मौसम की उलटबांसी

यह कैसी विडंबना है कि एक तरफ देश के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में हैं, दूसरी तरफ कुछ हिस्से सूखे का संकट झेल रहे हैं। यह मौसम में भारी असंतुलन का संकेत है और आगे यह और बढ़ने वाला है। इसे एक चेतावनी की तरह लेते हुए हमें अपने रहनसहन में भारी बदलाव करना होगा। इन दिनों पूर्वोत्तर राज्यों, खासकर असम में बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है। राज्य आपदा प्रबंधन अथॉरिटी के अनुसार इस बार असम के 33 में से 30 जिले बाढ़ से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। हालांकि सरकार की तत्परता की वजह से इस बार अब तक 30 लोगों की ही मौत हुई है, जबकि 2018 में 45 लोग मारे गए थे और 2017 में 85 जानें गई थीं। बाढ़ का तात्कालिक कारण भारी वर्षा है लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि नॉर्थ-ईस्ट में मॉनसूनी बरसात में लगातार कमी आती जा रही है। पूर्वोत्तर राज्यों, खासकर असम में सन 1870 से ही औसत मॉनसूनी बारिश में लगातार कमी देखी जा रही है जबकि अचानक भारी बरसात से आने वाली बाढ़ का ट्रेंड बढ़ गया है। भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है। औसत वर्षा में कमी आने की गति 1981 में तेज हुई। असम में औसत वार्षिक वर्षा 1,524.6 मिलीमीटर होती है। 1871 से 1916 के बीच बरसात में औसत 0.74 मिलीमीटर कमी आई। पर 1981-2016 में यह 5.95 मिमी हो गई। पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रॉलजी ने पिछले साल आईएमडी के आंकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला था। इसी अवधि में पूर्वी उत्तर प्रदेश, मेघालय, उपहिमालयी क्षेत्र और पश्चिम बंगाल में भी औसत वर्षा में गिरावट आई, जबकि पूर्वी राजस्थान, सौराष्ट्र, कच्छ और दीव में बढ़ातरा दज का गई। पूवात्तर क आर राज्यों नगालैंड, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, और त्रिपुरा में भी औसत वर्षा में 10 प्रतिशत की कमी आई। लेकिन भारी वर्षा वाले दिनों में बढ़ोतरी हुई है, जिसकी वजह से ब्रह्मपुत्र घाटी के कई हिस्सों में भयंकर बाढ़ आई है। कई और अध्ययनों में भी साफ हुआ है कि भारत में औसत मॉनसूनी वर्षा कम हुई है लेकिन बाढ़ लाने वाली भारी वर्षा में 5 फीसदी की वृद्धि हुई है। इससे एक भ्रम पैदा हो रहा है। हम बाढ़ को देखकर सोचते हैं कि ठीक-ठाक बरसात हो रही है, जबकि यह गलत है। असम में बाढ़ के लिए राज्य में होने वाली बारिश ही जिम्मेवार नहीं है। चीन और भूटान में होने वाली बारिश से भी यहां बाढ़ आती है। दरअसल असम की दोनों बड़ी नदियां ब्रह्मपुत्र और बराक तथा उनकी उपनदियां विदेश से निकलकर भारत की तरफ आती हैं। इस बार चीन और भूटान में जबर्दस्त बारिश हुई इसलिए असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। लेकिन यह कैसी विडंबना है कि एक तरफ देश के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में हैं, दूसरी तरफ कुछ हिस्से सूखे का संकट झेल रहे हैं। यह मौसम में भारी असंतुलन का संकेत है और आगे यह और बढ़ने वाला है। इसे एक चेतावनी की तरह लेते हुए हमें अपने रहन-सहन में भारी बदलाव करना होगा, साथ ही बाढ़ और सूखे जैसी दो विपरीत आपदाओं से एक साथ निपटने की तैयारी भी रखनी होगी।


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