नारकीय जीवन जीने को मजबूर नागदा सातखोरी के 60 परिवार के लोग
- आशियाना उजडने के तीन दिन बाद भी कोई प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि नही पहुंचा सुध लेने
भारत सागर न्यूज/देवास। विगत दिनों चली तेज हवा आंधी के कारण नागदा सातखोरी में निवास कर रहे घुम्मकड व अन्य जाति के करीब 60 परिवारों का आशियाना उजड गया था। आज तीन दिन हो चुके है, लेकिन कोई जवाबदार प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि सुध लेने नही आया। अ.भा.घुम्मकड जनजाति नाथ समाज जिलाध्यक्ष भगवान सिंह नाथ ने बताया कि हम सभी लोक नारकीय जीवन जीने को मजबूर है।
प्रशासन व जनप्रतिनिधि कोई हमारा साथ नही दे रहा है। बिना पानी, बिजली के खुले में जीवन जीने को मजबूर है। न खाने का ठिकाना है और ना ही सोन का ठिकाना है। नागदा सात खोरी के क्षेत्र मेें वर्षों से निवास कर रहे 60 परिवारों को पट्टा नही मिल रहा है। बेमौसम बारिश के चलते आशियानें उजड चुके है। प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके है। करीब 20 वर्षो से नागदा में रहते थे, प्रशासन ने हमें वहां से हटाकर यहां रहने के लिए जमीन दी थी।
अब यहां से भी हमें हटाया जा रहा है और कहीं भी पट्टे नहीं दिए जा रहे हैं। प्रशासन द्वारा पहले हमें यह बसाया गया और अब वापस हटाया जा रहा है। पीड़ित लोगों ने कहा कि यहां पर बिजली-पानी की समस्या तो पहले से है और अब हमारे आशियाने भी उजड़ गए हैं। कई लोगों को इसमें चोट भी आई हैं। सांसद, विधायक के साथ प्रशासन से भी कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन हमारी सुनवाई नही हुई। हमारे साथ ऐसा बर्ताव क्यों किया जा रहा है। तीन दिन हो चुके है, ले
किन कोई स्थानीय जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारी हमारे हालचाल जानने नही आया। जहां हम निवास करते है वहां जहरीले जानवरों का भी डर बना रहता है। कुछ दिन पहले एक बालिका को बिच्छू ने काट लिया था। करीब 50 से 60 हजार रूपए का कर्ज लेकर हमने उसका इलाज कराया। विगत दिनों हवा-आंधी से एक बालक के कान व गाल में चोंट आई। उसके कान के चारे ओर टांके लगे हुए है। पीडित घुमक्कड़ नाथ जाति के लोगों ने मांग की है कि शासन-प्रशासन, स्थानीय जन प्रतिनिधि शीघ्र अतिशीघ्र मौके का निरीक्षण कर हमारी समस्या का निदान करे।
Comments
Post a Comment