कुशल नेतृत्व के अभाव में संगठन रूपी वृक्ष सूख जाता है- डॉॅ. टेकाड़े

देवास। जब कोई संगठन हार की कगार पर खड़ा होता है तो इसकी तैयारी पहले से हो जाती है कि हार का ठीकरा किसके सर फोडऩा है। परंतु विषम परिस्थितियों में भी अंत तक लड़ता रहूँगा ऐसे कहने वाले और करने वाले एकमेव योद्धा थे छत्रपति शिवाजी महाराज। नेतृत्व को हमेशा सावधान और चौकन्ना रहना चाहिये। कुशल नेेतृत्व के अभाव में संगठन रूपी वृक्ष सूख जाता है। 6 जून गुरूवार को मराठा समाज और महाराष्ट समाज के द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज का 345 वां राज्याभिषेक समारोह मनाया गया। जिसमें नागपुर(महाराष्ट्र) के सुप्रसिद्ध वक्ता डॉ. सुमंत टेकाड़े अतिथि के रूप में आमंत्रित थे।
अपने ओजस्वी वक्तव्य में आपने कहा कि 1193 से 1700 तक जब परिस्थितियाँ बदतर हो चुकी थी, जनता हताशा के घोर अंधेरे में डूब चुकी थी, अत्याचार और अनाचार की पराकाष्ठा हो चुकी थी, गीता के श्लोक यदा कदा ही यदा यदा ही धर्मस्य ग्लार्निभवती भारत... भगवान ने इस धरा पर शिवाजी के रूप में जन्म लिया। माता जीजा बाई के  कुशल मार्गदर्शन में 15 वर्ष की आयु में रक्त रंजीत प्रतिज्ञा करने वाले शिवा ने स्वराज्य निर्मिती का दृढ़ संकल्प लिया।
ज्ञान और कौशल्य, शस्त्र और शास्त्र का परिपूर्ण ज्ञान, जात-पात की दीवार को ढहा कर आगे बढ़ते गए। सल्तनते आदिल शाही बीजापुर को रौंदते हुए महाराष्ट्र केे घने जंगलों का इलाका जावली पर कब्जा कर लिया।
अहंकारी अफजल खान की शिकस्त का प्रसंग जिस अंदाज में प्रस्तुुत किया उपस्थित सुधी श्रोता रोमांचित हो उठे। जिस जीवंतता से उस घटना का उल्लेख किया गया लगा साक्षात शिवाजी श्रीकृष्ण नीति को अपनाकर धर्म, साहस और वीरता से अफजल खान को रक्तरंजित कर उसकी आंतडिय़ों को बाहर निकाल रहे हैं। टेकाड़े ने कहा कि उस दिन सही अर्थो में शिवाजी रूपी नरसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यप रूपी अफजल खान का वध किया। मुगल बादशाह औरंगजेब की शिवाजी को शिकस्त देने की हर कोशिश नाकाम हुई।
डॉ. टेकाड़े ने कहा कि समुद्र पर अधिपत्य जैसी कल्पना केवल छत्रपति शिवाजी ही कर सकते थे। भारत में पहली नौ सेना का गठन औैर संगमेश्वर से पहला जहाज पानी में उतारने का श्रेय भी शिवाजी को ही जाता है।
शिवाजी की गौरिल्ला युद्ध नीति की प्रासंगिकता को सर्जिकल स्ट्राईक से जोड़ते हुए आपने अतीत और वर्तमान के बीच सेतु बांधने का सफल प्रयास किया।
हिंदवी स्वराज्य की स्थापना, हिंदू अस्मिता का पुर्नजागरण और धर्म की पुर्नस्थापना के लिये राज्याभिषेक अवश्यंभावी था। 700 वर्षो के इतिहास में एक मात्र शिवाजी महाराज का रायगढ में भव्य राज्याभिषेक हुआ। डॉ. टेकाड़े के उद्बोधन की विशेषता यह थी कि उन्होंनेे शिवाजी महाराज की संगठन क्षमता, कुशल नेेतृत्व, सकारात्मक सोच, दूरदृष्टि, कूटनीति और स्वाभिमान की रक्षा जैसे गुणों को आज के संदर्भ में प्रस्तुुत किया। मातृभाषा मराठी का सम्मान, अष्ट प्रधान की आवश्यकता, सुयोग्य व्यक्ति को चुनकर उसे जवाबदारी सौंपना, संगठन में अगली पीढ़ी तैयार करना और एक ऐसा असाधारण व्यक्तित्व निमाण की दुश्मन खौफजदा हो पर वह भी आपकी तारीफ करे।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और शिवाजी महाराज की मूर्ति पर माल्यार्पण के साथ हुआ। कार्यक्रम की शोभा थे नवनिर्वाचित सांसद महेन्द्रसिंह सोलंकी, विधायक गायत्री राजे पवार, देवास महाराज विक्रमसिंह पवार और महापौर सुभाष शर्मा । शालीनी चव्हाण ने वंदे मातरम की सुमधुर प्रस्तुुति दी।
कार्यक्रम के आयोजक दिलीपसिंह जाधव ने अतिथि परिचय दिया। श्रीमती गायत्री राजे पवार ने देवास की ओर से डॉ. सुमन्त टेकाड़े को शाल श्रीफल देकर सम्मानित किया। सम्मानित अतिथियों का स्वागत अशोक जाधव, रेवंत राजोले, पद्माकर फड़निस, संग्रामसिंह घाडग़े, कुमार जाधव, कीर्ति चव्हाण व दीपक पाटिल ने किया। इस शिक्षाप्रद कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिकों के अतिरिक्त शिक्षाविद, संचालक और विद्यार्थी उपस्थित थे। आभार अनिल साठे ने माना। कार्यक्रम के सूत्रधार थे संजय शेलगांवकर ।


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