सोयाबीन की कटी फसल पर और खेतों में पड़े ढेर पर पानी, फसल खराब

टोंकखुर्द//रोहित सोलंकी(9827364049)


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मध्यप्रदेश में पीला, सोना कहे जाने वाला सोयाबीन इस बार किसान को  खेतों से बाहर लाने में परेशानी झेलना पड़ रही है, पिछले  दो तीन दिनों से क्षेत्र में सोयाबीन फसल कटाई का कार्य चालू हुआ। बुधवार शाम बारिश होने से कार्य रूक गया।  वहीं गुरूवार को सुबह दस बजे से ही बारिश प्रारंभ हो गई जो रूक रूक दिनभर जारी रही। किसानों के अनुसार जो फसल कटकर खेत में पड़ी  है उसमें नुकसान होगा क्योंकि बारिश से फसल सड़ने लग जायेगी। वही जिन किसानों ने कटाई के बाद खेतों में ही इकट्ठा करके ढेर लगा दिये उन्हें बारिश से बचाने के लिए किसान ने जद्दोजहद कर त्रिपाल, पल्ली से बारिश के पानी से बचाव की कोशिश की।  किसान के अनुसार बारिश का पानी सोयाबीन के ढेर में जाने से सोयाबीन गीला होगा और उसमें सडांध लगेगी।  वहीं मशीन में निकालने से पहले सोयाबीन के ढेर को खेतों में सुखाने के लिए चौड़ा करना पड़ेगा, जो सोयाबीन खेतों में कटकर पड़ी है उनकी भी बारिश रूकने पर पलटी लगाना पड़ेगी क्योंकि उसे भी सुखाना पड़ेगा। 


 



 


कुल मिलाकर बारिश से पकी हुई फसल को निकालने में किसान को दुगनी मेहनत लगेगी और लागत भी ज्यादा खर्च होगी। वहीं फसल भी खराब निकलेगी। किसानों के अनुसार कुछ दिनों पहले सोयाबीन में एकाएक बिमारी लगने से फसल में नुकसान हुआ था।  अब बची हुई कसर बारिश ने पूरी कर दी। सोयाबीन फसल को बोवने से लेकर कटाई तक तथा मशीन में निकालने में सबसे ज्यादा खर्च है।  अब फसल खराब होने पर किसान कर्ज कहाँ से दे ? किसानों के अनुसार फसल के लिए जो कर्जा लिया, कीटनाशक, खरपतवार नाशक दवाईयों के छिडकाव के रूपये अभी नहीं दिये। फसल आने पर दुकानदार को देने का बोला था, परंतु फसल खराब होने से उधारी चूकाना मुश्किल होगा। वही गेहूं, चना की बोवनी की भी तैयारी करना है। रूपये के अभाव में फसल बोवनी कैसे करेंगे ? सोयाबीन फसल में बोया बीज भी नहीं निकलेगा परन्तु अगली फसल की तैयारी के लिए सोयाबीन को खेतों से बाहर भी करना पड़ेगा। 


हरनावदा के किसान सुनील जोशी ने दस बीघा की खड़ी फसल ट्रेक्टर से बखर दी।  किसान ने बताया की सोयाबीन के पौधे में दाना ही नहीं था तो कटाई करके क्या करते  ? इसलिए खडी फसल ही बखर दी !  किसानों ने शासन से जल्द सर्वे कर मुआवजा, बीमा राशि की मांग की, बीमा राशि, मुआवजा राशि से अगली फसल बोने की तैयारी की जा सके।


 


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