानभाई ग्रीष्मकालीन मूंग के स्थान पर चवला, उडद व मक्का की बोवनी कर सकते हैं। किसानभाई मार्च के अंतिम सप्ताह तक मूंग फसल की बोनी कर दें।बारीश से फसल खराब न हो, इसके लिए किसान रासायनिक नींदानाशक का उपयोग करते हैं। इससे उपज तो प्रभावित होती ही है, साथ ही मृदा शक्ति (कृषि भूमि की स्वास्थ्य) भी कमजोर कर देती है। यहीं कारण है कि सरकार और कृषि वैज्ञानिक इससे चिंतित है और जागरूकता कार्यक्रम चलाने जा रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है
कि ग्रीष्मकालीन मूंग छह से आठ हजार रुपये प्रति किंटल की दर से बिकती है। किसानों के लिए यह अतिरिक्त आय का बड़ा माध्यम है। सिंचाई सुविधा के विस्तार के कारण किसान बड़े पैमाने पर मूंग की खेती करने लगे हैं। सरकार इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी खरीदती है। लेकिन जिस तरह में फसल में कीटनाशक का उपयोग किसान कर रहे हैं, यह उपज की गुणवत्ता के साथ-साथ भूमि की मृदा शक्ति एवं मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है।
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