महान भारतीय संस्कृति के प्रति हमारा सच्चा समर्पण हमारा परम धर्म है- राधे गुरू


देवास। कथा केवल मनोरंजन का विषय नही है मनोमंथन का विषय है । समाज में जो कुरीतिया है वह ग्रंथो के माध्यम से ही दूर की जा सकती हैं, इसलिए हमारे घर में जो ग्रन्थ है वे केवल रखने के लिए नही अपितु पढने के लिए होते है । आज समाज में बच्चे बड़ो का आदर एवं हमारी संस्कृति को भूलते जा रहे है इसका सबसे बड़ा कारण है बच्चों को धर्म से अलग रखना । जिस तरह हम भूमि में बीज बोते हैं जिसका फल हमें तीन से चार माह में मिलता है। बीज जितना अच्छा बोया होगा उतना ही अच्छा फल होगा । इस तरह इस जन्म में धर्म के मार्ग पर चलते हुए सतकर्म और पुण्यदान करेंगे उसका फल हमे इस जन्म में तो मिलेगा । यह आध्यात्मिक विचार सेठ मिश्रीलाल नगर में चल रही श्रीमद भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस पर पूज्य महाराज श्री राधेगुरू जी ने व्यक्त किए। आपने अनेक रोचक प्रसंगों का वर्णन करते हुए भारतीय संस्कृति की महिमा पर प्रकाश डाला। आपने प्रेम कैसे करें एवं धुंधकारी को मुक्ति कैसे प्राप्त हुई इसका विस्तारपूर्वक वर्णन किया। आयोजक राजेश जैन ने बताया कि श्रीमद भागवत की आरती भाजपा नेता लोकेश विजयवर्गीय, कैलाश पटैल, भगवान दीन, राजेन्द्र ठाकुर, चंद्रकांत गर्ग आदि ने की। बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा का लाभ ले रहे हैं।


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