राजभाषा प्रज्ञान व्याख्यानमाला में उज्जैन के दो प्रतिष्ठित वक्ताओं ने किया संबोंधित

देवास। बैंक नोट प्रेस राजभाषा प्रज्ञान व्याख्यानमाला में डॉ. मोहन गुप्त और आचार्य शैलेंद्र पाराशर के व्याख्यान का आयोजन सम्पन्न हुआ। स्टाफ में अंतरू प्रज्ञा, नैतिक मूल्यों की उच्च स्थापना, बेहतर कार्यशीलता और राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोगों में वृद्धि के लिए बीएनपी में आयोजित की जा रही राजभाषा  प्रज्ञान व्याख्यानमाला में उज्जैन से आमंत्रित दो प्रतिष्ठित वक्ताओं के व्याख्यान का आयोजन किया गया। बीएनपी के राजभाषा अधिकारी संजय भावसार ने जानकारी देते हुए बताया कि बीएनपी में आईएएस और पूर्व कुलपति डॉ. मोहन गुप्त एवं पूर्व अध्यक्ष डॉ आंबेडकर पीठ, विक्रम विवि के प्रो शैलेंद्र पाराशर इस व्याख्यानमाला में आमंत्रित किये गए थे। व्याख्यान का विषय कुशल प्रबंधन में नैतिक मूल्यों की भूमिका था। मुख्य अतिथि डॉ मोहन गुप्त ने  संबोधित करते हुए कहा कि परस्पर संवाद और अंतर्वैयक्तिक संबंधों के द्वारा बेहतर प्रबंधन और व्यक्ति के भीतर स्थित सत पृवृत्ति में वृद्धि कर रज और तम की कमी की जा सकती है। इससे स्वतरू नैतिकता में वृद्धि हो जाएगी। विशिष्ट अतिथि वक्ता आचार्य पाराशर ने संबोधित करते हुए कहा कि पहले स्वयं को प्रबंधित करना आवश्यक है तत्पश्चात अन्य को प्रबंधित करना चाहिए। पहले शरीर को प्रबंधित करें, तत्पश्चात भावों और विचारों को प्रबंधित करना होगा। यदि हम सही विधि से सही सोच से कार्य करेंगे तभी हमारा प्रबंधन सफल होगा।
  इस व्याख्यानमाला के अध्यक्ष बीएनपी के महाप्रबंधक राजेश बंसल थे। उन्होंने अपने संबोधन मे दोनों अतिथि वक्ताओं के प्रबोधन और मार्गदर्शन के लिए कृतज्ञता अर्पित की और शाल श्रीफल से उनका स्वागत सम्मान किया।


 


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