किसान संघर्ष समिति ने तीन किसान विरोधी अध्यादेश जलाए


Harmeet Thakre, Betul


अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के आव्हान पर 9 अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर किसान संघर्ष समिति द्वारा "कार्पोरेट भगाओ ,किसानी बचाओ" आंदोलन परमंडल में शहिद स्तंभ पर  आयोजित किया गया। आंदोलन के तहत किसान विरोधी अध्यादेश का दहन किया गया तथा उपस्थित किसानों ने किसानों के मुद्दों पर संघर्ष चलाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम को किसंस के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक डॉ सुनीलम द्वारा ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंस से संबोधित किया गया।  किसान संघर्ष समिति द्वारा प्रधानमंत्री को ज्ञापन पंहुचाया गया। आज अनुविभागीय अधिकारी,मुलताई के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया।


ज्ञापन में यह मांगे रखी गई- केद्र सरकार से इस साल कोरोना दौर के लिए सभी किसानों का रबी फसल का कर्ज माफ करने और खरीफ फसल के लिए केसीसी जारी करने,समूहों के कर्ज का ब्याज माफ कर उनकी वसूली पर रोक लगाने, उसके बाद सरकार हर किसान को संपूर्ण कर्जा मुक्ति का कानून पास करने, प्रत्येक फसल, सब्जी, फल और दूध का एमएसपी कम से कम सी-2 लागत से 50 फीसदी अधिक घोषित हो। इस दाम पर फसल खरीद की गारंटी दे सरकार। एमएसपी से कम रेट पर खरीद करना फौजदारी जुर्म घोषित हो। दिनांक 03.06.2020 को जारी तीनो अध्यादेशों-
क)  कृषि उपज, वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020
ख)  मूल्य आश्वासन पर (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020


ग)  आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन)2020 को सरकार वापस ले। ये किसान विरोधी हैं। इनसे फसल के दाम घट जाएंगे। खेती की लागत महंगी और बीज सुरक्षा समाप्त हो जाएगी। खाद्य सुरक्षा तथा सरकारी हस्तक्षेप की सम्भावना समाप्त हो जाएगी। यह पूरी तरह कॉरपोरेट सेक्टर को बढ़ावा देते हैं, उनके द्वारा खाद्यन्न आपूर्ति पर नियंत्रण, जमाखोरी व कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा। किसानों को "वन नेशन वन मार्केट" नहीं "वन नेशन वन एमएसपी" चाहिए।



 अंतरराष्ट्रीय रेट 2014 से 60 फीसदी घटा है लेकिन भारत सरकार का टैैक्स दो गुना बढ़ा है। कोरोना दौर का किसानों, छोटे दुकानदारों, छोटे व सूक्ष्म उद्यमियों तथा आम जन का बिजनी का बिल माफ करने। डीबीटी योजना ना मंजूर।
फरवरी-मार्च 2020 में ओलावृष्टि, बिन मौसम बरसात और लॉक डाउन के कारण किसानों की सब्जी, फल, फसल एवं दूध के नुकसान का मुआवजा दे सरकार । 



मनरेगा के तहत काम की गारंटी को बढ़ाकर 200 दिन किया जाय और न्यूनतम मजदूरी की दर से भुगतान किया जाय ताकि खेतिहर मजदूर, छोटे किसान, मजदूरी छोड़ गाँव वापिस आये प्रवासी किसान को इस संकट में काम मिल सके। कोरोना संकट के पूरे दौर में सरकार हर व्यक्ति को पूरा राशन उपलब्ध कराये ताकि किसान की मेहनत से बने देश के खाद्यान्न भंडार का प्रयोग हो सके। राशन में हर महीने प्रति यूनिट, 15 किलो अनाज, 1 किलो तेल, 1 किलो दाल, 1 किलो चीनी दे सरकार।
देश में किसानो, आदिवासियों की खेती की जमीन के अधिग्रहण   पर रोक लगाई जाए और जंगल की जमीन कैम्पा कानून के नाम पर जबरन प्लान्टेशन लगाना बंद किया जाए।वनाधिकार कानून लागू किया जाए आदि मांगे रखी गई।



     कार्यक्रम में किसंस के जिलाध्यक्ष जगदीश दोड़के, शेषराव सुर्यवंशी, लक्ष्मण बोरबन,डखरू महाजन,हेमराज चौधरी, रामदयाल चौरे, रामदयाल, परसराम,भिल्या,मुलध्वज,सयाजी बनखेड़े,नत्थू डडोरे ,हरि महाजन, मनीराम बुआड़े,दिलीप गढ़ेकर,साहेबलाल महाजन, प्रेमचंद मालवीय, सीताराम नरवरे,लखन सूर्यवंशी, कृपाल सिंह सिसोदिया, चैनसिंह सिसोदिया,तिरथ सिंह,हरिओम विश्वकर्मा, विनोदी महाजन आदि उपस्थित रहे।


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