एलआईसी यूनियन का विरोध प्रदर्शन
- बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई के खिलाफ उठी आवाज
भारत सागर न्यूज/देवास। केंद्रीय बजट 2025 में सरकार द्वारा बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की नीति लागू करने की घोषणा के खिलाफ एलआईसी कर्मचारियों में आक्रोश है। इसके विरोध में इंश्योरेंस एम्प्लॉय यूनियन ने देवास स्थित एलआईसी शाखा पर प्रदर्शन किया और सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की।
इंदौर डिविजन इंश्योरेंस पेंशन एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहन जोशी ने कहा कि एलआईसी आज देश की नंबर एक बीमा कंपनी है, जो कर्मचारियों की कड़ी मेहनत और जनता के विश्वास के कारण इस मुकाम तक पहुंची है। सरकार लगातार निजी निवेश को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही थी, और अब 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति देकर निजीकरण की राह खोल दी है। उन्होंने साफ किया कि यूनियन शुरुआत से ही एलआईसी के निजीकरण के खिलाफ संघर्षरत रही है और आगे भी इस लड़ाई को जारी रखेगी।
इंदौर डिविजन इंश्योरेंस एम्प्लॉय यूनियन के मंडल उपाध्यक्ष मोरसिंह राजपूत ने इस फैसले को बीमाधारकों, कर्मचारियों और आम जनता के साथ विश्वासघात करार दिया। उन्होंने कहा कि अगर एलआईसी का निजीकरण होता है, तो सरकारी कर्मचारियों की नौकरी खतरे में आ जाएगी और करोड़ों बीमाधारकों का भविष्य प्रभावित होगा।
यूनियन का कहना है कि सरकार जल्द ही इंश्योरेंस लॉ अमेंडमेंट बिल संसद में पेश करने वाली है, जिससे बीमा क्षेत्र पूरी तरह निजी हाथों में चला जाएगा। अगर यह बिल पास होता है, तो इसके खिलाफ देशभर में बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा और सभी एलआईसी कार्यालयों में एक घंटे की हड़ताल की जाएगी।
श्रमिक संगठन एआईयूटीयूसी के जिला सचिव राजुल श्रीवास्तव ने भी आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि 100 प्रतिशत एफडीआई का फैसला बीमा क्षेत्र में निजीकरण को पूरी तरह बढ़ावा देगा, जिससे सरकारी बुनियादी ढांचा निजी हाथों में चला जाएगा। उन्होंने इस फैसले का पुरजोर विरोध करने की बात कही।
इस प्रदर्शन में सुभाष चौधरी, प्रतिमा शर्मा, अश्विनी झरबड़े, सुनील पाल, अमित सांगते, आयुष्मान तीखीत सहित कई कर्मचारी शामिल रहे। आभार एलआईसी यूनियन के सचिव करण पिसे ने व्यक्त किया।
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