विश्वास में लेकर जमीन अनुबंध के नाम पर की 8 लाख रूपए की धोखाधड़ी !

मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति ने मानव अधिकार ब्यूरो से लगाई मदद की गुहार!



देवास। विश्वास में लेकर एक व्यक्ति के साथ लाखों रूपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। सभी दूर भटकने के बाद भी न्याय नही मिलने पर पीडि़त व्यक्ति अपनी समस्या को लेकर मानव अधिकार ब्यूरो कार्यालय पहुंचा और आवेदन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई। मानव अधिकार ब्यूरो के संभागाध्यक्ष संदीप उपाध्याय ने बताया कि देवास निवासी दिलीपसिंह पिता महेन्द्रसिंह राठौर आयुक्त कार्यालय उज्जैन में सहायक विस्तार अधिकारी के पद पर मई 2022 तक कार्यरत थे। दिलीप सिंह के साथ हुई धोखाधड़ी के समय आयुक्त कार्यालय उज्जैन में प्रतीक सोनवलकर संयुक्त आयुक्त (विकास) के पद पर पदस्थ थे। अधिकारी सोनवलकर एवं देवास जिले के ग्राम मेरखेड़ी निवासी सुमेरसिंह पिता केशरसिंह का आपसी लेनदेन था। 


दोनो ने चक्रव्यू रचकर दिलीप सिंह के साथ विश्वासघात किया। दिलीप सिंह को विश्वास में लेकर पुत्र पुष्पराज सिंह राठौर के नाम से सुमेरसिंह एवं उनकी पत्नी राजूबाई के स्वामित्व की कृषि भूमि का अनुबंध पत्र बनवाया। जिसमें दिलीप सिंह के पुत्र पुष्पराज सिंह राठौर द्वारा रजिस्टर्ड इकरारनामा लेख 01 अगस्त 2018 को 2 गवाहों के समक्ष निष्पादित करवाया। उक्त भूमि को दिनांक 31/10/2018 से दस वर्ष की अवधि के लिए दिनांक 31/12/2028 तक कृषि कार्य कर फसल का उपयोग करने के लिए कुल राशि 17,000,00/- ( सत्रह लाख रुपये) देना तय किया। जिसके प्रथम 5 वर्ष की राशि रूपए 8,00,000/- (आठ लाख रुपये) नगद राशि लोन निकालकर जमीन मालिक सुमेरसिंह को 01 अगस्त 2018 को दिलीप सिंह ने दिये थे। दिलीप सिंह ने जमीन पर खेती करने के उद्देश्य से लगभग 9,55,700 रूपए (नौ लाख पचपन हजार सात सौ रुपये) खर्च कर दिए। इस प्रकार भूमि को लीज पर लेने के लिए दी गई राशि 8 लाख एवं 9,55,700/- रू. कुल खर्च 17.55,700 रु. का वहन किया। दिलीप सिंह ने भूमि पर अक्टूबर 2018 से अप्रेल 2020 (कोरोना लॉकडाउन) तक कुल 18 माह खेती की। दिलीप सिंह अप्रैल 2020 कोरोना लाकडाउन के समय जब में अपनी जमीन पर गए तो उनकी खड़ी फसल जिसमें प्याज, लहसून, मैथी, गिल्की, गाजर, इत्यादि लगी हुई थी, उस पर सुमेरसिंह ने ट्रेक्टर चलाकर फसल नष्ट कर दी थी और कहा कि इस भूमि पर अब कभी मत आना, क्योंकि यह मेरी जमीन है एवं मैं किसी भी प्रकार के लीज अनुबंध को नहीं मानता हूँ। अगर अब जमीन पर दिखे तो तुझे जान से मार दूंगा व गाली गलौज करता रहा।


उपरोक्त समस्या को लेकर पीडि़त दिलीप सिंह ने थाना प्रभारी बरोठा एवं पुलिस अधीक्षक को दिया। लेकिन आवेदन के एक वर्ष तक कोई कार्यवाही पुलिस के द्वारा नही की गई। अब तक तीन से चार बार आवेदन देने के बाद भी पुलिस अब तक धोखाधड़ी करने वाले श्री सोनवलकर एवं सुमेरसिंह पर कोई ठोस कार्यवाही नही की गई। पीडि़त दिलीप सिंह दर-दर भटकने के बाद मानव अधिकार ब्यूरो कार्यालय पहुंचे और अपनी आपबीती सुनाई। मानव अधिकार ब्यूरो के संभागाध्यक्ष श्री उपाध्याय, नगर अध्यक्ष विशाल गुजेवार, सचिव अरविंद यादव, कोषाध्यक्ष सुनील गौड़, विजय प्रजापति, संजय पंवार ने पीड़ित दिलीप सिंह को सांत्वना देते हुए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। संभागाध्यक्ष उपाध्याय ने कहा कि दिलीप सिंह विगत तीन वर्ष से मानसिक रूप से परेशान है। उनकी पूरी जमा पूंजी खत्म हो गई है। उपरोक्त मामले को लेकर शीघ्र ही मानव अधिकार ब्यूरो का प्रतिनिधि मण्डल आईजी, एसपी, कलेक्टर एवं थाना प्रभारी सहित संबंधित जवाबदार अधिकारियों से मिलेगा। 








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