ज्योतिर्लिंग महिमा के साथ श्री नारायण कुटी सन्यास आश्रम में शिव पुराण का समापन


देवास। शिव महापुराण धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष रूपी चारों पुरुषार्थो को देने वाला शिव का अर्थ है, कल्याण है शिव के महात्मय से ओत-प्रोत यह पुराण शिव महापुराण के नाम से प्रसिद्ध है। भगवान शिव पापों का नाश करने वाले देव हैं तथा बड़े सरल स्वभाव के हैं। इनका एक नाम भोला भी है। अपने नाम के अनुसार ही बड़े भोले-भाले एवं शीघ्र ही प्रसन्न होकर भक्तों को मनवाँछित फल देने वाले हैं। उक्त उद्गार श्री नारायण कुटी सन्यास आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी सुरेशानंद तीर्थ जी महाराज के सानिध्य में चल रही श्री शिव महापुरण कथा के अंतिम दिवस परम पूज्य अरविंद जी महाराज ने कहे। जानकारी देते हुए स्वामी माधवानंद तीर्थ जी ने बताया कि सोमवार को कथा की यज्ञ के साथ पूर्णाहूति हुई। अंतिम दिवस महिलाओ ने 12 पार्थिव ज्योर्तिलिंगो का निर्माण कर अभिषेक किया। महाराज श्री ने भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों की कथाएं और उनके स्थानों के महत्व के बारे में भी बताया। साथ ही पार्थिव ज्योर्तिलिंग के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि शिव कथा का मूल संदेश सभी के साथ सामंजस्य बनाकर रहना है। जिस तरह भगवान शिव के परिवार में सभी जीव-प्राणी पूजनीय हैं, उसी तरह इस विश्व में हमें भी सभी जीवों के महत्व को स्वीकारना चाहिए। उन्होंने संत कबीरदास के जीवन और रचनाओं का उदाहरण देते हुए बताया कि दुर्गुणी व्यक्ति हमेशा समाज को कष्ट देता है, जबकि सज्जन और अच्छे लोगों की संगत करने वाले व्यक्ति से दूसरों को हमेशा सुख मिलता है। हमें भी यही प्रयास करना चाहिए कि हम दूसरों के कष्ट का कारण ना बनें। व्यासपीठ की आरती मुख्य यजमान कृष्णमोहन गुप्ता एवं श्रीमती वीणा गुप्ता बैंगलोर सहित उपस्थित भक्तो ने की। अंत में महाप्रसादी का वितरण किया गया। 


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