आज जो देश में पुलिस के साथ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है भीड़ के द्वारा उसी भीड़ को तमाचा



विशाल राण्डवा    

    

जिसने न्यौछावर कर दिए प्राण

जो हर मुसीबत में आया काम 

जिसने छोड़ दिया परिवार

उसी पर तूने किया प्रहार

वारे इंसान वारे इंसान.......!!

जिसने दिए अनेको को नवप्राण

जिसने रचे नये कीर्तिमान

फिर भी तू कैसे बन बैठा है अनजान

वारे इंसान वारे इंसान.......!!

जिसने पहना खाकी का वेश है

जिसके रग रग में भारत देश है

जिसको मुसीबत में किया था तूने याद

तूने उसी के सिर पर कर दिया वार

वारे इंसान वारे इंसान.......!!

तू भीड़ है उस गफलत की 

जिसमे राष्ट्र का भाव नही

तू क्या पहचाने उस खाकी कि कुर्बानी

तुझे इस देश के कानून से ही प्यार नही...!!

सच बताऊँ तो

खाकी को तूने नही पहचाना है

उसकी शहादत को तूने नही जाना है

अगर होता तेरी आँखों में देश प्रेम का राग

तो तू नही लगाता भारत को आग.......!!


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