एमजी रोड widening में पारदर्शिता व मुआवज़े की माँग तेज — धर्मेन्द्र सिंह कुशवाह ने उठाई आवाज़
भारत सागर न्यूज/देवास। देवास विकास योजना 2031 में प्रस्तावित सड़क चौड़ीकरण के अंतर्गत सायाजी द्वार से जनता बैंक तक की सड़क को चौड़ा करने के लिए नगर निगम द्वारा विभिन्न भूमि स्वामियों को नोटिस जारी किए गए हैं। इन नोटिसों में प्रारंभिक नोटिस में 6 फीट भूमि अतिक्रमण बताते हुए का उल्लेख किया गया था, जबकि बाद के नोटिसों में इसे बढ़ाकर 9 फीट कर दिया गया। इसके अतिरिक्त, कुछ भूमि स्वामियों द्वारा आरोप लगाया गया है कि सड़क चौड़ीकरण के लिए केंद्र रेखा (सेंटर लाइन) ठीक से नहीं डाली गई है, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं निष्पक्षता का अभाव है।
नगर निगम द्वारा मध्य प्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम, 1956 की धारा 203(1) के अंतर्गत इन नोटिसों को जारी कर सड़क की नियमित रेखा निर्धारित करने एवं अतिक्रमण हटाने की मांग की जा रही है, किंतु प्रभावित भूमि स्वामियों को किसी प्रकार का मुआवजा प्रदान नहीं किया जा रहा है। यह प्रक्रिया भारत के संविधान के अनुच्छेद 300A का उल्लंघन करती है, जो संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित रखते हुए बिना उचित मुआवजे के संपत्ति से वंचित करने पर रोक लगाता है।
प्रचलित कानूनों के अनुसार, भूमि अधिग्रहण के लिए द राइट टू फेयर कंपेंसेशन एंड ट्रांसपेरेंसी इन लैंड एक्विजिशन, रिहैबिलिटेशन एंड रिसेटलमेंट एक्ट, 2013 (आरएफसीटीएलएआरआर एक्ट) लागू होता है, जो शहरी क्षेत्रों में बाजार मूल्य का दोगुना मुआवजा एवं सोलेटियम प्रदान करने का प्रावधान करता है। मध्य प्रदेश में भी मध्य प्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, 1973 के रूप में मुआवजा प्रदान करने की व्यवस्था है, जिससे प्रभावित परिवारों को आर्थिक एवं सामाजिक क्षति हो रही है। नगर निगम देवास तत्काल प्रभाव से सड़क चौड़ीकरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करे, केंद्र रेखा की सही मार्किंग करे, नोटिसों में विसंगतियों को दूर करे एवं सभी प्रभावित भूमि स्वामियों को प्रचलित कानूनों के अनुरूप उचित मुआवजा प्रदान करे। यह मुद्दा न केवल व्यक्तिगत अधिकारों से जुड़ा है, बल्कि शहर के समग्र विकास में न्याय एवं समानता सुनिश्चित करने से संबंधित है। मीडिया एवं प्रशासन से अनुरोध है कि इस अन्याय पर ध्यान दें एवं न्यायोचित समाधान निकालें।



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