शासकीय गोशालाओं में गोवंश की कुपोषण से हो रही मौत ?

पंडित रितेश त्रिपाठी ने की शासकीय गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने व अनुदान बढ़ाने की मांग



देवास। अनुदान के अभाव में गौ वंश को पोषण नहीं मिला और प्रदेश की कई शासकीय गोशालाओं में गौ वंश की मौत हो गई। भोपाल मुगलीय व कोठार ग्राम में ही 73 गायों की मौत हो चुकी है। ऐसे में पंडित रितेश त्रिपाठी ने मांग की है कि शासकीय गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए और अनुदान भी बढ़ाया जाए ताकि इस तरह की स्थिति निर्मित ना हो।

    पंडित त्रिपाठी ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 1300 गौ शालाओं का संचालन शासकीय स्तर पर किया जाता है। इनमें से 100-100 गोवंश रखने की क्षमता वाली 1000 गोशालाओं का निर्माण तत्कालीन कमलनाथ सरकार द्वारा किया गया था, जिन्हें अनुदान प्राप्त होता है। पूर्व सरकार द्वारा प्रतिदिन 20 रुपए का बजट गौ वंश के पोषण के लिए स्वीकृत किया जाता रहा है लेकिन प्रतिदिन 20 रुपए के बजट को इस बजट में कम करते हुए मात्र 9 रुपए प्रतिदिन पर सीमित कर दिया गया है। मोटे तौर पर जहां 150 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जाना था, उसके स्थान पर मात्र 60 करोड़ रुपए का प्रावधान इस बजट में किया गया है।

बावजूद इसके पिछले 7 महीनों में अनुदान के अभाव में यह स्थिति बनी है कि कोठारग्राम स्थित शासकीय राधाकृष्ण गोशाला व भोपाल मुगलीय स्थित समिति द्वारा संचालित गोशालाओं में अनुदान के अभाव में 73 गोवंश की मृत्यु हुई है। जबकि मध्यप्रदेश में वर्तमान शिवराज सरकार ने गो कैबिनेट का गठन भी उत्साह से किया था लेकिन धरातल में इस गौ कैबिनेट की उपयोगिता नजर नहीं आ रही है। जबकि वर्तमान में 2000 शासकीय गौ शालाओं के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। प्रथम चरण में 1000 गौ शालाएं बनकर तैयार हैं जबकि 1000 गौ शालाओं के निर्माण का कार्य दूसरे चरण में शुरू हो चुका है।

पंडित त्रिपाठी ने नई गौ शालाओं के निर्माण के शिवराज सरकार के संकल्प को स्वागत योग्य कदम बताया लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व से निर्मित गौ शालाओं का सही तरीके से संचालन हो और गौ वंश  के पोषण के लिए अनुदान की राशि को बढ़ाया जाना चाहिए। साथ ही गौ शालाओं में कार्यरत कर्मचारियों के लिए भी मानदेय निर्धारित करते हुए उसका भुगतान भी समय पर किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में लोकसभा की स्थायी समिति ने छत्तीसगढ़ सरकार की गौ धन न्याय योजना (गोठान) की सराहना की है। साथ ही सिफारिश भी की है कि अन्य राज्यों में भी इस योजना को अपनाना चाहिए। पंडित त्रिपाठी ने कहा गोशालाओं में गोबर की लकड़ी, जैविक खाद बनाना भी अनिवार्य रूप से शुरू करवाया जाए ताकि गौ शालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सके।

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