मृत्यु भोज में खर्च नहीं कर 44 कन्या कपार न 44 कन्याओं को उपहार में दिए 15-15 हजाररुपए
चापड़ा। जहां एक ओर व्यक्ति स्वयं के स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक चला जाता है, वहीं चापड़ा में एक व्यक्ति ऐसा भी है, जिसने मृत्यु भोज जैसी गलत परंपरा के खिलाफ होकर उसमें बचाए रुपयों को समाज के सामूहिक सम्मेलन में हो रहे शादी में कन्याओं को उपहार स्वरूप जमा करवा दी है। इंदौर जिले के रामूखेड़ी गांव के रहने वाले माणकचंद्र यादव के पिताजी का निधन सन 2007 में हुआ था, समाज बंधुओं के आग्रह पर पिता का मृत्यु भोज नहीं करते हुए परिवार वालों के साथ सामान्य कार्यक्रम किया था। उसी समय माणक ने अपने मन में निर्णय कर लिया था कि मृत्यु भोज में, जो राशि बचाई है उसे किसी अच्छे कार्य में लगाऊंगा। माणक ने उस राशि को काम में नहीं लेते हुए बैंक में जमा करवा दी और अन्य राशि भी जमा करवाते रहे। ___ माणक ने बताया, मुझे इस वर्ष पता चला चापड़ा मैं यादव अहीर समाज का सामूहिक विवाह सम्मेलन 22 अप्रैल को हो रहा है तो मैंने समाज बंधुओं से कहा, विवाह समारोह में जितनी भी बालिकाओं का विवाह होगा उनकी __इंट्री फीस दूंगा। मेरे दादा ने भी वर्षों पहले एक गरीब परिवार के बच्ची की शादी की थी उन्हीं की प्रेरणा से मैंने यह कदम उठाते हुए निर्णय लिया है। विवाह समिति के अध्यक्ष शांतिलाल यादव ने बताया, हमारे समाज के विवाह सम्मेलन में वधू पक्ष से 15000 और वर पक्ष से भी 15000 की इंट्री ली जाती है। सम्मेलन में इस बार 44 जोड़ों का विवाह होने जा रहा है, जिनमें वधू पक्ष की कुल राशि 6.60 लाख रुपए हो रही है, उनकी राशि माणक यादव ने अपनी तरफ से रविवार को जमा करवा दी है। मृत्यु भोज को बंद कर इस तरह का कार्य करना बहुत ही सराहनीय कार्य है।
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