10 साल से अधूरी पड़ी पुलिया, बरसात में ठप आदिवासी गाँव का जीवन
- टूटी पुलिया के कारण गर्भवती महिलाओं व मरीजों को समय पर नही मिल पाता उपचार
भारत सागर न्यूज/देवास। जिले की तहसील उदयनगर की ग्राम पंचायत महिगांव के अंतर्गत आने वाले ग्राम सिराली बीड़ और बडछापरा के आदिवासी किसान पिछले 10 वर्षों से टूटी पुलिया की समस्या से जूझ रहे हैं। गाँव की 100 प्रतिशत आबादी आदिवासी है और उनका मुख्य रास्ता देवनाल्या नदी से होकर गुजरता है। करीब एक दशक पहले ग्रामीण इंजीनियरिंग सेवा (आरईएस) द्वारा पुलिया का निर्माण किया गया था, लेकिन कुछ समय बाद ही पुलिया टूट गई।
सरपंच श्रीमती मंगती बाई आवलाश्यिा ने बताया कि मेरे व ग्रामीण जनों द्वारा कई बार जिला कलेक्टर, विधायक, सांसद, अन्य संबंधित अधिकारी व जनप्रतिनिधि को आवेदन व निवेदन कर मांग की गई, लेकिन पुलिया टूटी हुई पड़ी है। सांसद (लोकसभा) ज्ञानेश्वर पाटिल ने भी कलेक्टर देवास को पत्र लिखकर अ.ज.जा. बस्ती विकास योजना के अंतर्गत पुलिया निर्माण की स्वीकृति देने की मांग की थी। जिस पर आज तक अमल नहीं किया गया। सरपंच श्रीमती आवलाश्यिा ने बताया कि बरसात के दिनों में नदी का जलस्तर बढऩे से ग्रामीणों का आवागमन पूरी तरह ठप हो जाता है।
आठ-आठ दिन तक लोग गाँव में फँसे रहते हैं। कई बार बहनों को राखी बाँधने तक के लिए अपने भाईयों से मिलने नहीं जा पातीं। सबसे गंभीर स्थिति गर्भवती महिलाओं और मरीजों के सामने आती है, जिन्हें समय पर अस्पताल तक पहुँचाना नामुमकिन हो जाता है। हाल ही में ग्रामीणों की मदद से जेसीबी और ट्रैक्टर-ट्रॉली से पत्थर व मुरम डालकर अस्थायी रास्ता बनाया, लेकिन बारिश में यह भी बह जाता है। सरपंच व ग्रामीणों का कहना है कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण शासन द्वारा इस ओर ध्यान नही दिया जा रहा है। ग्रामीण कई बार अधिकारियों से पुलिया निर्माण की मांग कर चुके हैं, परंतु अब तक कोई समाधान नहीं हुआ। इस कारण ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। गांव के पूर्व उपसरपंच संगीत चौहान, लाल सिंह अखाड़े, जगदीश अखाड़े, सुरपाल, बब्लू कन्नौजे सहित समस्त ग्रामीण जनों ने मांग की है कि शीघ्र ही पुलिया का निर्माण किया जाए। जिससे आवागमन सुगम हो सके।
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