SRS रिपोर्ट ने दिखाया आईना, मध्यप्रदेश में माँ और बच्चे दोनों असुरक्षित......
भारत सागर न्यूज/भोपाल। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) की ताजा रिपोर्ट ने मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, देश में सबसे अधिक शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate) मध्यप्रदेश में दर्ज की गई है, जहां प्रति 1000 जीवित जन्मों पर औसतन 40 शिशुओं की एक वर्ष की उम्र पूरी होने से पहले ही मौत हो जाती है। यह आंकड़ा न केवल राष्ट्रीय औसत से अधिक है, बल्कि राज्य की स्वास्थ्य योजनाओं और दावों की पोल भी खोलता है।
इस चौंकाने वाले खुलासे के बाद कांग्रेस ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए इसे ‘बीमार सरकार’ करार दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि हर साल पोषण और मातृत्व योजनाओं पर लगभग 4500 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं, बावजूद इसके जमीन पर स्थिति बेहद खराब है। उन्होंने कहा कि हर साल आने वाली CAG रिपोर्ट पोषण घोटालों की ओर इशारा करती है, लेकिन सरकार आंख मूंदे बैठी है और कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि भारत में शिशु मृत्यु दर में पिछले कुछ वर्षों में सुधार जरूर हुआ है, लेकिन मध्यप्रदेश अब भी पिछड़ रहा है।
जहां देश का औसत 26 है, वहीं राज्य का औसत 40 है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर शहरी इलाकों की तुलना में डेढ़ गुना अधिक है, जिससे स्पष्ट होता है कि गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहद जर्जर स्थिति में हैं। सिर्फ शिशु ही नहीं, राज्य में माताओं की जान भी सुरक्षित नहीं है।
मध्यप्रदेश में मातृ मृत्यु दर 159 प्रति एक लाख प्रसव है, जबकि राष्ट्रीय औसत 88 है। ये आंकड़े साफ तौर पर दर्शाते हैं कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को लेकर सरकारी योजनाएं महज कागज़ों तक सीमित हैं।
कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया है कि जब सरकार खुद केरल मॉडल को स्वास्थ्य क्षेत्र में आदर्श मानती है, तो अब तक इसे अपनाने में देरी क्यों की गई? गरीबों, महिलाओं और बच्चों के लिए चलाई जा रहीं योजनाएं ज़मीनी हकीकत में कितना प्रभावी रूप ले पाई हैं, यह इस रिपोर्ट से उजागर हो चुका है। विपक्ष ने मांग की है कि राज्य सरकार इस गंभीर विषय पर जवाबदेही तय करे और स्वास्थ्य ढांचे में वास्तविक सुधार के लिए ठोस कदम उठाए।
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