भूमि स्वामी नहीं हम सब सेवक है धरती मां के- सद्गुरु मंगल नाम साहेब




भारत सागर न्यूज/देवास। स्वामी नहीं सेवक लिखना चाहिए हम सबको। धरती मां के हम सब सेवक है। स्वामी, मलिक पति कैसे हो गए। हम सब तो उसकी गोद मे पल रहे है। बड़े होकर उसकी देखरेख उसकी सेवा कर रहे हैं। हम धरती मां के सेवाक, माटी के सेवक है, माता के सेवक हैं  यह होना चाहिए यह लिखना चाहिए। आज में फलाना भूमि स्वामी हो गए। कल दूसरा स्वामी, ऐसे कितने स्वामी बने और मर गए। मरते चले गए और मरते चले जा रहे हैं। कोई ठिकाना ही नही अब तक कितने स्वामी हुए है। हम सेवक है लेकिन स्वामी कैसे हो गए। जबकि स्वामी तो एक ही होता है। लेकिन यहां कागजों में धरती मां के अनेक स्वामी हो गए हैं जो बहुत ही लज्जाजनक है। यह विचार सतगुरु मंगल नाम साहब ने उनके सम्मान अवसर पर व्यक्त किए। 



सदगुरु कबीर प्रार्थना स्थलीय सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी सेवादारों एवं सदगुरु कबीर के अनुयायियों ने पुष्प मालाओं से सद्गुरु मंगल नाम साहेब का सम्मान कर आशीर्वाद लिया। उन्होंने आगे कहा कि जो भक्त नहीं होते ओ संसार में जैसे रोते हुए आते है वैसे रोते हुए ही चले जाते हैं। खाली हाथ आए और खाली हाथ ही चले जाते है। जो सच्चे भक्त होते है उनके पास तीर्थ स्वयं चले आते हैं। मुक्ति स्वयं दौड़ी चली आती है। 


चाह गई चिंता गई मानव भया बेपरवाह। जिसको कुछ भी नही चाहिए वही शहंशाह है। दीन दुखियों और दिव्यांगों की सेवा करना सदगुरु कबीर साहब के मार्ग बताए हुए मार्ग पर चलना चाहिए। जिन्होंने मानवता रूपी मर्म को बड़ी ही बारीकी से समझा और उस मानवता रूपी प्रकाश को पूरे विश्व में फैलाया। कबीर अंधकार में एक विराट दीपक है। यह जानकारी सेवा के वीरेंद्र चौहान ने दी।













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