खुले आसमान के नीचे चलता है ज्ञान का सफर, बुनियादी सुविधाओं को तरसता स्कूल।
समाजसेवा की मिसाल बनीं शिक्षिका माया श्रीवास्तव, ज़रूरतमंद बच्चों को दी नि:शुल्क किताबें, लेकिन स्कूल आज भी पेड़ के नीचे-
भारत सागर न्यूज/देवास। देवास के ग्राम नई आबादी सातखोरी नागदा में स्थित सरकारी स्कूल की शिक्षिका श्रीमती माया श्रीवास्तव ने समाज सेवा की एक प्रेरणादायक मिसाल पेश की है। उन्होंने नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत पर गाँव के जरूरतमंद और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकें वितरित कीं। इस अवसर पर अखिल भारतीय घुम्मकड़ जनजाति नाथ समाज के जिलाध्यक्ष भगवान सिंह नाथ भी मौजूद रहे और उन्होंने शिक्षिका के इस सराहनीय कार्य की खुले दिल से प्रशंसा की।
शिक्षा ही भविष्य का आधार — माया श्रीवास्तव इस मौके पर श्रीमती माया श्रीवास्तव ने कहा, “शिक्षा ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जिससे बच्चे अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं। हमारा प्रयास है कि कोई भी बच्चा किताबों की कमी के कारण शिक्षा से वंचित न रहे।” उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य में बच्चों को और भी शैक्षणिक सहायता प्रदान करने की योजना है।
जहाँ एक ओर माया श्रीवास्तव अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित हैं, वहीं दूसरी ओर स्कूल की हालत दयनीय बनी हुई है। आज भी बच्चों को पेड़ के नीचे पल्ली बिछाकर पढ़ाई करनी पड़ती है।
स्कूल में न तो पीने के पानी की व्यवस्था है, न ही शौचालय और न ही बैठने की पर्याप्त सुविधा। गर्मी, बरसात और सर्दी — हर मौसम में बच्चों को खुले आसमान के नीचे ही शिक्षा ग्रहण करनी पड़ती है।
प्रशासन से लगाई गुहार, अब तक नहीं हुआ समाधान- श्रीमती श्रीवास्तव ने बताया कि कई बार उच्च अधिकारियों को स्कूल की दुर्दशा से अवगत कराया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
गाँव के अभिभावकों की भी यही मांग है कि उनके बच्चों को पढ़ाई के लिए एक बेहतर और सुरक्षित वातावरण मिले। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब जागता है और कब इन मासूम बच्चों को एक सम्मानजनक शिक्षा का माहौल उपलब्ध कराता है।
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