यदि प्रकृति का साथ देने लगे तो प्रकृति खिल उठेगी सदगुरु मंगल नाम साहेब

-पहाड़ों को तोड़ना, नदियों का खनन हमें विनाश की ओर ले जा रहा है... सद्गुरु मंगल नाम 



साहेब भारत सागर न्यूज/देवास। सदगुरु कबीर प्रार्थना स्थलीय मंगल मार्ग टेकरी पर गुरवाणी पाठ, गुरु शिष्य चर्चा का आयोजन किया गया। इस दौरान सदगुरु मंगल नाम साहेब ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि सहज में ही उपलब्ध है परम तत्व। जितनी हम चालाकियां सीख रहे हैं, कर रहे हैं।उसमें समय बर्बाद हो रहा है। नतीजा यह है कि हमें भोगना पड़ रहा है तत्वों को छोड़ने से। संसार के जो अभाव हैं, जो वस्तु है। वह स्वभाव से होना चाहिए। वह अभाव में चली जाती है। अभाव में आदमी दिशाहीन हो जाता है। अभाव, प्रभाव व स्वभाव। हमारा जो स्वभाव है वह परम तत्व की ओर जाने का है। लेकिन हम दुनिया की शिक्षा दीक्षा लेकर झूठ व प्रपंच सिख रहे हैं। 



विनाशकारी अणु परमाण बना रहे हैं। परम तत्व की ओर जाने  से फिर नदिया बहने लगेगी। ट्यूबवेल लगाकर पानी निकालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यदि प्रकृति का साथ देने लगे तो प्रकृति खिल उठेगी। फिर तुम्हें पानी, अन्न सहज में ही उपलब्ध हो जाएगा। लेकिन आपके विचारों की संकीर्णता देखकर पहाड़ हार गए, नदी हार गई। क्योंकि तुम पहाड़ को तोड़ रहे हो, नदी में अंधाधुंध खनन कर रहे हो। उसके बहाव को मोड़ रहे हो। जो बहुत विनाशकारी है। प्रकृति को आप छेड़ रहे हो। इसलिए सद्गुरु कबीर ने कहा है कि सहजो साहब पाइए। जो सहज में ही उपलब्ध है। शिष्ट से हम सब कुछ पा सकते हैं। सत्य सहज और मुक्त है। आगे कहा कि विज्ञान की दिशा तय करना है। क्योंकि विज्ञान विनाश की ओर भी ओर सृजन की ओर भी ले जा सकते हैं। जो सृजनकारी विज्ञान है, उसे ग्रहण करो। वैराग्य त्याग और विज्ञान यह संसार के झंझटों से मुक्त होने के तिराहे हैं। जो इस दया के घर जाकर सब एक हो जाते हैं। जब सब एक होते हैं तो दया का अंकुरण होता है। संसार की सारी समस्याएं उसमें डूब जाएगी और विश्वास कायम होगा। इस दौरान साध संगत द्वारा सतगुरु मंगल नाम साहेब का शाल,श्रीफल पुष्पमाला से स्वागत कर  आशीर्वचन लिए। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।

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