जान दे देंगे, लेकिन जमीन हरगीज नहीं देंगे

- जयस बिरसा ब्रिगेड देवास के नेतृत्व में ग्राम कूपगांव की आदिवासी ग्रामसभा ने कलेक्ट्रेट देवास जनसुनवाई में पहुंचकर भरी हुंकार, ज्ञापन सौंपकर कहा,,,,

- हाटपिपलिया माइक्रो सिंचाई परियोजना से विस्थापन का डर , चेतावनी देते हुए कहा,,,,

- यदि हमारी सुनवाई नहीं हुई तो बैल बकरी भैंस मुर्गी लेकर पैदल भोपाल जाकर मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव करेंगे,,,,



भारत सागर न्यूज/देवास। जय जोहार का नारा है भारत देश हमारा है,आदिवासियों को विस्थापित करना बंद करो बंद करो,जान देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे इत्यादि नारों के साथ जयस बिरसा ब्रिगेड देवास के नेतृत्व में ग्राम कूपगांव की आदिवासी ग्रामसभा ने कलेक्ट्रेट कार्यालय जनसुनवाई में पहुंचकर अपर कलेक्टर संजीव कुमार जैन को ज्ञापन सौंपा।ज्ञापन के माध्यम से कुपगाँव की ग्रामसभा ने हाटपिपलिया माइक्रो सिंचाई एवं कूपटैंक परियोजना के खिलाफ गंभीर आपत्तियाँ दर्ज कराई हैं। 



ग्रामसभा ने आरोप लगाया है कि परियोजना में कानून और संवैधानिक प्रावधानों की खुली अवहेलना की गई है। रूढ़िगत और परंपरागत ग्राम सभा के सदस्य रामलाल कर्मा द्वारा बताया गया कि फॉरेस्ट राइट एक्ट 2006 के अनुसार आदिवासी क्षेत्रों में परियोजना हेतु ग्रामसभा की सहमति अनिवार्य होती है, लेकिन ग्राम सभा की अनुमति के बगैर सरकार हिटलर शाही रवैया अपनाकर हम आदिवासियों को जबर्दस्ती विस्थापित करना चाह रही है।



जलसंसाधन विभाग ने गलत रिपोर्टिंग की, डीपीआर में प्रभावित क्षेत्र कूपगांव को गैर जनजातीय क्षेत्र बताया जबकि वास्तव में पूरा क्षेत्र आदिवासी आरक्षित विधानसभा क्षेत्र है।राजनीतिक उपयोग के लिए यह क्षेत्र आदिवासी क्षेत्र है बाकी हमारे अस्तित्व के लिए हम गैर आदिवासी कैसे हो गए। 



एलएनटी कंपनी तथा किसान संघ भी हमें उजाड़ना चाहता है। रेखा बाई सोलंकी ने बताया कि भू-अधिग्रहण कानून 2013 की धारा 41 के अनुसार आदिवासी भूमि का अधिग्रहण अंतिम उपाय ही होना चाहिए और ग्रामसभा की सहमति आवश्यक है लेकिन हमें सरकार उजाड़ना चाहती है।अंत में ग्रामसभा ने कहा है कि –



यदि शासन या कंपनी बिना अनुमति कार्य करती है, तो हम गाय बैल भैंस बकरी मुर्गी लेकर पैदल भोपाल जाकर मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव करेंगे ।साथ ही सर्वोच्च न्यायालय तक लड़ाई लड़ेंगे।इस अवसर पर जितेन्द्र भुसारिया,संजय मौर्य, रामलाल कर्मा, कमल पटेल, मदनलाल काजलिया, देवीलाल कुमारिया, 



शेर सिंह मौर्य, धनसिंह कर्मा, राधेश्याम उत्परिया, गजराज पटेल, कैलाश पटेल ,रेखा बाई सोलंकी ,क्षमाबाई राठौर ,भूरी बाई सोलंकी, धापू बाई, कृष्णाबाई सहित अत्यधिक संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।



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