महिला बाल विकास में चल रहा है बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार : शिवसेना




भारत सागर न्यूज/देवास। महिला बाल विकास विभाग के अंतर्गत संचालित विभिन्न योजनाओं में लगातार भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आ रही हैं। इस पर बड़े स्तर पर जांच की मांग उठ रही है। पूर्व में देवास ग्रामीण परियोजना के अंतर्गत CSR फंड की राशि में गबन का मामला सामने आया था, जिसकी जांच फिलहाल जारी है।




सीएसआर फंड में गड़बड़ी -

गेल गैस लिमिटेड कंपनी द्वारा 10 आंगनवाड़ी केंद्रों को चाइल्ड फ्रेंडली (बाल-सुलभ) बनाने हेतु 16 लाख रुपए की राशि महिला बाल विकास विभाग के अटल बाल मित्र खाते में जमा की गई थी। इसी राशि में लाखों रुपए का भ्रष्टाचार किया गया। 10 की जगह केवल 8 आंगनवाड़ी केंद्रों पर ही खरीदी और कार्य दर्शाया गया। कई आंगनवाड़ी केंद्रों में एक जैसी खरीदी और कार्य के बिल लगाए गए, जो संदेहास्पद हैं। साथ ही, 10 लाख रुपए की राशि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के निजी खातों में डाल दी गई। पदस्थ सांख्यिकी कर्मचारी प्रणय महेश्वरी को नियमों के विपरीत खातेगांव का प्रभारी परियोजना अधिकारी बना दिया गया। 




उन पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। सांझा चूल्हा योजना के अंतर्गत हुए कुछ ऑनलाइन लेन-देन में प्रणय महेश्वरी के साथ महिला बाल विकास अधिकारी प्रियंका बैरागी और अर्जुन चौहान का नाम भी सामने आया है। इस विषय पर शिवसेना जिला अध्यक्ष सुनील वर्मा ने कलेक्टर ऋतुराज सिंह से मुलाकात कर आवेदन पत्र सौंपा और जांच की मांग की। चौबपिपलिया आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मंजुला पटेल ने जनसुनवाई में भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन इस शिकायत से जुड़ी जांच रिपोर्ट जिला कार्यक्रम अधिकारी परियोजना कार्यालय से गायब हो गई है। प्रणय महेश्वरी, जो कि एक सांख्यिकीय अन्वेषक हैं, उन्हें नियमों के विपरीत प्रभारी परियोजना अधिकारी बना दिया गया।
    



आरोप है कि उन्होंने भ्रष्टाचार से जुड़े दस्तावेजों को उपलब्ध कराने में लापरवाही बरती और महीनों तक सही दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए। पूर्व जिला कार्यक्रम अधिकारी रेलम बघेल ने उन्हें अपने विश्वास पात्र कर्मचारी मानते हुए यह जिम्मेदारी सौंपी थी। महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाकर लगातार भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। जो महिलाएं इसके खिलाफ आवाज उठाती हैं, उनकी सेवा समाप्त कर दी जाती है या उन्हें निलंबित कर दिया जाता है।
    



सुनील वर्मा ने कलेक्टर को एक कॉल रिकॉर्डिंग भी सौंपी है। इसमें तत्कालीन सुपरवाइजर शैलेश तोमर मैडम यह स्वीकार करती हैं कि सीडीपीओ और डीपीओ के कहने पर नगद राशि लेकर बिना कार्य कराए ही 2 लाख रुपए का कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। इस रिकॉर्डिंग से भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है।
     



शिवसेना जिला अध्यक्ष सुनील वर्मा ने मांग की है कि मामले की गहन जांच हेतु विशेष जांच समिति गठित की जाए। दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए। सीएसआर फंड से संबंधित अनियमितताओं की पारदर्शी जांच की जाए।




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