Posts

Showing posts with the label Editorial

मनुष्य जाति का महान गुरु एवं सच्चा हितैषी ऋषि दयानन्द सरस्वती

Image
  परमात्मा ने 1.96 अरब वर्ष पूर्व इस संसार को बनाया था और तब से इसे चला रहा है। वह कभी सोता व आराम नहीं करता। यदि करता होता तो बहुत पहले इस संसार की प्रलय हो जाती। वह यह सब त्याग व पुरुषार्थ स्वाभाविक रूप से संसार के प्राणियों के लिये करता है। परोपकार का यह सबसे बड़ा उदाहरण है। इस संसार में अनादि व अमर जीवात्मायें मनुष्यों सहित अनेक प्राणी योनियों में जन्म लेती और मृत्यु को प्राप्त होती रहती है। हमारा यह जन्म क्यों हुआ, हमें क्या करना है, मनुष्य जीवन का सदुपयोग कैसे किया जा सकता आदि अनेक प्रश्न हैं जिनका समुचित व सन्तोषजनक उत्तर हमें संसार में प्रचलित शिक्षा सहित मत-मतान्तरों के ग्रन्थों में प्राप्त नहीं होता। ऋषि दयानन्द के जन्म के समय भी देश की यही स्थिति थी। देश अविद्या, अन्धविश्वासों, अमानवीय सामाजिक कुरीतियों सहित अनेक प्रकार के दोषों से युक्त था। हिन्दू जाति अंग्रेजों की गुलाम बनी हुई थी। इससे पूर्व देश के अनेक भागों पर मुसलमानों ने भी राज किया था और देश की हिन्दू जनता के प्रति अन्याय व शोषण सहित उस पर अनेकानेक अत्याचार किये थे। इसका कारण देश की आर्य हिन्दू जाति में अज्ञानता व अन्

कोरोना महामारी पर विजय सहित वेदों वा धर्म की रक्षा पर विचार

Image
  हमारा देश ही नहीं अपितु विश्व के अधिकांश देश इस समय कोरोना वायरस के संक्रमण के संकट से जूझ रहे हैं। हमारे देश का नेतृत्व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के सुयोग्य हाथों में है। देश सुरक्षित है और कोरोना के संक्रमण से हमें कम हानि हो रही है। यह केवल हमारा मानना नहीं है अपितु यह अनेक विद्वानों व विशेषज्ञों का अनुभव है जो यह बातें टीवी चैनलों पर भी बताते हैं। कोरोना से इस समय हमारे देश के एक हजार से अधिक लोग संक्रमित हैं। यह छूत का रोग है। यह किसी संक्रमित रोगी के सम्पर्क में आने अर्थात् उसे स्पर्श करने व मिलने से होता है। सरकार देश के संक्रमित लोगों की पहचान कर रही है तथा उन्हें अलग-थलग रखकर उनका यथासम्भव उपचार कर रही है। यद्यपि इस रोग का उपचार अभी तक खोजा नहीं जा सका है तथापि हमारे देश में बहुत से रोगी इस जानलेवा संक्रमण से स्वस्थ भी हुए हैं। कुछ लोगों ने सरकार के प्रयासों में सहयोग नहीं किया जिससे इसके कुछ विस्तार की सम्भावना है। पहले दिल्ली आदि के बहुत से श्रमिक अपने परिवारों के साथ अपने-अपने गृह प्रदेश को जाने के लिये पैदल ही निकल गये थे जिससे इस रोग के प्रसार का भयावह खतरा दिख

"प्रथम देवी माँ शैलपुत्री की वंदना"

Image
वृषभ आरूढ़ होके वाम हस्त शतदल लेके दाहिने त्रिशूल धर पधारो जगदम्बिका , प्रथम देवि शैलपुत्री भक्ति देना शक्ति देना जीवन को आप ही सँवारो जगदम्बिका , हरना जगत के दुःख ज्योति देना आशाओं की कष्ट भी आप ही निवारो जगदम्बिका , स्वार्थ दुनिया से जीवन की नैया को भव के पार भी आप ही उतारो जगदम्बिका ।। - आरती अक्षय गोस्वामी देवास मध्यप्रदेश 

'स्टूडेंट' - कॉपी और कलम लेकर कॉलेज पड़ने जाते है,  मिल गये दो मित्र तो पिक्चर को मुड़ जाते है !

Image
- नरेन्द्र मालवीय   कॉपी और कलम लेकर कॉलेज पड़ने जाते है,  मिल गये दो मित्र तो पिक्चर को मुड़ जाते है।  पौशाखे है रंग बिरंगी चश्मा आँखों पर होता अंग्रेजी गाने गाते हाथ बालों पर होता।  इंटरनेट शान है इनकी सेल्फी इनका टेलैंट  फेसबुक इंस्टाग्राम के रिश्ते ये निभाते है।  शाम हुई तो संग मे साथी नित्य टहलने जाते है,  रोज तो इनके मजे- मजे है बस पेपर से घबराते है।  पड़ते लिखते खाक नही ये पर पास की आस लगते है।  ये है इनके ठाट- बाट ये स्टूडेंट कहलाते है।      

कोरोना से लड़ने के साथ शत्रु देशों से सावधान रहने का समय

Image
  न केवल भारत अपितु विश्व के अधिकांश देशों में कोरोना वायरस से उत्पन्न माहामारी रोग अपने अप्रत्याशित हानिकारक रूप में सामने आया है। देश में पिछले 72 वर्षों की योग्यतम केन्द्रीय सरकार है। इस कारण कुछ लोगों के संक्रमित होने और लगभग 10 लोगों की मृत्यु होने पर भी रोग पर भी रोग वा वायरस पर विजय पाने के सभी सम्भव उपाय किये जा रहे हैं। हमारे रक्षक चिकित्सक, उनके सहयोगी, पुलिस व स्वच्छता कर्मचारियों सहित बैंक, जल, विद्युत, मीडिया आदि अनिवार्य सेवाओं में लगे लोग भी अपने जीवन का रिस्क लेकर काम कर रहे हैं। देश सभी सद्विचारों व सद्कार्यों को करने वाले देशवासियों का ऋणी है। ऐसे समय में भी कुछ स्थानों पर कुछ लोगों की देश विरोधी बातें सामने आयी हैं। उत्तर प्रदेश में भी हमारे पास एक योग्यतम मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी हंै जिनसे वहां कुछ लोगों के सीएए व एनआरसी के नाम पर किये जाने वाले षडयन्त्र सफल नहीं हो सके हैं। हमें ऐसी मानसिकता एवं लोगों से सावधान रहना है। हमारे देश के प्रमुख नेता इन बातों को अच्छी प्रकार से समझते हैं। इसी कारण उग्रता व असामाजिक घटनायें रुकी हुई हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति श्

नई शुरुआत / वो चिड़ियों का मिठा गुंजन ...

Image
- नरेन्द्र मालवीय   वो चिड़ियों का मिठा गुंजन,  सुबह की हवा का स्पंदन,  बौराये पेड़ों का मस्ती मे झूमना,  सुर का यूं मचलना,  मेरे अलसाये मन को छेड़ गया,  कुछ कानों मे कह गया,  उतार फेक अतीत की चादर को,  ओड ले नव प्रभात को,  ओस की ये नन्ही बून्दे,  कर देगी तन- मन को तृप्त,  आशाओं के खुले आसमान मे,  उड़ चल तु क्षितिज तक,  अभिलाषाऔं का ये हरा मैदान,  कर गया यौवन का संचार,  निराशा के कोहरे को चीर,  जीतेगा मेरे मन का मीत,  स्वप्न सलोने दिखा गया,  मुझे वो यू भरमा गया,  पल्लवित कर कुसुम की क्यारी,  अंशुमान ने निद्रा त्यागी,  मीठी सी ढंग को लेकर आत्मसात,  चली करने नई शुरूआत।                             

कोरोना वायरस रोग एवं अग्निहोत्र यज्ञ से स्वास्थ्य विषयक लाभ

Image
लेखक :- मनमोहन आर्य    इन दिनों न केवल भारत अपितु विश्व भर में कोरोना वायरस वा कोविड-19 नाम का महामारी रोग फैला हुआ है। आज दिनांक 22-3-2020 की जानकारी के अनुसार इस समय 3,08,463 लोग इस वायरस व रोग से संक्रमित हैं। 13,069 संक्रमित लोग वा रोगी इस रोग से अपना जीवन खोकर मृत्यु का ग्रास बन चुके हैं।  प्रश्न उत्पन्न होता है कि यह कोरोना रोग और इस रोग को फैलाने वाला वायरस आया कहां से? इसका उत्तर यही है कि यह रोग चीन में माह जनवरी, 2020 में उत्पन्न हुआ। वहीं इस रोग का वायरस उत्पन्न हुआ जिसने वहां के 3,261 लोगों के जीवन ले लिये। चीन में कोरोना रोग से 81,054 लोग संक्रमित हुए हैं। यह भी चर्चा है कि चीन वैज्ञानिक अनुसंधान करता रहता है जिसमें वह अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों पर अनुसंधान कर उनका निर्माण करता है। इसका उद्देश्य विश्व के लोगों को डराना, उनसे अपनी उचित व अनुचित बातें मनवाना तथा युद्ध की स्थिति आने पर युद्ध में विजय प्राप्त करना होता है। चीन को इस बात की किंचित चिन्ता नहीं है कि इस प्रकार के अनुसंधानों तथा अस्त्र-शस्त्रों के निर्माण का परिणाम क्या होगा? इसे चिन्ता नहीं है कि उसके इस कृत्

सूनी सड़के और बंद बाजार देखने जा रही भीड़ ! महामारी की भयावहता को समझे लॉकडाउन का गंभीरता से कीजिए पालन, प्रधानमंत्री ने भी की जनता से की अपील

Image
आखिर जनता क्यों कर रही है नियमों के अनुपालन का ढोंग ? भारत सागर (राहुल परमार) । समूचे देश में दिनोदिन कोरोना महामारी के प्रकोप के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। मध्यप्रदेश के कई जिलों को भी महामारी की रोकथाम और इससे लोगों को सुरक्षित रक्षा जा सके इसिलिए लॉक डाउन कर दिया गया है। कई जिलों की सीमाएं बंद की जा चुकी है। लेकिन जनता इसके अनुपालन में घोर लापरवाह नजर आ रही है। पुलिस तथा प्रशासन को लॉक डाउन और 144 का अनुपालन करने के लिए सख्ती करना पड़ रही है। इससे स्पष्ट है कि देश कि वह जनता जो प्रधानमंत्री के निवेदन पर जनता कर्फ्यू का पालन कर ठीक 5 बजे ढोल, नगाडे़, घंटी, थाली और ताली पीटने का नाटक कर रही थी। यह वहही लोग थे जो 5 बजते ही इन्दौर में टोली के रुप में निकल पड़े । क्या जागरुक जनता भूल गई विदेश में हुई मौतों को ? ज्ञात हो कि देश में भी लगभग 6 लोगों की मौत उक्त महामारी से हो चुकी है। डॉक्टरों ने भी कह दिया है कि जो अधिक समझदार होगा और सार्वजनिक रहेगा वह इस महामारी की चपेट में आसानी से आ जायेगा। देश में और अधिक हालात न बिगड़े इसके लिए सभी देशवासियों को प्रयास करना होगा । लेकिन कुछ लोग सू

" कोरोना हेतु जनता कर्फ़्यू "

Image
आरती अक्षय गोस्वामी  देवास मध्यप्रदेश द्वार हमारे खड़ा हुआ है शत्रु एक अनदेखा , इसको दूर भगाने हेतु खींचनी है लक्ष्मण रेखा । मानव जाति नष्ट करने आया अदृश्य दानव है , लील गया कितनी ही जानें संकट में मानव है । इसने ताण्डव बहुत मचाया कितने ही देशों में , अब भारतभूमि पर है आया जाने किन वेशों में । स्वच्छता का रखना ध्यान कई बार हाथ धोना है , हुई यदि लापरवाही तो अपनी जान को खोना है । न मिलना न हाथ मिलाना दूर ही से प्रणाम करो , पश्चिम का पीछा छोड़ अब सनातनी सम्मान करो। एक मीटर की दूरी से हमको एकजुट होना है , मुँह पर मास्क हो हाथ सेनिटाइजर से धोना है । सूखी खाँसी और बुखार हल्के में मत लेना तुम , संक्रमण इसका गलती से भी मत ले लेना तुम । बारह घंटे के जीवन वाला होता है इसका विषाणु , उत्पात मचा रहा ऐसे जैसे हो यह कोई परमाणु । सम्पर्क यदि न होगा तो यह खुद ही मर जाएगा , बारह घंटे अकेले विषाणु जीवित न रह पाएगा । इसीलिए जनता कर्फ़्यू की युक्ति सुझाई है पंत प्रधान ने , जनता के लिए जनता से जनता का समय मांगा प्रधान ने , आह्वान हमारे नायक का है हमको पालन करना है , जनता कर्फ़्यू है ये जनता को ही सफल ये करना है

विश्व काव्य दिवस / शस्य श्यामला वसुंधरा -

Image
आरती अक्षय गोस्वामी , देवास मध्यप्रदेश शस्य श्यामला वसुंधरा माटी माँ मातृभूमि यहाँ हरिता है , युगों से जीवन सिंचित करती माँ भागीरथी यहाँ सरिता है , वेद पुराण ग्रंथ सब शोभित जैसे मुकुटमणि हों भारत के , सम्पूर्ण जगतको ज्ञान देती जीवंत माँ गीता यहाँ कविता है।। विश्व काव्य दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

लोकतंत्र में जनता को मूर्ख बना रही ‘सरकारें’, अब आये तो जूतों की माला से होगा स्वागत !

Image
हालांकि जनता जागरुक है, इनके समीकरण बिगाड़ने में देर नही करती राहुल परमार, भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां का लोकतंत्र विश्व में अव्वल स्थानों पर गिना जाता है। जहां जनता देश के विकास का भविष्य तय करती है। लेकिन यह दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि वही विकास के पुरुष जिन्हें जनता उनके क्षेत्रों में भगवान के नाम तक से संबोधित कर देती हैं, उसी जनता को लोकतंत्र के त्यौहार के बाद भूल से जाते हैं।  शुध्द मामलों में बात की जावे यदि मध्यप्रदेश के नाटकीय राजनीतिक षड्यंत्र की । जी, ‘‘षड्यंत्र’’ शब्द का प्रयोग कोई गलत नही क्योंकि यदि यह जनता की भलाई के लिए होता तो संभवतः सत्ता के लालची सुर्य को रोशनी नही दिखाते ! सत्ता के लालच में दोनों पार्टियों के उच्च नेताओं ने कोई कसर नही छोड़ी। क्षेत्रीय विधायकों ने तो इस नाटक में अहम किरदार निभाया है। नाटक में मंत्रोचित्त मंच पर अपना अभिनय दिखाना तो कोई नेताओं से सीखे। वह दिन दूर नही जब नेता अपने क्षेत्र में वोट मांगने जाए और जनता उनका स्वागत जूतों की माला से करें!  जिस प्रकार मध्यप्रदेश में सरकार की बंदरबाट का खेल खेला जा रहा है उससे जनता को कितना लाभ होने वाला है

हमेशा रहा तेरा फैसला बुलंद तू हार को जीत कर बड़ चली बड़ रही

Image
विशाल राडंवा -    हमेशा रहा तेरा फैसला बुलंद तू हार को जीत कर बड़ चली बड़ रही।।   तूने हर जगह दस्तक दी बेनूर को नूर बनाकर कर्तव्य पथ पर चली चल रही।।   तू इस सृष्टि की बुनकर हर कष्टो को सहकर अटल चली अटल रही।।   तू वीरता की मूर्ति बन प्रेरणा का संदेश देकर अमर हुई अमर रही।।   है नारी,तू जन्मी सन्देश लेकर वीरता का मंत्र करुणा का भाव देकर बड़ चली बड़ रही।।

women's day : women this word itself an essence of strong  Femina

Image
Author: Devil Dance women this word itself an essence of strong  Femina The existence of men is incomplete without a  companion like women. a woman is a lady which  have a various role to play in her life and  different sphere to love she is strong, she is  an angel, she is a mother, a wife, a friend, a  daughter, and a sister. The women are the ones who give new life on the  earth carry her child in her womb take care of  others. From her birth to her death she has  different phases every phase of her came with  challenges which she bravely faces, her aura  makes her strong feminine in this world If we think according to various countries'  views on feminine each one possesses a different  image of women but in our country, we worship  women our mother is everything. In India, we  called it is our motherland the icon of women  here is very different. But today women have the power to grow herself,  I applause the way present-day women represent  herself in front of the nation. the

बेहतर समाज के निर्माण की आवश्यकता में युवाओं की भूमिका

Image
आरती शाह, खंडवा।    समाज निर्माण का तात्पर्य क्या है। समाज में ऐसी सुन्दर व्यवस्था का निर्माण करना जिसमें की समाज में रहने वाला हर इंसान आबाद रूप से रह और अपनी बात रख सके। वर्तमान में समाज निर्माण की आवश्यकता की क्यों अतिआवश्यकता आन पड़ी है ? वर्तमान भारतीय सामाज में अन्याय, असमानता, जाति-धर्म भेदभाव  आदि कई बुराईयो से ग्रस्त है। वर्तमान में  भाषा,धर्म,प्रान्त आदि के भाव इतने प्रबल है जिन्हें हम लडाई  - झगडे,आंदोलन आदि के रूप में देखते है और यह एक अच्छे समाज का लक्षण नही हो सकता है और इन सबका कारण अशिक्षा,अंधविश्वास दूर कर वैज्ञानिक दृष्टि लाना बहुत आवश्यक हो गया है। अब इन सब बुराइयों को अगर कोई मात दे सकता है इनसे लड़ सकता है वो है भारत का युवा जो एक बेहतर समाज का निर्माण कर उसे सही दिशा दे सकता है। हम सभी देख रहे है कि भारत एक विकासशील देश के साथ-साथ एक बड़ी जनसंख्या वाला देश है यहां लगभग आधी जनसंख्या युवाओं की है देश की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या की आयु 35 वर्ष से कम है संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश है यहां के लगभग 60 करोड़ लोग 25 से 30 वर्ष के

भारतीय संस्कृति मे नारी का स्थान

Image
आरती शाह, लेखक सर्वप्रथम नारी क्या है माँ,बहन, बेटी,पत्नी और न जाने कितने रूप को धारण करने वाली जो कि नारी के नाम से जानी जाती है नारी प्राचीन काल से ही इल पृथ्वी पर आवतार लेकर जन्म लेती है। ये स्त्री माँ के रूप में अपने बच्चे को दूध पिलाती है एक बहन बनकर अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है। अपने पति का आधा अंग बनकर उसकी अर्धांगिनी कहलाती है तो कभी एक बेटी बनकर अपने पिता का नाम रोशन करती है।  भारतीय सँस्कृति में नारी के महत्व की बात करे तो वैदिक काल मे नारी की स्थिति आज के समाज से अधिक आदरणीय व स्वतंत्रतापूर्ण हुआ करती थी। वैदिक काल मे कोई भी धार्मिक कार्य नारी की उपस्थिति के बगेर शुरू नहीं होता था। महिलाओं को धार्मिक कार्यो व राजनीति में भी पुरुष के  समान ही समानता हासिल थी। वे वेद पढ़ती और उसके द्वारा धार्मिक ग्रंथो को पढ़ाने का काम भी किया जाता था। मैत्री,गार्गी जैसी नारिया इसका उदाहरण है। ऋग्वेद की ऋचाओं में लगभग 414 ऋषियों के नाम मिलते हैं जिनसे 30 नाम महिला ऋषि के मिलते है । यंही नही महिलाएं युद्ध कला में भी पारंगत होकर राजपाठ भी संभालती थी। कंहा गया है कि नारी नर की आत्मा क

व्यक्ति का मकसद सिर्फ मशहूर होना नही महान बनने का होना चाहिए 

Image
लेखक:-  रोनी रमन  नए साल की शुरुआत में आपको एक ही बात कहना चाहती हूं कि पहली तारीख को हम सभी को 366 पेज की खाली किताब मिलेगी। ये हम पर निर्भर करता है कि हम उस किताब को कैसे भरते है अपने द्वारा किये अच्छे कामों से भरते हैं या बुरे कर्मों से। केवल मशहूर होना ही व्यक्ति का मक़सद नहीं होना चाहिए। महान बनो, मशहूर तो कोई भी हो सकता है। आज ज्यादातर लोग केवल अपने अधिकारों की ही मांग करते हैं। देश और समाज के प्रति हमारे क्या कर्तव्य है इस बारे में बहुत कम लोग ही सोचते है। अगर हम भारत मां के सच्चे सपूत है तो हमें अपने अधिकारों से पहले कर्तव्यो को निभाना होगा। ओर नए साल पर खुद पार्टियों में नशा करके जशन मनाने की बजाय ओरो को भी नशा नहीं करने के प्रति जागरूक करना चाहिए। ओर उन शहीदों की कुर्बानियों को हमेशा याद रखना चाहिए जिसकी वजह से आज हम आजाद भारत में जी रहे है

करगर कानून का कान कौआ ले गया

  कविता   हिंसा, आग, हैवानियत, हवस हावी हो गई अपराधि बुद्धि आरोपी हथकड़ी छोटी पड़ गई ईस्लामिक जमात रक्त रंजीष असमंजस हो गई वाम पंथी पार्टी भी भ्रांति हवा बारूद बन गई संवेदनषील, सहानुभूति स्वाहा हो गई है कारगर कानून का कान कौआ ले गया है मुद्दत से हुड़दंगी अज्ञात कौवे को तलासते रहे अकल के अंधे आंखे खोल पुलिस पर पत्थर फेंक रहे भांति-भांति भड़काउ, भ्रमित मंत्र से कान फूंकते रहे भय, भ्रम, भीड़ भड़काने, घीनोनी घात हरकते करते रहे आक्रामक उन्माद चिराग से देष बचाना है कारगर कानून का कान कौआ ले गया है निर्दोष तोड़फोड़ आरोपी जबरजस्ती कर  उपद्रव, भय, भ्रम, झूठ बदस्तूर जारी कर  हिंसा, आगजनी में यूनिवर्सिटी को मिलाकर जाबांज जादूगर, जख्मी आदर्ष विसर्जन कर विकास के मार्ग, नाष बदगुमान मिटाना है कारगर कानून का कान कौआ ले गया है उग्रवादी, आतंकवादी, वर्दी, छाती पे मारे लाती रक्त, रंजीत की अभिव्यक्ति दामन पे दाग लगाती चालाक हकारे भड़काते शांति में भ्रांति फैलाते  हंसी में हुड़दंग भीड़ में भगदड़ मचाते रूलाते चल अचल संपत्ति नुकसानी की पूर्ति होना है कारगर कानून का कान कौआ ले गया है कपटी, दुष्टी, पापी, जख्मी,

आज जो देश में पुलिस के साथ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है भीड़ के द्वारा उसी भीड़ को तमाचा

Image
विशाल राण्डवा          जिसने न्यौछावर कर दिए प्राण जो हर मुसीबत में आया काम  जिसने छोड़ दिया परिवार उसी पर तूने किया प्रहार वारे इंसान वारे इंसान.......!! जिसने दिए अनेको को नवप्राण जिसने रचे नये कीर्तिमान फिर भी तू कैसे बन बैठा है अनजान वारे इंसान वारे इंसान.......!! जिसने पहना खाकी का वेश है जिसके रग रग में भारत देश है जिसको मुसीबत में किया था तूने याद तूने उसी के सिर पर कर दिया वार वारे इंसान वारे इंसान.......!! तू भीड़ है उस गफलत की  जिसमे राष्ट्र का भाव नही तू क्या पहचाने उस खाकी कि कुर्बानी तुझे इस देश के कानून से ही प्यार नही...!! सच बताऊँ तो खाकी को तूने नही पहचाना है उसकी शहादत को तूने नही जाना है अगर होता तेरी आँखों में देश प्रेम का राग तो तू नही लगाता भारत को आग.......!!

कयामत तो कहीं से भी कंपाएगा

हैवानियत, हवस हावी, इंसानियत मर गई दुष्कर्म, अपहरण, अबला, देह नोच ली गई मानव बन दानव दरिंदे दुःख दर्द दे गए आक्रोष आग बुद्धिजीवी बिट्टो जल गई पाप से पर्यावरण दूषित तो होयगा कयामत तो कहीं से भी कंपाएगा कायनात कांप उठेगी, ज्वालाएं धधक उठेगी गृह युद्ध हो जाएगा, विष्वयुद्ध छिड़ जाएगा काल कीड़ा गाल कांटे, कोहराम मचाएगा तड़फाए, रूलाए कई बे मौत मर जाएगा कुदरत कभी भी कोहराम मचाएगा कयामत तो कहीं से भी कंपाएगा सिकवा जुबां न आए, फरियादी आवाज न लगाए चुपके-चुपके रोए तो आंसु बाहर नही बहाएं  मर-मर मजबूरी में जिंदे को उपहार दिलाए लूटी-मिटी छुटकी, बिट्टो बिन ढोल नचाए दोषी को फांसी दौड़ा, दौड़ा के दे जाएगा कयामत तो कहीं से भी कंपाएगा असुरी, प्रहरी, अंतर्रात्मा, जघन्य झकझोड़ती संताप में डूबे को शासन सियासत सिखाती पेट, रोटी, आष्वासन, मगरमच्छ आंसू बहाती अपराधी बुद्धिया, हथकड़ी, सलाखे समेटती हत्या की आंधी शोले तो भड़काएगा कयामत तो कहीं से भी कंपाएगा क्रूर कुटिल कामी क्र्रोधी कांटे रास्ते बोते तबाही के तंत्र, तरक्की के तार तोड़ते  शराब, कबाब, मांस से पेट कब्र बनाते कड़वी बोली, भाषण से श्रद्धांजलि देते मरघट ध

मेरी कलम मुझे इजाज़त नही देती हर कुकृत्य पर

Image
     विशाल राण्डवा   मेरी कलम मुझे इजाज़त नही देती हर कुकृत्य पर पीड़ित महिला की पीड़ा को बताना। हर घटना को अलग शब्द हर अनहोनी को नया रूप जिसे पढ़कर फिर किसी को रुलाना। सच बताऊँ,मेरी कलम मुझे इजाज़त नही देती।। हर कुकृत्य पर पीड़ित महिला की पीड़ा को बताना। उस शहर की उस गली में जँहा जमुरियत अंधी हो जिसमे इंसानियत का भाव नही। जो तहजीब को करती शर्मिदा हो। सच बताऊँ,मेरी कलम मुझे इजाज़त नही देती।। हर कुकृत्य पर पीड़ित महिला की पीड़ा को बताना। हर बच्ची सहमी सी हर लड़की डरी सी हर महिला की आँखों में आँसू है। बेबसी की दाशता सुनाता ये आलम जिस पर हर इंसान शर्मिदा है।। सच बताऊँ,मेरी कलम मुझे इजाज़त नही देती।। हर कुकृत्य पर पीड़ित महिला की पीड़ा को बताना।।