इंसान के बाद पक्षियों पर आई ये कैसी मुसीबत ....? क्या यह रेडिएशन है या फिर पक्षियों के लिए आने वाली कोई महामारी ?



राहुल परमार । मार्च 2020 में जब लॉकडाउन लगाया गया था तब टेलिविज़न और सोशल मीडिया के माध्यम से कोरोना बीमारी की भयावहता सबके सामने आई थी। इस दौरान लोगों ने खुद को घर मे कैद तक कर लिया था । इस दौरान पशु पक्षियों के लिए स्वतंत्र वातावरण भी निर्मित हो गया था। प्रकृति स्वयं को निखारने लगी थी । नदियों का जल स्वच्छ रूप में कलकल बह रहा था। लेकिन जैसी ही इस बीमारी की वैक्सीन ने बाजार में आने की राह पकड़ी वैसे ही पक्षियों के कई स्थानों पर मरे पड़े रहने के समाचार आने लगे। इनके मृत होने का कोई सरोकार इस वैक्सीन से नही है । लेकिन इनके मरने के कारणों का पता लगाने के लिए अब पशु चिकित्सक जद्दोजहद करने लगे हैं। 

समाचार है कि मध्यप्रदेश के कई स्थानों पर मृत मिले कौवों से प्रकृति प्रेमी हैरान हैं। कोई कहता है कि यह मोबाइल टॉवर के रेडिएशन से है तो कोई कहता है कि यह बर्ड फ्लू है। 

पिछले दिनों इंदौर में कई कौवों की मौत हो गई थी उसके अगले दिनों में ही सीहोर जिले के कुछ क्षेत्रों में और फिर देवास जिले के अंचल में कौवों के  मृत होने के समाचार मिले हैं। 

बात करें इन मूक पक्षियों की तो प्रकृति प्रेमियों को यदि नजरअंदाज कर दिया जाए तो इन पक्षियों को केवल श्राद्ध पक्ष में ही याद किया जाता है । तब ही को लेकर यदि आम आदमी थोड़ा प्रदूषण कम करने को लेकर सोच ले तो शायद कुछ बात बने । 

बहरहाल कौवों में आई इस आपदा पर अभी तक कोई ख़ास सक्रिय नही हुआ है। कही यह कोरोना की तरह ही लापरवाही का एक नया अध्याय नही बन जाये क्योंकि इन पक्षियों पर यदि किसी महामारी का प्रकोप आया तो इंसान को उससे प्रभावित होना स्वाभाविक ही है। अधिकतर इंसान मांसाहारी हैं और तरह तरह के मांसाहार को खाने का शौक तो फिर क्या कहने ...! लेकिन ध्यान रहें आपदा दूर नही , जागने का समय है जाग जाओ वरना सोते रह जाओगे...!



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