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कैमिकल से होती जा रही है खेती बंजड ,दुनिया की लगभग जमीन दम तोड़ चुकी है 

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मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ाने के लिए जैविक खेती जरूरी  आज कैमिकल का उपयोग खेतो में अधिक मात्रा में होने लगा है जिससे जमीन में कड़कपन आने लगा। कैमिकल खेती से बहुत सारे नुकसान भी है कैमिकल के कारण जमीन की उर्वरक शक्ति नष्ट होने लगी। मिट्टी कम मात्रा में पानी को लेती है जमीन कड़क पन से पानी जमीन के अंदर नही जा पाता है कैमिकल खेती से उत्पादन होता है वो इंसान के लिए भी हानिकारक होता है कैमिकल युक्त आनाज शरीर के लिए कई प्रकार की बीमारिया लेकर आता है भरपूर पोषण नही मिल पाता है खेतो में जो रासायनिक पदार्थ का उपयोग से कुछ समय के लिए उर्वरक शक्ति को बनाया रखता है पर जमीन के जो उर्वरक जीव जो होते है उन्हें वो नष्ट कर देता है और जो रसायन खेतो में डाला जाता है फिर पानी दिया जाता है वो जमीन के नीचे नही जाते हुए पानी के द्वारा कुँए में जाकर मिल जाता है फिर वही पानी मनुष्य पीता है जमीन की उर्वरक शक्ति को बढ़ाने के लिए किसानों को जैविक खेती की ओर आकर्षित होना पड़ेगा। क्योंकि दुनिया की  लगभग जमीन रसायन से खराब हो गयी है  जैविक खेती करने के फायदे  किसानों को जैविक खेती को पुनः स्थापित करने की जरूरत है जैविक ख

कैसे बचेंगी बेटियां

     रितेश दुबे  बडवाह जिला खरगोन  देश में पिछला एक सप्ताह जैसे बेकसूर युवतियों पर कहर बनकर बरपा है।  केंद्र और राज्य की सरकारें भले ही महिला सुरक्षा को लेकर दावे करती हो लेकिन देश के चार अलग-अलग राज्यों में इस एक सप्ताह में महिलाओं के साथ जो बारदात हुई है उसकी दास्तां सुनकर रूह कांप जाती है। फिर चाहे वो तेलंगाना में 27 वर्षीय महिला पशु चिकित्सक की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या हो या फिर झारखंड में पहले चरण के मतदान से ठीक दो दिन पहले युवती से 12 लोगों द्वारा किया गया सामुहिक दुष्कर्म हो। बिहार के कैमूर में नाबालिग संग कार में सामूहिक दुष्कर्म के बाद उस वीडियो वायरल करने की घटना हो या फिर अहमदाबाद में नाबालिग संग उसके मंगेतर के सामने सामुहिक दुष्कर्म का मामला हो। इन सभी घटनाओं में हैवानों की शिकार बनी युवतियां सरकारों और आम आदमी की तरफ देखकर पूछ रही हैं कि आखिर उनकी गलती क्या थी। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने तेलंगाना में हुई दर्दनाक घटना के बाद पीड़ित के परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सभी राज्यों को महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने

कैंडल मार्च की प्रथा ने समाज को नपुंसक और कायर बनाकर रख दिया

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  जीतू दुबे ग्राम बीड़, जिला खंडवा, मध्यप्रदेश   देशभर के कोने-कोने से आए दिन दुष्कर्म और उसके पश्चात दुष्कर्म से पीड़ित महिलाओं, युवतियों और अल्पायु अबोध बालिकाओं की निर्दयतापूर्वक हत्या जैसे घृणित कृत्यों के समाचार मिलते रहते है । इस प्रकार के घटित समस्त प्रकरणों में कुछ तो इतने वीभत्स होते है जिनका बखान भी नही किया जा सकता । कभी-कभी मन मे ऐसी घटनाओं को सुनने के पश्चात कई प्रश्न उमड़ने लगते है, जैसे क्या हम वास्तव में एक सभ्य समाज में निवासरत है ? क्या हम मानसिक रूप से एकदम स्वस्थ लोगों के बीच रहते है ? क्या हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र है कहीं भी कभी भी आने जाने के लिए और क्या हमारा सामाजिक वातावरण सुरक्षित है ? हाल ही में घटित दुष्कर्म और हत्या की एक ऐसी हृदयविदारक घटना जिसने देशभर के लोगों को झकझोर कर रख दिया । तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद में पशु चिकित्सक 27 वर्षीय युवती डॉ. प्रियंका रेड्डी का योजनाबद्ध तरीके से चार दुष्कर्मियों ने मिलकर सामुहिक दुष्कर्म किया और फिर निर्दयतापूर्वक युवती को जलाकर उसकी हत्या कर दी, जिसके बाद परिजनों को युवती का शव अधजली गंभीर अवस्था में मिला था । उक

अरस्तु धुरंदर दादू को राजनीति मूर्ख समझती है

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- रामसिंह राजपूत   मोबा. नं. 9977066249 शपथ समारोह को हंसी का हवाई जहाज समझते है सत्ता सुंदरी के स्वयंवर में सुंदर सितारे सजाते है घट-घट भ्रष्ट, पग-पग रिष्वत पथ भ्रष्ट होके कु्रर, कुटील, कामी क्रोधी, कांटे ही कांटे बोके रक्षक बन भक्षक, महंगाई में मस्त समस्त होके मस्तिष्क में त्रासदी, अपराधि, बुद्धि, दुष्टी बनके सलाखो वाले सियासी शासकीय सत्ता संभालते है सत्ता सुंदरी के स्वयंवर में सुंदर सितारे सजाते है गिरगट जैसे रंग, लोमड़ी के प्रसंग, विचार में उतारके केकड़ो से कतरनी, चमगादढ़ो से चमचागिरी भी धारके कबूतर से गुटूर गू, दो मुहे कोबरे के जहर निकालके उल्लू से लक्ष्मी प्राप्त कर उंट से करवटें बदलकर  बुद्धि बल से बिरबल की बास पे खिचड़ी पकाते है सत्ता सुंदरी के स्वयंवर में सुंदर सितारे सजाते है बैठक में गठबंधन चोरो से छेड़ागाठन बंधाकर लोकतंत्र की हत्याकर ताज हेतु मुमताज मारकर पराये धन के परिधान धारकर कुरूक्षेत्र तैयारकर धमकती सांसे, रूकती धड़कने, कीर्तिमान बनाकर जन-गण-मन, वंदे मातरम भी दिखावे मंे गाते है सत्ता सुंदरी के स्वयंवर में सुंदर सितारे सजाते है अन्नदान, वस्त्रदान, स्वर्णदान से बड़ा है

गहराती चुनौतियां

छत्तीसगढ़ के जंगलमहल और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली सहित देश के तमाम माओवादी हिंसा से प्रभावित इलाकों में किस तरह की चुनौतियां खड़ी हैं, यह सभी जानते हैं। यह भी तथ्य है कि इन इलाकों में समस्या से निपटने से लेकर सुरक्षा बलों की निगरानी में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है। लेकिन यह समझना मुश्किल है कि इसके बावजूद माओवादियों पर पूरी तरह काबू पाना कैसे संभव नहीं हो पा रहा है। रविवार को सामने आई एक खबर के मुताबिक बस्तर में माओवादी हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित सुकमा जिले में कुछ समय पहले सीआरपीएफ के एक शिविर के ऊपर ड्रोन यानी मानवरहित यान मंडराता देखा गया। जैसे ही सीआरपीएफ के जवान सक्रिय हुए, वैसे ही वह गायब हो गया। यह इस बात का साफ संकेत है कि एक तो ड्रोन जैसे संवेदनशील साधन भी माओवादियों की पहुंच के दायरे में आ चुके हैं और दूसरे, वे उनके जरिए अपने प्रभाव वाले इलाकों में सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर निगरानी करने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि अब तक इस उपकरण का उपयोग केवल सुरक्षा बल माओवादियों पर निगरानी के लिए करते रहे हैं। इस घटना के सामने आने के बाद सुरक्षा बलों को ड्रोन पर नजर पड़ते ही नष्ट कर

सरोकार का सवाल

उत्तर भारत के बड़े हिस्से, खासतौर से दिल्ली व इसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण से बिगड़ते हालात पर संसद में मंगलवार को चर्चा के दौरान जिस तरह से बड़ी संख्या में सांसद नदारद रहे, वह वायु प्रदूषण से कहीं ज्यादा गंभीर चिंता का विषय है। इससे यह पता चलता है कि गंभीर मुद्दों के प्रति हमारे माननीय जनप्रतिनिधि कितने सजग हैं और आमजन से जुड़े अहम मुद्दों के प्रति उनका कितना सरोकार है! मामला सिर्फ सांसदों तक ही सीमित नहीं है, ऐसे गंभीर मुद्दे पर चर्चा के दौरान मंगलवार को लोकसभा के अधिकारी और संबंधित स्टाफ भी सदन में नहीं पहुंचे। लेकिन जिनको चर्चा करनी है अगर वे ही सदन में न हों तो अधिकारी पहुंच कर क्या करते ! इससे लोकसभाध्यक्ष का नाराज होना स्वाभाविक ही है। पिछले एक महीने से जहरीली होती हवा से दिल्ली जिस तरह हांफ रही है और इस गंभीर समस्या पर देश की सर्वोच्च अदालत तक सक्रिय है, ऐसे में इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान बयासी फीसद सांसदों की गैरमौजूदगी यह बताने के लिए पर्याप्त है कि प्रदूषण उनके लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। इससे पहले शुक्रवार को शहरी दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मुद्दे पर बुलाई बैठक

मोबाइल दरों का बढ़ना

देश की ज्यादातर आबादी को था, जब भारत में टेलीकॉम दरें यह खबर बुरी ही लगेगी, मगर सबसे ज्यादा हुआ करती थीं, फिर टेलीकॉम सेवाओं की दरों को वह समय आया कि ये दरें दुनिया आखिरकार बढ़ना ही था। निजी में सबसे सस्ती हो गईं। वे लागत क्षेत्र की तकरीबन सभी टेलीकॉम से भी नीचे चली गईं। यह स्थिति कंपनियों ने यह घोषणा कर दी है लंबे समय तक नहीं चलने वाली कि वे अगले महीने से अपनी थी, सो इसे खत्म होना ही था। सेवाएं महंगी कर देंगी। एक दशक पहले तक इस सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत बाजार से जिस तरह की उम्मीदें संचार निगम लिमिटेड ऐसे फैसले बांधी जाती थीं, अब उसकी करने में देर करती रही है, गुंजाइश नहीं रह गई। एक इसलिए वह इस राह को कब अनुमान के अनुसार, देश में 1.2 अपनाएगी, यह कहा नहीं जा अरब से भी ज्यादा मोबाइल फोन सकता। जब बाजार में दरें कम कनेक्शन हैं, यानी औसतन देश करने की स्पर्द्धा थी, तब भी वह के हर वयस्क के पास कम से बहुत देर बाद इसमें कूदी थी, अब कम एक फोन तो है ही। जाहिर है भी अगर उसने यही देरी दिखाई, कि यह बाजार अब संपृक्त हो गया तो उसका घाटा बढ़ेगा और बंदी है, नए ग्राहक जुड़ने का की अटकलें तेजी होंगी

क्यों है जैविक खेती की आवश्यकता...

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डॉ राकेश कुमार देशला   कृषि एक ऐसा संसाधन है जिससे संपूर्ण प्राणी तथा जीबों का भरण पोषण होता है कृषि पर ही भारत की अर्थव्यवस्था आधारित है जिस वर्ष कृषि में उत्पादन अधिक होता है उस वर्ष देश की आर्थिक व्यवस्था अच्छी होती है तथा इस वर्ष उत्पादन कम होता है उस वर्ष आर्थिक व्यवस्था गड़बड़ हो जाती है कृषि ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से प्रत्येक जीव को स्वच्छ भोजन उपलब्ध किया जा सकता है किंतु आज की स्थिति में भोजन की गुणवत्ता पूरी तरह से गड़बड़ हो चुकी है कारण हरित क्रांति के दौरान उपयोग या जाने वाला रासायनिक खाद तथा जहरीली दवाइयां उत्पादन तो खूब बड़ा किंतु मृदा की सेहत बिगड़ गई जिसके चलते शुद्ध भोजन तथा शुद्ध पानी अब जीव मात्र के पास नहीं पहुंच पाता तथा मृदा भी कठोर हो चुकी है जिसके कारण जमीन का जल स्तर कम होता जा रहा है रासायनिक उर्वरक तथा कीटनाशकों के अधिक उपयोग के कारण बड़ौदा में उपस्थित मित्र कीटाणु पूरी तरह से समाप्त हो चुके हैं जो मृदा में नाइट्रोजन स्थिरीकरण का काम करते थे कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार भूमि को अतिरिक्त नाइट्रोजन देने की आवश्यकता नहीं है तनी नाइट्रोजन की आवश्यकता होती ह

जंजीर.....भारत बांधने आया है, जूनी जंजीर लाया है

  भारत बांधने आया है, जूनी जंजीर लाया है शेरनी का दूधर स्वर्ण पात्र में भारत पीया है पत्थर परिलक्षित कर प्रभु के दर्शन किया है धधकती आग, धमकते धूए तुझे जलाया है भारत बांधने आया है, जूनी जंजीर लाया है तू दगी का दूध, गुलामी का घी खाया है छलावे की छाछ, बेईमानी की बर्फी खाया  है बेईमानी बकरी खाके ईद मनाके आया है भारत बांधने आया है, जूनी जंजीर लाया है आंख में आतंक नाक में नक्सल लाया है आंत में उग्र नस-नस में नफरत लाया है स्वासो में सोले, गाल पर गोले लाल लाया है भारत बांधने आया है, जूनी जंजीर लाया है अंडा, मुर्गी, कुत्ते, बिल्ली बेच के देश चलाया है घोड़े, गधे, सूअर जंगली अभी बेच कर आया है जाजम जागीर अमीर को देश गिरवी रखवाया है भारत बांधने आया है, जूनी जंजीर लाया है झूठे झांझे में तुझे चायना फसाया है लात घूंसा, चांदी का जूता दिलाया है धन बल, भुज बल, सब बल दिखाया है भारत बांधने आया है, जूनी जंजीर लाया है अपराधि बुद्धि, मस्तिष्क त्राषदी लाया है विक्षिप्त, कुंठित, निर्लज प्रतिद्वंदी बनाया है मास्टर माइंड, आतंक गाइड अंधे लाया है भारत बांधने आया है, जूनी जंजीर लाया है चांडाल शैतान, विकराल दरिंदा ल

आर्मी का अनावरण

  जजबा-ए-जल्वा हौसला है बुलंद भारत माँ के सच्चे सिपाही है हम दुश्मन को देंगे मात लात दनादन खाते है मैथी ओषधी भाजी संग अणु घड़ी धड़कन क्षण भर हुई बंद स्वॉसो की पूंजी दुश्मन की खतम भूख मंडल छाए रहेंगे काले बादल चमगादड़ो के दिन भी होंगे मुश्किल फटे कपड़े रोटी के टूकड़े टटोले निर्धन भूखी आबादी की रोजी रोटी भी खतम फोकट फंड राशन खाया हमेषा सलंग तना-तनी आतंक से जीवन गया थम हज्जारो कली गुलाब फूलो के रंगे शहीदो को तिरंगा लिपटके करे सेलूट कलकी काले कपड़ो में दुश्मन का ले खून सोये शहर भारत में चमकेगा गगन चाँद प्रत्येक परोक्ष पाक का है जल्द पतन तरक्की के तार तोड़े तबाही वतन दुर्गंध दबंग से हुई लज्जा भंग बिना सिर पेर आर्मी अनावरण   -       रामसिंह राजपूत

राजनेताओं और अधिकारियों की नूरा कुश्ती, समस्याओं को भूलकर मूकदर्शक बनी जनता

मोहन वर्मा - देवास   देवास में इन दिनों भाजपा और कांग्रेस के धुरंधरों के बीच शीर्ष प्रशासनीक अधिकारी शटल काक की तरह खेले जा रहे है जिससे जनता के बीच राजनेताओं के साथ अधिकारियों की छबि तो धूमिल होती नजर आ ही रही है  जनता भी महज तमाशबीन बनकर और अपनी समस्याएं भूलकर सब कुछ देखने को विवश है ।       बात निगम आयुक्त संजना जैन की करें या पुलिस अधीक्षक चंद्रशेखर सोलंकी की, या फिर जिले के शीर्ष अधिकारी जिलाधीश डॉ श्रीकांत पांडेय की करें । बीते कुछ माहों से ये सभी अधिकारी कांग्रेस और भाजपा के निशाने पर है ।       आयुक्त सुश्री संजना जैन पूर्व में देवास एडीएम रहते हुए  तत्कालीन  विधायक और मंत्री रहे तुकोजीराव पवार से हुए विवादों के कारण लूप लाईन में रहीं और अब कांग्रेस की सरकार आने के बाद वे खासतौर पर पवार वर्चस्व वाले देवास में पदस्थ की गईं है । अपनी सकारात्मक सक्रियता के बावजूद पहले दिन से ही उनकी छबि भाजपा विरोधी घोषित की जाकर पार्षदों से लेकर भाजपा विधायक द्वारा भी उन्हें  कांग्रेस मानसिकता का बताया गया । अभी हुए एक ताजा मामले में फिर विधायक समर्थक निगम सभापति ने निगम की गाड़ियों में डीजल पेट्र

किसान को उसकी मेहनत मिल पाती है क्या वो जितनी लागत खेत मे लगता है उससे ज्यादा मुनाफा ले पाता है 

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देश का हर वर्ग ऊपर है हर कार्य मे ऊपर है पर देश का आधार तो किसान है जो दिन रात खेती करके अनाज उगता है कड़ी धूप में मेहनत करता है सर्दी में खेतो में पानी देता है पूरी मेहनत करके अनाज को उगता है फिर उससे बाजार ले जाकर बेचता है जब वो अनाज को खरीदता है तो एक मूल्य पर मिलता है पर जब वो बेचने जाता है तो उसके अनाज का भाव लगया जाता है जब किसान उस अनाज को बड़ी मेहनत से उगता है तो उसे उसका सही मूल्य क्यों नही मिल पाता क्या उसके अनाज में परिवर्तन होता है किसान जब अपनी खेती में लगाई लगता का हिसाब करता है तो हमेशा की तरह शून्य प्रतिशत मिलता है और कभी कभी कुछ सालों में उसके जेब से पैसा लग जाता है जब सभी दूर से थक जाता है तो उसके पास ओर कोई रास्ता नही होने के कारण वो आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाता है किसान अपने परिवार का पालन करने कर्ज लेता वो ये सोच कर कर्ज लेता इस बार की फसल अच्छी होगी जिससे उसका सारा कर्ज दूर होगा फसल अच्छी हुई पर उससे बाजार में फसल का अच्छा भाव नही मिला किसान करे तो क्या करे किसान जब अनाज ऊगा कर दुनिया के सभी हिस्सों में अनाज पहुँचता है तो उसके अनाज का सही मूल्य क्यों नही किसा

अट्ठासा कुठारा घात.......

    ऋतु रात्रि रतिकर कामदेव कन्या कोख भरे प्रथ्वी, अग्रि, आकाश, जल, वायु पंचतत्व मिले। माता-पिता पल्लवित पोषित दायित्व से परवरीश करे सर्वस्त्र राष्ट्र नो दिन नो रात्रि कन्या पूजन समर्पण करे।।   डाक्टर कम्प्यूटर सोनोग्राफी कर कोख में खंजर भरे कन्या कोख में कोमल अंग रो रोकर चीखे पुकारे। कोख से नोचके कौवे चोंच काँटे कचरे फेक मारे हाय हत्या बचाओ माता तड़प-तड़प के विनती करे।।   बालिका बची भ्रण हत्या से दो चार साल से रेप करे छेड़छाड़ छोरी से करके मनचले छोरे गेंग रेप करे। गुंडे लोग घर घुसके विवाहिता पति सम्मुख भोग करे पशुवत प्रवृत्ति असूरी होके दुष्टि घणित दुष्कर्म करे।।   पापी दुष्टि मरण पश्चात भी मगरमच्छ आंसू श्राद करे गीता रामायण भागवत पढ़के पूजा पाठ कर्मकाण्ड करे। क्रांतिकारी समाज सेवी पशुपतिनाथ नाम भी धारे कल्याण नारी कन्य वात्सल्य बाल विकास योजना बने।।   बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ शासन सिमटाव को बनावे सरस्वती पार्वती के प्रेम प्रसंग मातृत्व को बदनाम करावे शिक्षित रेपित समृद्ध पुत्र को लक्ष्मी दहेजी वधु दिलावे पुलिस प्रशासन गरीब संग अऋासा कुठारा घात करे।    -  रामसिंह राजपूत       9977066249

हो अगर शिकायतें खुद से,

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- वरूण राठौर हो अगर शिकायतें खुद से, तो तुम्हें लड़ना चाहिए, जान हथेली पर रखकर, समंदर तैरना चाहिए, पीछे हटने की जिद्द नहीं, आगे बढ़ने का हौसला चाहिए, भूले बिसरे किसी एक गलती को, गलती ही मानना चाहिए, आसमानों को ऊंचा कद दो, पंछियों को और उड़ना चाहिए, सड़क पर निकल बाहर चल, कभी कभी पैदल चलना चाहिए, भरकर हौसला मन में, गीता कुरान पढ़ना चाहिए, खुले आसमान में एक बार, ख्वाबों की पतंगे उड़ाना चाहिए, हो अगर शिकायतें खुद तो तुम्हें लड़ना चाहिए,  

कर्म और कर्तव्य.....

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  कर्म और कर्तव्य ये दो ऐसे शब्द है , जिनमे हर मनुष्य का नाता है । कर्म किए बिना कोई भी व्यक्ति इस संसार मे नही रह सकता । यदि कोई न भी चाहे , तो भी वह कर्म करता है और वह जो कर्म करता है उसे उसका फल मिलता है , जैसे यदि कोई न चाहे तो भी वह सास लेगा , न चाहते हुए भी वह स्वयं को विचार करने से नही रोक पाएगा। यदि कोई शारिरीक परिश्रम नही करना चाहता तो विश्राम करना भी एक कर्म ही होगा। इस तरह कर्म करने से कोई भी व्यक्ति मुक्त नही है कर्तव्य वह है , जिसे करना हम अपना दायित्व मानते है, जिसे करना हम जरूरी समझते है। कर्तव्य के माध्यम से हम अपने कर्म से बंध जाते है और फिर उसको किए बगैर हम उससे मुक्त नही हो पाते।  कर्म हर व्यक्ति के साथ अनवरत घटित हो रहा है। इसलिए हम इसे एक दिशा प्रदान कर सकते है । कर्म की दिशा को सकारात्मक दिशा में मोड़ा जा सकता है। वही कर्म के माध्यम से विध्वंसक दिशा की ओर भी जाया जा सकता है। एकमात्र मनुष्य जीवन मे कर्म करने की स्वतंत्रता है। किस तरह का कर्म करना है मनुष्य के चयन पर निर्भर करता है और तदनुसार ही फल मिलता है कर्म का फल मनुष्य के हाथ मे या निर्धारित सीमा में बंधा नही ह

भारतीय ग्रामीण जिवन में खेल और उसका महत्व

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गांव में हमसे पहली वाली पीढ़ी खेलकूद में अच्छी थी। उसका खास गेम वॉलिबॉल था। दो- तीन लोग पास की कॉलेज टीम में हॉकी भी खेलते थे लेकिन हॉकी स्टिक खरीद पाना तब सबके बूते की बात नहीं थी सो विधिवत हॉकी हमारे यहां कभी नहीं खेली जा सकी। वॉलिबॉल की बात अलग थी। रोज शाम को स्कूल के पास नेट बंधता और बॉल की टनाटन आवाज जैसे ही गूंजनी शरू होती. धीरे-धीरे पुरा गांव खेल देखने के लिए उधर जमा हो जाता। बचपन में मैंने कई बार बाहर की टीमों को हमारे यहां आकर मैच खेलते, कभी हारते कभी जीतते, एक-दसरे के खेल की तारीफ करते और आराम से चाय-नाश्ता करके साइकिलों से वापस अपने गांव जाते देखा है। लेकिन फिर कोई दसेक साल का गैप आया और उस पीढ़ी के लोगों के नौकरी-चाकरी के लिए बाहर जाने के साथ ही हमारा गांव खेती-बाडी और ताश के पत्तों तक सिमटकर रह गया। इस जड़ता को तोड़ने की कोशिश हमने क्रिकेट के जरिए की। शुरुआती अड़चनों के बाद लड़कों ने बेसिक स्किल सीखे और एक कामचलाऊ टीम खड़ी हो गई। यह खेल तब अचानक पॉप्युलर हआ था सो और गांवों में भी टीमें बनने लगी थीं। हमने उनसे तीन-चार मैच लिए और सारे एकतरफा जीत गए। फिर आई तगड़ी टीमों की बार

भाषाओं के बीच झूला झूलती हमारी कहावतें

इस वर्ष ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित अंग्रेजी के प्रख्यात लेखक अमिताव घोष का कहना है कि एक भारतीय किसी यूरोपीय या अमेरिकी की तरह एकभाषी नहीं हो सकता। वह अनेक भाषाओं के बीच पलता-बढ़ता है। उसके जेहन में न जाने कितनी भाषाएं घुली-मिली होती हैं। वह घर में कुछ और बोलता है, गली में कुछ और। इसी तरह दफ्तर में वह एक अलग भाषा बोलता है। उनकी यह बात वाकई महत्वपूर्ण है। मैं बचपन में घर में मैथिली बोलता था, बाहर हिंदी। हिंदी भी कई तरीके की। पटना के गली- मोहल्ले की हिंदी पर मगही की छाप है। सब्जीवालों या पानवालों से तो मगही में ही बात करनी पडती थी। लेकिन कॉलेज में अपने शिक्षकों से अलग तरह की हिंदी में बात होती थी, जो मानक हिंदी के करीब थी। दिल्ली आने के बाद जिस हिंदी से परिचय हुआ वह पश्चिमी हिंदी है। अंग्रेजी बोलने का थोड़ा-बहुत अवसर दक्षिण भारत की यात्रा के दौरान मिला। कुछ लोककथाओं पर नजर डालें तो उनमें भी भाषाओं का मिश्रण है। बचपन में अपने दादा से सनी एक लोककथा अब भी याद है, जिसमें हिंदी और मैथिली का अद्भुत घालमेल था। और हिंदी भी पता नहीं कौन-सी। उसकी एक लाइन इस प्रकार है- 'नेबो कट-कट गरी बनाया,

वर्क लोड से हर समय परेशानी, ये है बर्न आउट की निशानी

वर्क लोड से हर समय हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज (आईसीडी) की लिस्ट में बर्न आउट यानी वर्क लोड के प्रेशर से उपजी थकान को भी शामिल कर लिया है। इस लिस्ट में शामिल होने के बाद अब बर्न आउट बीमारियों की श्रेणी में आ गया है। अत्यधिक काम का प्रेशर किसी कर्मचारी को ऊर्जा विहीन, असहज करता है और वह थकान महसूस करने लगता है। धीरेधीरे यह थकान उसकी ऊर्जा को नष्ट करते हुए स्ट्रेस बढ़ाती जाती है जिससे स्वभाव में तब्दीली आने लगती है। व्यक्ति अपने को असहाय, दुविधाग्रस्त और बोझ तले दबा हुआ महसूस करता है। धीरे-धीरे नकारात्मकता, अकेलापन, उदासी, आक्रोश आदि पांव पसारने लगते हैं। इसके अलावा काम के दौरान ऊर्जावान महसूस न करना, काम करने के लिए मन से प्रेरित नहीं होना भी इस बीमारी के लक्षणों में शामिल हैं। मोटे तौर पर यही स्थिति बर्न आउट कहलाती है। यूं भी कह सकते हैं कि आप भावनात्मक, मानसिक, शारीरिक- किसी भी प्रकार की थकान महसूस करते हैं तो यह बर्न आउट का संकेत है। ऐसी समस्याएं उन लोगों में अधिक पाई जाती हैं जो काम होने को लत बना लेते हैं या जिन पर अधिक काम करने का दबाव

जैविक खेती ... .. ...

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आशीष जायसवाल अनाज इंसान की मूलभूत जरूरतों में से एक है। अनाज पूर्ति के लिए 60 के दशक में हरित क्रांति लाई गई और अधिक से अधिक उत्पादन का नारा दिया लेकिन हरित क्रांति ने जहाँ खाद्यान्न के मामले देश को आत्मनिर्भर बनाया  वही खेतो में उर्वरकों और कीटनाशकों के अनानाधुन्ध और असंतुलित इस्तेमाल भी शुरू हुआ, इसके उपयोग और उत्पादन में वृद्धि तो हुई परन्तु इसका प्रभाव धीरे धीरे मनुष्य, पशु-पक्षी, जल ,पर्यावरण पर इसके दुष्प्रभाव पड़ने शुरू हो गए हैं। इन दुष्प्रभावो को रोकने के लिए जैविक खेती एक वरदान के रूप में साबित हो रही है।यही वजह है कि रासायनिक उर्वरकों से तंग आकर देश और विदेश के वैज्ञानिक जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए मार्च 2018 में जैविक खेती का पोर्टल का शुभारंभ किया खेती किसानी में इस पोर्टल से किसानों को काफी फायदा हो रहा है  जैविक खेती के मामले में सिक्किम दुनिया का पहला राज्य बन गया है। जिसे जैविक राज्य के नाम से जाना जाता हैं। अंतराष्ट्रीय मंचों से सिक्किम को कई पुरुस्कारों से पुरुस्कृत किया गया। जैसा कि हम जैविक खेती के बार

पंडित जी के पिताजी उस समय थे ज्वेलर इसिलिए उनका नाम पड़ा ‘‘ जवाहरलाल’’ - शहर कांग्रेस अध्यक्ष !

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- राहुल परमार , देवास   बचपन से हमें पढ़ाया गया कि बाल दिवस भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है । नेहरुजी को बच्चे अतिप्रिय थे इसिलिए उनके जन्मदिवस को बालदिवस के रुप में मनाया जाता है। बच्चे उन्हें चाचा नेहरु कहकर बुलाते थे। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। लेकिन उनके पिताजी के बारे में हमें इतना बताया गया था कि वे एक धनी बैरिस्टर थे और काफी अमीर घराने से संबंध रखते थे। कभी हमें ऐसा नही बताया गया कि प्रथम प्रधानमंत्री जी के पिताजी हीरे, जवाहरात के व्यापारी थे इसिलिए उनका नाम जवाहर पड़ा । सम्मानीय प्रधानमंत्री जी के नाम संबोधन पर ''भारत सागर'' को कोई आपत्ति नही लेकिन उक्त इतिहास हमें सोशल मिडिया पर उपलब्ध एक विडियो से प्राप्त हुआ जिसमें बाल दिवस के दिन एक समारोह में देवास के शहर कांग्रेस के अध्यक्ष मनोज राजानी ने इन शब्दों का प्रयोग किया जिसमें उन्होंने कहा कि पंडित नेहरु जी के पिताजी ज्वेलरी का व्यवसाय करते थे। हीरे, जवाहरात का व्यवसाय होता था । संभवतः आशय था कि जवाहरात से जवाहर नाम प्रचलित हुआ। उनकी गिनती अरबपतियों में हो