राजस्व निरीक्षक ने बंटवारे में मिली कृषि भूमि का सीमांकन करने के बदले मांगी थी 20 हजार रूपए की रिश्वत.......

9 हजार रूपए लेते हुए हुआ गिरफ्तार, लोकायुक्त उज्जैन की टीम ने की कार्रवाई



देवास। जिले की सतवास तहसील में पदस्थ आरआई (राजस्व निरीक्षक) ने सीमांकन और नक्शा त्रुटि सुधार के नाम पर एक व्यक्ति से 20 हजार रुपये की मांग की गई। इसमें से 11 हजार रूपए उसने ले भी लिए और दूसरी बार 9 हजार रूपये देने के पहले फरियादी ने इसकी शिकायत लोकायुक्त उज्जैन से कर दी। इसके बाद टीम ने जाल बिछाया और सतवास पहुंचकर आरोपी को 9 हजार रूपए की रिश्वत लेते हुए शुक्रवार दोपहर तहसील कार्यालय के पास से दबोच लिया।

लोकायुक्त डीएसपी सुनील तालान व निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव के नेतृत्व में टीम जिले के सतवास पहुंची और फरियादी सत्यनारायण गुर्जर निवासी ग्राम बड़ौदा से 9 हजार रूपये लेते हुए राजस्व निरीक्षक राजेंद्र धुर्वे को रंगे हाथ पकड़ा। फरियादी गुर्जर ने 1 जून को उज्जैन लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत की थी कि उसके तथा उसके भाई बलराम के नाम बंटवारे में मिली कृषि भूमि के सीमांकन तथा नक्शा त्रुटि सुधार के लिए आरआई धुर्वे 20 हजार रुपये की मांग कर रहा था जिसमें से 11 हजार रूपए उसने ले लिए थे। बाकी 9 हजार रूपए और मांगे जा रहे थे। इसके बाद टीम ने कार्रवाई की।

सीमांकन के लिए मांगे थे 20 हजार रूपए 

किसान सत्यनारायण गुर्जर ने बताया की राजस्व निरीक्षक द्वारा जमीन के सीमांकन के लिए मुझसे 20 हजार रूपए रिश्वत की मांग की थी। जिसमें से मैंने 11 हजार रूपए कुछ दिनों पहले दे दिए थे। लेकिन फिर भी सीमाकंन नहीं किया गया और 9 हजार रूपए और मांगे। मैंने मामले की शिकायत उज्जैन लोकायुक्त में जाकर की। इस पर शुक्रवार को मेरे द्वारा दिए गए 9 हजार रूपए की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त टीम ने राजस्व निरीक्षक को रंगे हाथों पकड़ लिया। 

फरियादी ने लोकसेवा केन्द्र में दिया था आवेदन 

लोकायुक्त निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव ने बताया कि 9 बीघा सीमांकन के लिए लोकसेवा केन्द्र में आवेदन दिया था। सतवास आरआई द्वारा सीमांकन के लिए 20 हजार रुपए की मांग की गई थी। शिकायत के बाद 1 जून को सत्यापन करवाया गया। 2 तारीख को आरआई की आवाज रिकार्ड करवाई गई। जिसमें 11 हजार रुपए फोन पर लेना बताया गया। आज 9 हजार रुपए सुबह लेने बुलाया गया था लेकिन सुबह यह किसी कार्रवाई में निकल गए थे। दोपहर में यह आए तो इनके शासकीय कार्यालय में 9 हजार रुपए लेते रंगे हाथों पकड़ा गए। इनके उपर धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण की कार्रवाई की गई है।


गौरतलब है कि जिले में रिश्वतखोरी का लंबा इतिहास रहा है। पूर्व में देवास एसडीएम के रीडर, बरोठा नायब तहसीलदार, कई पटवारी व अन्य कर्मचारी भी इस मामले में दबोचे जा चुके है। पिछले वर्ष हाटपीपल्या तहसील व कन्नौद क्षेत्र में उचित मूल्य दुकान में फर्जीवाड़े के मामले में भी कार्रवाई हो चुकी है। इनमें से कई आरोपियों को दोष सिद्ध होने पर सजा हो चुकी है जबकि कई मामले भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत न्यायालय में विचाराधीन हैं। वहीं कुछ मामले ऐसे भी रहे हैं जिनमें आरोप सिद्ध नहीं हो पाने के कारण आरोपी बरी भी हुए हैं, हालांकि ऐसे प्रकरण की संख्या गिनी-चुनी है।


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