सेवा सहकारी संस्था में धोखाधड़ी कर गबन किए करीब 18 लाख रूपए ....
पूर्व सचिव व पर्यवेक्षक के खिलाफ बैंक मैनेजर ने लिखवाई रिपोर्ट, पुलिस जुटी जांच में
देवास। एक ओर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों के हित को लेकर कार्ययोजना बना रहे हैं, साथ ही प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जो खुद भी किसान पुत्र होकर किसानों के लिए कई योजनाएं संचालित करते हैं। वही दुसरी ओर इन्हीं योजनाओं के चलते कई ऐसे लोग भी रहते हैं जो किसानों के हित की राशि में गबन कर जाते हैं। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जहां सेवा सहकारी संस्था के कुछ सदस्यों ने किसानों के लोन की लिमिट राशि में गबन किया है। ऐसा आरोप संस्था के प्रबंधक ने लगाते हुए संस्था सदस्यों के विरूद्ध नाहर दरवाजा थाने पर रिपोर्ट लिखवाई है। पुलिस ने मामले को संज्ञान में लेते हुए इसे विवेचना में लिया है।
नाहर दरवाजा थाना पुलिस ने बताया कि जिले के ग्राम राजोदा की सेवा सहकारी संस्था के सचिव मिर्जा अय्यूब बैग व बैंक मैनेजर सुरेशचन्द्र गुजराती ने रिपोर्ट लिखवाई की संस्था के पूर्व सचिव महेश जैन निवासी तिलक नगर देवास व पूर्व पर्यवेक्षक दिलीप नागर निवासी मक्सी रोड़ देवास ने 22 जून 2018 से लेकर 9 कृषकों के फर्जी हस्ताक्षर कर 17 लाख 92 हजार रूपए का धोखाधड़ी कर गबन किया है। पुलिस ने बैंक मैनेजर की रिपोर्ट पर आरोपितों के खिलाफ धारा 420, 467, 468 में अपराध दर्ज कर प्रकरण में जांच शुरू की है।
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किसानों को बैंक ऋण देने में करते थे गबन
बैंक मैनेजर सुरेश चन्द्र गुजराती ने पुलिस को बताया कि किसानों को ऋण दिए जाने वाले मामले को लेकर जब जांच कि गई तो उसमें पता चला कि संस्था के पूर्व सचिव महेश जैन व पूर्व पर्यवेक्षक दिलीप नागर ने किसानों को खाद बीज के लिए दिए जाने वाले ऋण में फर्जी तरिके से लोन दिया है। संस्था में 9 कृषकों के खाते हैं यहां पर कृषकों ने अपनी जमीन के एवज में बैंक से ऋण लिया था। जिसमें सदस्यों के खातों में से फर्जी तरीके से हस्ताक्षर कर 17 लाख 92 हजार का गबन किया है। सचिव मिर्जा बैग ने बताया कि यह लोग किसानों को लोन ऋण निती के विपरित देते थे, जो लिमिट से अधिक रहता था। किंतु किसानों को ऋण उतना ही मिलता था जितना उन्होनें मांगा था, बाकी रूपया यह लोग गबन कर जाते थे। इस प्रकार का मामला 2018 से चल रहा था, जब इसकी जांच की गई तो सारा मामला खुलकर सामने आया। वहीं किसानों को ऋण देने से पूर्व परीक्षक बैंक पर्यवेक्षक दिलीप नागर के द्वारा किया जाता था, उसमें भी परीक्षण नहीं किया गया जिसके चलते लिमिट अधिक स्वीकृत हुई जिसमें दोनों आरोपितों ने अपना लाभ होने को लेकर बैंक के साथ धोखाधड़ी की है।
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