सुदामा गरीबी का नाम नहीं प्रेम का नाम है: राधे गुरूजी

 



देवास। सुख में तो मित्र अनेक है। दख में मित्र बने वो लाखों में एक है। गरीब ब्राह्मण को सुदामा कहते है जबकि गरीबी का नाम सुदामा नहीं। प्रभु के प्रति अपार श्रद्धा भक्ति और प्रेम का नाम सुदामा है। यह विचार यह विचार सेठ मिश्रीलाल नगर में चल रही श्रीमद भागवत महापुराण के सातवे दिन पूज्य महाराज श्री राधेगुरू जी ने कथा की पूर्वहुति के अवसर पर व्यक्त करते हुए कहा कि भक्त के प्रति प्रभु का कितना अपार प्रेम था कि अपने मित्र की दशा देखकर भगवान श्रीकृष्ण ने परात में भरे जल को छुआ तक नहीं और अपने नैनन के जल से ही पाँव धोये। भगवान अपने भक्त को दुखी नहीं देखना चाहते हैसंसार में जो अपनी माँ, बाप और परिवार से प्रेम करता है। वही दूसरों से प्रेम कर सकता है ऐसा ही प्रभु का सच्चा भक्त होता है। आपने कहा कि पाप के बाप का नाम लोभ है। संसार में जितने भी पाप हो रहे है उसके पीछे सिर्फ लोभ है लोभ को जिसने त्यागा वो कभी दुखी नहीं रह सकता है। द्वारका मंत्री ने भजनों की प्रस्तुति दी। पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने कन्याओं का पूजन किया। आयोजक राजेश जैन ने बताया कि श्रीमद भागवत की आरती , ब्राह्मण समाज अध्यक्ष संजय शुक्ला, डी.के. जोशी, जगदीश चौधरी, संजय नंदी, कामराज जायसवाल, ग्यारसीबाई ने की। कथा समाप्ति पश्चात भंडारा आयोजित किया गया जिसमें हजारों की संख्या में भक्तों ने प्रसादी ग्रहण की। संचालन संजय लक्खा ने किया। अंत में आयोजक राजेश जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया।


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